नई दिल्ली: लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने गुरुवार को हरियाणा के गुरुग्राम के मानेसर में आयोजित दो दिवसीय शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्षों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र से पहले कहा कि राजनीतिक दलों को सदन की कार्यवाही में व्यवधान नहीं डालना चाहिए। जो पार्टियां गतिरोध पैदा करने का प्रयास करेंगी। उन्हें जनता जवाब देगी।
उन्होंने वर्तमान 18वीं लोकसभा के बारे में कहा कि इसमें बदलाव आया है। सभी राजनीतिक दल के लोग यह विचार करने लगे हैं कि सदन स्थगित नहीं होना चाहिए। पहले सदन हंगामों की भेंट चढ़ जाते थे, स्थगित करने पड़ते थे। लेकिन अब व्यवधान पहले के मुकाबले कम हुआ है। यह इसलिए संभव हुआ, क्योंकि राजनीतिक दलों ने विचार किया कि सदन चलना चाहिए। बिरला ने कहा कि अब समय बदलाव का आया गया है। लोकतांत्रितक संस्थाओं को जवाबदेह बनाना है तो हमे सदनों को अच्छा करना ही होगा। नगर निगमों में, स्थानीय निकायों में।
लोकसभा स्पीकर बिरला ने यह भी कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं की तरह स्थानीय निकायों के सदनों को सुचारू रूप से चलाने की आदर्श पद्धति स्थापित होनी चाहिए। स्थानीय निकायों में भी प्रश्नकाल और शून्यकाल जैसे सत्र की व्यवस्था होनी चाहिए, बजट बने तो पूरी चर्चा हो। गली-मोहल्लों, नालियों और लोगों से जुड़े अन्य तमाम मुद्दों पर सदन में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को सदन की कार्यवाही में व्यवधान कम करने के प्रयास करने चाहिए।
लोकसभा स्पीकर ने कहा कि वह 2014 से लोकसभा की कार्यवाही देख रहे हैं, जब वह पहली बार सदन के सदस्य चुने गए थे। 16वीं लोकसभा में सदस्य सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए तख्तियां लेकर आते थे, 17वीं लोकसभा (2019-2024) में भी स्थिति कुछ अलग नहीं थी। लेकिन, 18वीं लोकसभा में बदलाव दिखाई दे रहा है। जिसमें राजनीतिक दलों और सदस्यों ने विचार शुरू किया कि सदन को चलने दिया जाना चाहिए ताकि लोगों के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाया जा सके।
उन्होंने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शहरी निकाय के सभापतियों का यह सम्मेलन लोकतंत्र को मजबूत करने का मंच है। 2047 तक के सपनों को पूरा करने में नगरपालिकाओं की भागीदारी जरूरी है। नगरीय निकाय लोकतंत्र की असली ताकत हैं। इनकी जिम्मेदारी है कि हर नागरिक तक लोकतंत्र के आदर्श पहुंचे। हमें हर शहरी मुद्दे को जनआंदोलन में बदलना होगा। जैसे स्वच्छता आंदोलन बना, वैसे ही हर विषय में जनता की भागीदारी जरूरी है। शहरी निकायों के अध्यक्षों के प्रथम सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण समेत मंत्री और अन्य लोग भी उपस्थित थे।
उन्होंने वर्तमान 18वीं लोकसभा के बारे में कहा कि इसमें बदलाव आया है। सभी राजनीतिक दल के लोग यह विचार करने लगे हैं कि सदन स्थगित नहीं होना चाहिए। पहले सदन हंगामों की भेंट चढ़ जाते थे, स्थगित करने पड़ते थे। लेकिन अब व्यवधान पहले के मुकाबले कम हुआ है। यह इसलिए संभव हुआ, क्योंकि राजनीतिक दलों ने विचार किया कि सदन चलना चाहिए। बिरला ने कहा कि अब समय बदलाव का आया गया है। लोकतांत्रितक संस्थाओं को जवाबदेह बनाना है तो हमे सदनों को अच्छा करना ही होगा। नगर निगमों में, स्थानीय निकायों में।
लोकसभा स्पीकर बिरला ने यह भी कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं की तरह स्थानीय निकायों के सदनों को सुचारू रूप से चलाने की आदर्श पद्धति स्थापित होनी चाहिए। स्थानीय निकायों में भी प्रश्नकाल और शून्यकाल जैसे सत्र की व्यवस्था होनी चाहिए, बजट बने तो पूरी चर्चा हो। गली-मोहल्लों, नालियों और लोगों से जुड़े अन्य तमाम मुद्दों पर सदन में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को सदन की कार्यवाही में व्यवधान कम करने के प्रयास करने चाहिए।
लोकसभा स्पीकर ने कहा कि वह 2014 से लोकसभा की कार्यवाही देख रहे हैं, जब वह पहली बार सदन के सदस्य चुने गए थे। 16वीं लोकसभा में सदस्य सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए तख्तियां लेकर आते थे, 17वीं लोकसभा (2019-2024) में भी स्थिति कुछ अलग नहीं थी। लेकिन, 18वीं लोकसभा में बदलाव दिखाई दे रहा है। जिसमें राजनीतिक दलों और सदस्यों ने विचार शुरू किया कि सदन को चलने दिया जाना चाहिए ताकि लोगों के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाया जा सके।
उन्होंने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शहरी निकाय के सभापतियों का यह सम्मेलन लोकतंत्र को मजबूत करने का मंच है। 2047 तक के सपनों को पूरा करने में नगरपालिकाओं की भागीदारी जरूरी है। नगरीय निकाय लोकतंत्र की असली ताकत हैं। इनकी जिम्मेदारी है कि हर नागरिक तक लोकतंत्र के आदर्श पहुंचे। हमें हर शहरी मुद्दे को जनआंदोलन में बदलना होगा। जैसे स्वच्छता आंदोलन बना, वैसे ही हर विषय में जनता की भागीदारी जरूरी है। शहरी निकायों के अध्यक्षों के प्रथम सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण समेत मंत्री और अन्य लोग भी उपस्थित थे।
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