नई दिल्ली : हाल के हफ्तों में दुनिया की दो बड़ी ब्रोकरेज फर्मों के इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट भारतीय शेयर बाजार को लेकर पॉजिटिव हैं। आइए जानते हैं कि इसकी वजह क्या है और निवेशकों के लिए आगे क्या मौके हो सकते हैं।
क्या है नजरिया?
गोल्डमैन सैश (Goldman Sachs) ने भारत की रेटिंग बढ़ाकर 'ओवरवेट' कर दी है। साथ ही, अनुमान लगाया है कि 2026 के अंत तक निफ्टी 29,000 तक पहुंच सकता है। यानी यहां से करीब 14% से ज्यादा की तेजी है। HSBC ने भी अपने एशिया पोर्टफोलियो में भारत पर 'ओवरवेट' रेटिंग बनाए रखी है और 2026 के लिए सेंसेक्स का टारगेट 94,000 रखा है। इसका मतलब है कि इसमें करीब 13% की बढ़त देखने को मिल सकती है। क्यों है अहम?
ET के Q मुताबिक, ये अनुमान बाजार के मौजूदा रुख के बिल्कुल उलट हैं। ये ऐसे समय में आई हैं जब दुनिया भर के ज्यादातर निवेशक और एनालिस्ट भारत को लेकर बहुत पॉजिटिव नहीं हैं। उनकी चिंता महंगी बैल्यूएशन, धीमी पड़ती ग्रोथ और हाल ही में टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितता को लेकर है। इसी का नतीजा है कि विदेशी निवेशकों ने 2025 में अब तक 1.52 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेच डाले हैं। पिछले साल उन्होंने मामूली खरीदारी ही की थी। पॉजिटिव क्यों हैं?
HSBC का कहना है कि जो लोग दुनियाभर में चल रही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रैली से असहज हैं, उनके लिए भारत एक अच्छा 'हेज' यानी बचाव का विकल्प है। गोल्डमैन का कहना है कि कंपनियों को कमाई के अनुमान में पिछले एक साल से जो कटौती का दौर चल रहा था, वह अब पिछले तीन महीनों में स्थिर हो गया है। क्या है संकेत?
जब गोल्डमैन और HSBC जैसी बड़ी और प्रभावशाली ब्रोकरेज फर्में अपना रुख बदलती हैं, तो विदेशी निवेशक इस पर ध्यान जरूर देते हैं। हो सकता है कि वे तुरंत पैसा लगाने के लिए वापस न आएं, लेकिन बाजार के रुख से अलग ऐसी राय भारत के लिए पॉजिटिव संकेत देता है। भारत कहां खड़ा है?
वैल्यूएशन, कमाई में बढ़ोतरी और विदेशी निवेश के मामले में भारत 2024 के मुकाबले बेहत्तर स्थिति में है। गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक, भारत का एशिया के बाकी बाजारों के मुकाबले पीई प्रीमियम (PE premium) पिछले दो सालों के 85-90% के हाई से घटकर करीब 45% पर आ गया है, जो 20 साल के औसत 35% के करीब है। कुछ चुनिंदा सेक्टरों में कंपनियों की कमाई उम्मीद से बेहतर रही है। विदेशी बिकवाली में भी अब थकावट के संकेत दिख रहे है। हालांकि जानकारों का कहना है कि इन अपग्रेड्स ने भले ही बाजार के नेगेटिव माहौल को थोड़ा कम किया हो, लेकिन ये असल मे पैसे के फ्लो में बदलेंगे या नहीं, यह अगले कुछ तिमाहियों में कमाई और वेल्यूएशन के बीच संतुलन पर निर्भर करेगा।
गोल्डमैन सैश (Goldman Sachs) ने भारत की रेटिंग बढ़ाकर 'ओवरवेट' कर दी है। साथ ही, अनुमान लगाया है कि 2026 के अंत तक निफ्टी 29,000 तक पहुंच सकता है। यानी यहां से करीब 14% से ज्यादा की तेजी है। HSBC ने भी अपने एशिया पोर्टफोलियो में भारत पर 'ओवरवेट' रेटिंग बनाए रखी है और 2026 के लिए सेंसेक्स का टारगेट 94,000 रखा है। इसका मतलब है कि इसमें करीब 13% की बढ़त देखने को मिल सकती है।
ET के Q मुताबिक, ये अनुमान बाजार के मौजूदा रुख के बिल्कुल उलट हैं। ये ऐसे समय में आई हैं जब दुनिया भर के ज्यादातर निवेशक और एनालिस्ट भारत को लेकर बहुत पॉजिटिव नहीं हैं। उनकी चिंता महंगी बैल्यूएशन, धीमी पड़ती ग्रोथ और हाल ही में टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितता को लेकर है। इसी का नतीजा है कि विदेशी निवेशकों ने 2025 में अब तक 1.52 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेच डाले हैं। पिछले साल उन्होंने मामूली खरीदारी ही की थी।
HSBC का कहना है कि जो लोग दुनियाभर में चल रही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रैली से असहज हैं, उनके लिए भारत एक अच्छा 'हेज' यानी बचाव का विकल्प है। गोल्डमैन का कहना है कि कंपनियों को कमाई के अनुमान में पिछले एक साल से जो कटौती का दौर चल रहा था, वह अब पिछले तीन महीनों में स्थिर हो गया है।
जब गोल्डमैन और HSBC जैसी बड़ी और प्रभावशाली ब्रोकरेज फर्में अपना रुख बदलती हैं, तो विदेशी निवेशक इस पर ध्यान जरूर देते हैं। हो सकता है कि वे तुरंत पैसा लगाने के लिए वापस न आएं, लेकिन बाजार के रुख से अलग ऐसी राय भारत के लिए पॉजिटिव संकेत देता है।
वैल्यूएशन, कमाई में बढ़ोतरी और विदेशी निवेश के मामले में भारत 2024 के मुकाबले बेहत्तर स्थिति में है। गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक, भारत का एशिया के बाकी बाजारों के मुकाबले पीई प्रीमियम (PE premium) पिछले दो सालों के 85-90% के हाई से घटकर करीब 45% पर आ गया है, जो 20 साल के औसत 35% के करीब है। कुछ चुनिंदा सेक्टरों में कंपनियों की कमाई उम्मीद से बेहतर रही है। विदेशी बिकवाली में भी अब थकावट के संकेत दिख रहे है। हालांकि जानकारों का कहना है कि इन अपग्रेड्स ने भले ही बाजार के नेगेटिव माहौल को थोड़ा कम किया हो, लेकिन ये असल मे पैसे के फ्लो में बदलेंगे या नहीं, यह अगले कुछ तिमाहियों में कमाई और वेल्यूएशन के बीच संतुलन पर निर्भर करेगा।
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