लखनऊ: केजीएमयू के डॉक्टरों ने कुशीनगर के 14 साल के गणेश नाम के बच्चे की जटिल सर्जरी कर उसे जन्मजात विकार से मुक्ति दिलवाई। गणेश की नाक पर जन्म से एक बढ़ा उभार था। इसी वजह से उसका नाम गणेश पढ़ गया था। डॉक्टरों के मुताबिक दीपावली से पहले गणेश की सर्जरी हुई थी, उसके चेहरे की बनावट सामान्य हो गई है। सोमवार को उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
कुशीनगर के पास एक छोटे से गांव में पैदा हुए गणेश की नाक पर जन्म से ही बड़ा उभार था। डॉक्टरों ने उसी समय जांच की सलाह दी थी, लेकिन परिवार और गांव वाले गणेश जी का अवतार मानकर उसकी पूजा करने लगे। इस अंधविश्वास के कारण परिवार ने 12 साल तक किसी चिकित्सकीय जांच या इलाज की कोशिश नहीं की। समय के साथ गणेश की नाक का उभार बढ़ता गया, उसका चेहरा विकृत दिखाई देने लगा और स्कूल में बच्चे उसका मजाक उड़ाने लगे। धीरे-धीरे यह स्थिति उसके लिए तकलीफदेह हो गई। एक परिचित की सलाह पर गणेश के पिता उसे केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग लेकर आए।
दुर्लभ बीमारी का पता चलाजांच और सीटी स्कैन के बाद डॉक्टरों ने पाया कि गणेश को नासोएथमॉइडल एन्सेफेलोसील नामक दुर्लभ जन्मनात विकार है। इसमें मस्तिष्क का ऊतक खोपड़ी की हड्डी में बने छिद्र से बाहर निकल आता है। इस कारण नाक और माथे के बीच की हड्डियां चौड़ी हो जाती है, जिसे हाइपरटेलोरिज्म कहा जाता है।
निःशुल्क हुआ ऑपरेशनप्रो. बृजेश कहते हैं कि गणेश का पूरा इलाज आयुष्मान योजना के तहत निःशुल्क किया गया। छोटे अस्पतालों में इस विकार का इलाज मुश्किल है। बड़े अस्पतालों में इस सर्जरी पर आठ लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है। उन्होंने बताया कि गणेश के इलाज का एक चरण अभी बाकी है। पांच से छह महीने बाद गणेश की नाक के अगले हिस्से को नया शेप दिया जाएगा। इसके लिए इंडेंट मंगवाया जा रहा है।
परिवारीजन बोले- असली भगवान तो डॉक्टरप्रफेसर डॉ. बृजेश मिश्रा के नेतृत्व में प्लास्टिक सर्जरी और न्यूरोसर्जरी विभाग की संयुक्त टीम ने सर्जरी की। आठ घंटे तक चली सर्जरी मे न्यूरोसर्जरी टीम ने प्रो. सोमिल जायसवाल के मार्गदर्शन में खोपड़ी के भीतर की सरचनाओं को सुरक्षित रखते हुए दोष की मरम्मत की गई। इसके बाद प्लास्टिक सर्जरी टीम ने माथे की हड्डी का एक हिस्सा निकालकर नाक के उभरे हिस्से को हटाया।
इसके बाद चेहरे की हड्डियों को फिर आकार देकर नाक की बनावट को सामान्य किया। गणेश के परिवार ने डॉक्टरो का धन्यवाद करते हुए कहा कि हमने अपने बेटे को भगवान माना था, लेकिन असली भगवान तो वे डॉक्टर है, जिन्होंने गणेश को नई जिंदगी दी। केजीएमयू प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. बृजेश मिश्रा ने बताया कि यह सर्जरी न केवल चिकित्सा उपलब्धि का प्रतीक है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि अंधविश्वास से ऊपर उठकर समय पर इलाज करवाना कितना जरूरी है।
ये रहे टीम में प्लास्टिक सर्जरी: प्रो. बृजेश मिश्रा, डॉ. रवि कुमार, डॉ. गौतम रेड्डी, सीनियर रेजिडेंट डॉ. गौरव जैन, डॉ. अजहर फैयाज, डॉ. साक्षी भट्ट, डॉ. रुचा यादव, डॉ. आंचल अग्रवाल और डॉ. आकांक्षा मेहरा। न्यूरोसर्जरी: प्रो. सोमिल जायसवाल, डॉ. विष्णु वर्धन, डॉ. शुब्रित त्यागी और डॉ. शुभम कौशल। एनेस्थीसिया: डॉ. तन्मय तिवारी, सिस्टर इचार्ज सरिता।
कुशीनगर के पास एक छोटे से गांव में पैदा हुए गणेश की नाक पर जन्म से ही बड़ा उभार था। डॉक्टरों ने उसी समय जांच की सलाह दी थी, लेकिन परिवार और गांव वाले गणेश जी का अवतार मानकर उसकी पूजा करने लगे। इस अंधविश्वास के कारण परिवार ने 12 साल तक किसी चिकित्सकीय जांच या इलाज की कोशिश नहीं की। समय के साथ गणेश की नाक का उभार बढ़ता गया, उसका चेहरा विकृत दिखाई देने लगा और स्कूल में बच्चे उसका मजाक उड़ाने लगे। धीरे-धीरे यह स्थिति उसके लिए तकलीफदेह हो गई। एक परिचित की सलाह पर गणेश के पिता उसे केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग लेकर आए।
दुर्लभ बीमारी का पता चलाजांच और सीटी स्कैन के बाद डॉक्टरों ने पाया कि गणेश को नासोएथमॉइडल एन्सेफेलोसील नामक दुर्लभ जन्मनात विकार है। इसमें मस्तिष्क का ऊतक खोपड़ी की हड्डी में बने छिद्र से बाहर निकल आता है। इस कारण नाक और माथे के बीच की हड्डियां चौड़ी हो जाती है, जिसे हाइपरटेलोरिज्म कहा जाता है।
निःशुल्क हुआ ऑपरेशनप्रो. बृजेश कहते हैं कि गणेश का पूरा इलाज आयुष्मान योजना के तहत निःशुल्क किया गया। छोटे अस्पतालों में इस विकार का इलाज मुश्किल है। बड़े अस्पतालों में इस सर्जरी पर आठ लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है। उन्होंने बताया कि गणेश के इलाज का एक चरण अभी बाकी है। पांच से छह महीने बाद गणेश की नाक के अगले हिस्से को नया शेप दिया जाएगा। इसके लिए इंडेंट मंगवाया जा रहा है।
परिवारीजन बोले- असली भगवान तो डॉक्टरप्रफेसर डॉ. बृजेश मिश्रा के नेतृत्व में प्लास्टिक सर्जरी और न्यूरोसर्जरी विभाग की संयुक्त टीम ने सर्जरी की। आठ घंटे तक चली सर्जरी मे न्यूरोसर्जरी टीम ने प्रो. सोमिल जायसवाल के मार्गदर्शन में खोपड़ी के भीतर की सरचनाओं को सुरक्षित रखते हुए दोष की मरम्मत की गई। इसके बाद प्लास्टिक सर्जरी टीम ने माथे की हड्डी का एक हिस्सा निकालकर नाक के उभरे हिस्से को हटाया।
इसके बाद चेहरे की हड्डियों को फिर आकार देकर नाक की बनावट को सामान्य किया। गणेश के परिवार ने डॉक्टरो का धन्यवाद करते हुए कहा कि हमने अपने बेटे को भगवान माना था, लेकिन असली भगवान तो वे डॉक्टर है, जिन्होंने गणेश को नई जिंदगी दी। केजीएमयू प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. बृजेश मिश्रा ने बताया कि यह सर्जरी न केवल चिकित्सा उपलब्धि का प्रतीक है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि अंधविश्वास से ऊपर उठकर समय पर इलाज करवाना कितना जरूरी है।
ये रहे टीम में प्लास्टिक सर्जरी: प्रो. बृजेश मिश्रा, डॉ. रवि कुमार, डॉ. गौतम रेड्डी, सीनियर रेजिडेंट डॉ. गौरव जैन, डॉ. अजहर फैयाज, डॉ. साक्षी भट्ट, डॉ. रुचा यादव, डॉ. आंचल अग्रवाल और डॉ. आकांक्षा मेहरा। न्यूरोसर्जरी: प्रो. सोमिल जायसवाल, डॉ. विष्णु वर्धन, डॉ. शुब्रित त्यागी और डॉ. शुभम कौशल। एनेस्थीसिया: डॉ. तन्मय तिवारी, सिस्टर इचार्ज सरिता।
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