नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक (Starlink) ने भारत में सैटलाइट इंटरनेट सेवाएं शुरू करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा लिया है। कंपनी को दूरसंचार विभाग से 'लेटर ऑफ इंटेंट' मिल गया है। अमेरिकी एयरोस्पेस निर्माता SpaceX ने इसे डिवेलप किया है। ये मंजूरी कंपनी की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी शर्तों को मानने के बाद जारी की गई है। माना जा रहा है कि भारत सरकार की ओर से स्टारलिंक को हरी झंडी में तेजी का फैसला अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता में मदद। कर सकता है। बता दें कि स्टारलिंक को लेकर सरकार की तरह से पहले भी ये कहा जा रहा था कि सुरक्षा से जुड़े सारे क्लीयरेंस देखनी होगी, उसके बाद ही उन्हें लाइसेंस मिलेगा। क्यों उठ रहे हैं सवाल?हालांकि Starlink की एंट्री को लेकर चिंताएं भी जताई जा रही हैं। साइबर कानूनों के एक्सपर्ट विराग गुप्ता कहते हैं कि कई साल पहले ऑपरेशन प्रिज्म के जरिए अमेरिकी एजेंसी NSA ने इंटरनेट की 9 बड़ी कंपनियों के डिजिटल डेटा तक पहुंच बना ली थी। इससे एजेंसी के लिएयूजर्स के ई मेल, तस्वीरें विडियो वगैरह तक पहुंचना काफी आसान हो गया था। ऐसे में सवाल सिर्फ निजता के हनन का ही नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े डेटा का भी है। इसकी वजह ये है कि अतीत में कैब्रिज एनालिटिका और पेगासस जैसे मामले सामने आ चुके हैं स्टारलिंक जैसी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को इंटरमीडिरीज माना जाता है। सवाल ये क्या स्टारलिंक भी इससे जुड़े कानूनों को मानते हुए यहां ग्रीवांसेज अफसर की नियुक्ति करेगा? तीसरे देश पर कितना भरोसा?टेक एक्सपर्ट कनिष्क गौर का कहना है कि टेलीकॉम भारत में बहुत संवेदनशील क्षेत्र है। भारत ने इस सेक्टर में चीनी कंपनियों को दाखिल होने से रोका है। ऐसे में टेक्नोलॉजी इंटरसेप्टिव ना हो, इसके लिए सुरक्षा क्लीयरेंस बहुत जरूरी है। कई बार ये ग्लोबल कंपनियां इन सेवाओं से जुड़े उपकरण सस्ती तकनीक की वजह से तीसरे देश से खरीदती हैं, जिससे सुरक्षा के सवाल तो खड़े होते ही हैं। अमेरिकी संबंध आड़े आएंगे?जानकारों का कहना है कि मौजूदा वक्त में भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते अच्छे हैं, लेकिन तब क्या जब संबंध इतने असहज नहीं रहेंगे। ऐसे में क्या भारतीय रेगुलेटर्स स्टारलिंक के सिस्टम पर निगरानी रख पाएगी, जिससे कि दुरुपयोग ना हो पाए। नई तकनीक के खतरे?कूटनीति फाउंडेशन की रिपोर्ट ये भी कहती है कि स्टारलिंक बहुत साफ तौर पर जियो पॉलिटिकल नियंत्रण की एक तकनीक है। इसने ब्राजील, यूक्रेन और ईरान जैसे देशों में नियमों और नीतियों को सम्मान नहीं किया है। अगर भारत सरकार ये कह रही है कि लाइसेंस से पहले सुरक्षा के मुद्दे अहम है, तो ये कहीं से गलत नहीं है। कब हुई थी कंपनी की शुरुआत?स्टारलिंक एक सैटेलाइट इंटरनेट सेवा है, जिसे SpaceX ने बनाया है। SpaceX एक अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी है। इसकी शुरुआत दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क ने 2002 में की थी।
Next Story
एलन मस्क की कंपनी को भारत में मिली हरी झंडी, Starlink पर सुरक्षा चिंता क्यों?
Send Push