नई दिल्ली: हाई कोर्ट ने हीमोफिलिया के मरीजों के इलाज के संबंध में किए गए प्रयासों की तारीफ की है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को उसकी ओर से संचालित अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में हेमेटोलॉजिस्ट की भर्ती और तैनाती सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने की प्रयासों की सराहना
जस्टिस सचिन दत्ता ने हीमोफीलिया के मरीजों की ओर से दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार के किए गए प्रयासों की सराहना की। कोर्ट ने कहा कि स्टेट ब्लड सेल से सीमा कपूर और लोक नायक अस्पताल की मेडिकल स्पेशल हीमोफीलिया प्रभारी सुनीता अग्रवाल 14 जुलाई को सुनवाई के वक्त कोर्ट में मौजूद थीं। उन्होंने दिल्ली सरकार की ओर से दायर स्टेटस रिपोर्ट की ओर ध्यान खींचा, जिसमें यह बताया गया कि प्लाज्मा-डिराइव्ड फैक्टर और रिकॉम्बिनेंट फैक्टर पर आधारित इंजेक्शनों की क्वॉलिटी में कोई अंतर नहीं है। हालांकि, याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने इसका खंडन किया।
अंडरटेकिंग को रिकॉर्ड पर लिया
जोर दिया कि वर्तमान में पुनः संयोजक कारक (रिकॉम्बिनेंट फैक्टर) इंजेक्शनों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। उन्होंने कोर्ट को यह भरोसा भी दिलाया कि यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय प्रयास किए जाते रहेंगे कि भविष्य में भी इंजेक्शनों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध रहे। कोर्ट ने उनकी अंडरटेकिंग को रिकॉर्ड पर लिया। जस्टिस दत्ता ने आदेश में कहा कि अदालत सीमा कपूर और सुनीता अग्रवाल की ओर से रिकॉम्बिनेंट फैक्टर इंजेक्शनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना करती है।
सरकार को दिए निर्देश
इसी के साथ कोर्ट ने दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उसकी ओर से संचालित अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में हेमेटोलॉजिस्ट की भर्ती और तैनाती की जाए। जो याचिकाकर्ताओं सहित ऐसे मरीजों की देखभाल करें। मामले को अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी। हीमोफीलिया नामक एक दुर्लभवंशानुगत रक्तस्राव की बीमारी से पीड़ित एक व्यक्ति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली सरकार और उसके तीन अस्पतालों से मुआवजा दिलाने की मांग की है। याचिकाकर्ता का कहना था कि 2008 से हीमोफिलिया का इलाज कर रहे इन अस्पतालों में न तो इसके इलाज के लिए न एक्सपर्ट डॉक्टर है न दवा
कोर्ट ने की प्रयासों की सराहना
जस्टिस सचिन दत्ता ने हीमोफीलिया के मरीजों की ओर से दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार के किए गए प्रयासों की सराहना की। कोर्ट ने कहा कि स्टेट ब्लड सेल से सीमा कपूर और लोक नायक अस्पताल की मेडिकल स्पेशल हीमोफीलिया प्रभारी सुनीता अग्रवाल 14 जुलाई को सुनवाई के वक्त कोर्ट में मौजूद थीं। उन्होंने दिल्ली सरकार की ओर से दायर स्टेटस रिपोर्ट की ओर ध्यान खींचा, जिसमें यह बताया गया कि प्लाज्मा-डिराइव्ड फैक्टर और रिकॉम्बिनेंट फैक्टर पर आधारित इंजेक्शनों की क्वॉलिटी में कोई अंतर नहीं है। हालांकि, याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने इसका खंडन किया।
अंडरटेकिंग को रिकॉर्ड पर लिया
जोर दिया कि वर्तमान में पुनः संयोजक कारक (रिकॉम्बिनेंट फैक्टर) इंजेक्शनों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। उन्होंने कोर्ट को यह भरोसा भी दिलाया कि यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय प्रयास किए जाते रहेंगे कि भविष्य में भी इंजेक्शनों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध रहे। कोर्ट ने उनकी अंडरटेकिंग को रिकॉर्ड पर लिया। जस्टिस दत्ता ने आदेश में कहा कि अदालत सीमा कपूर और सुनीता अग्रवाल की ओर से रिकॉम्बिनेंट फैक्टर इंजेक्शनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना करती है।
सरकार को दिए निर्देश
इसी के साथ कोर्ट ने दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उसकी ओर से संचालित अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में हेमेटोलॉजिस्ट की भर्ती और तैनाती की जाए। जो याचिकाकर्ताओं सहित ऐसे मरीजों की देखभाल करें। मामले को अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी। हीमोफीलिया नामक एक दुर्लभवंशानुगत रक्तस्राव की बीमारी से पीड़ित एक व्यक्ति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली सरकार और उसके तीन अस्पतालों से मुआवजा दिलाने की मांग की है। याचिकाकर्ता का कहना था कि 2008 से हीमोफिलिया का इलाज कर रहे इन अस्पतालों में न तो इसके इलाज के लिए न एक्सपर्ट डॉक्टर है न दवा
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