अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट ने हत्या के जुर्म में उमक्रैद की सजा काट रहे पति-पत्नी को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने दंपती को   आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) इलाज कराने के लिए परोल की अनुमति दी है। कोर्ट का यह फैसला जेल में सजा काट रहे दंपति को नया जीवन देने जैसा माना जा रहा है। यह मामला जयेंद्र दामोर और सेजल बरिया से जुड़ा है। दोनों साल 2010 में सेजल के पूर्व प्रेमी पिनाकिन पटेल की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए थे। 2013 में गोधरा जिला अदालत ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद से दोनों अलग-अलग जेलों में सजा काट रहे हैं।   
   
   
     
मामले के अनुसार, पिनाकिन पटेल कथित तौर पर ब्रेकअप के बाद भी सेजल बरिया को परेशान करता था। इसी बात से परेशान होकर सेजल और जयेंद्र ने उसकी हत्या की साजिश रची थी। दोनों ने पटेल को पावागढ़ के एक गेस्टहाउस में बुलाया और वहीं उसकी हत्या कर दी थी। अब करीब 15 साल बाद, दोनों अपने जीवन में एक नई शुरुआत करना चाहते हैं। दोनों ने अदालत से अपील की कि वे IVF प्रक्रिया के जरिए बच्चा पैदा करना चाहते हैं और इसके लिए चिकित्सा उपचार जरूरी है। सेजल बरिया को वर्ष 2023 में पहली बार बांझपन के इलाज के लिए परोल मिली थी। इसके बाद दाहोद में एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श शुरू किया था।
     
   
परोल के बाद करना होगा आत्मसमर्पण
मेडिकल रिपोर्ट्स के आधार पर जयेंद्र दामोर ने भी अदालत से स्वयं के लिए अस्थायी रिहाई की अनुमति मांगी ताकि वह IVF प्रक्रिया में अपनी पत्नी के साथ भाग ले सकें। हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर 2025 को दामोर को अस्थायी परोल पर रिहा करने का आदेश दिया। इसके बाद जब दोनों 28 अक्टूबर को फिर अदालत में पेश हुए, तो न्यायमूर्ति एच.डी. सुथार की पीठ ने पैरोल की अवधि 2 नवंबर तक बढ़ाने की अनुमति दी। अदालत ने हालांकि स्पष्ट किया कि यह राहत केवल चिकित्सा उद्देश्य से दी जा रही है और किसी प्रकार की अतिरिक्त नरमी नहीं बरती जाएगी। आदेश में कहा गया कि निर्धारित अवधि समाप्त होते ही अभियुक्त को तुरंत संबंधित जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा।
   
  
मामले के अनुसार, पिनाकिन पटेल कथित तौर पर ब्रेकअप के बाद भी सेजल बरिया को परेशान करता था। इसी बात से परेशान होकर सेजल और जयेंद्र ने उसकी हत्या की साजिश रची थी। दोनों ने पटेल को पावागढ़ के एक गेस्टहाउस में बुलाया और वहीं उसकी हत्या कर दी थी। अब करीब 15 साल बाद, दोनों अपने जीवन में एक नई शुरुआत करना चाहते हैं। दोनों ने अदालत से अपील की कि वे IVF प्रक्रिया के जरिए बच्चा पैदा करना चाहते हैं और इसके लिए चिकित्सा उपचार जरूरी है। सेजल बरिया को वर्ष 2023 में पहली बार बांझपन के इलाज के लिए परोल मिली थी। इसके बाद दाहोद में एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श शुरू किया था।
परोल के बाद करना होगा आत्मसमर्पण
मेडिकल रिपोर्ट्स के आधार पर जयेंद्र दामोर ने भी अदालत से स्वयं के लिए अस्थायी रिहाई की अनुमति मांगी ताकि वह IVF प्रक्रिया में अपनी पत्नी के साथ भाग ले सकें। हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर 2025 को दामोर को अस्थायी परोल पर रिहा करने का आदेश दिया। इसके बाद जब दोनों 28 अक्टूबर को फिर अदालत में पेश हुए, तो न्यायमूर्ति एच.डी. सुथार की पीठ ने पैरोल की अवधि 2 नवंबर तक बढ़ाने की अनुमति दी। अदालत ने हालांकि स्पष्ट किया कि यह राहत केवल चिकित्सा उद्देश्य से दी जा रही है और किसी प्रकार की अतिरिक्त नरमी नहीं बरती जाएगी। आदेश में कहा गया कि निर्धारित अवधि समाप्त होते ही अभियुक्त को तुरंत संबंधित जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा।
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