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बनना था जूनियर इंजीनियर लेकिन बन गयी 'लेडी डॉन', फिर लिखी 'जेल- एक प्रेम कहानी' की पटकथा

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मुजफ्फरपुरः मुजफ्फरपुर के सकरा काशोपुर गांव की एक होनहार लड़की पूजा, पॉलिटेक्निक की प्रवेश परीक्षा में सेलेक्ट होती है। मेरिट रैंक अच्छा है इसलिए पटना पॉलिटेक्निक कॉलेज में उसका एडमिशन हो जाता है। एक उज्जवल भविष्य का सपना लिये पूजा तकनीकी शिक्षा हासिल करने के लिए पटना आती है। शुरू में सब ठीक रहता है। लेकिन जल्द ही वह शहरी चकाचौंध का शिकार हो जाती है। दूसरों की देखा देखी वह भी लग्जरी लाइफ की तमन्ना पालने लगती है। यहीं से इस मेधावी लड़की का रस्ता बदलने लगता है। चमक-दमक वाली जिंदगी के लिए पैसा चाहिए। लेकिन ये पैसा आएगा कहां से ? माता-पिता जो पैसा भेजते हैं उससे तो मुश्किल से रहना-पढ़ना होता है। तब उसने पैसा कमाने के लिए गलत रास्ता अख्तियार कर लिया।

लिफ्ट के बहाने गाड़ियों को लूटने का आरोप
आरोपों के मुताबिक, पूजा सड़क के किनारे खड़ा हो जाती और आने-जाने वाली गाड़ियों से लिफ्ट मांगती। कुछ गाड़ी वाले लड़की समझ कर लिफ्ट दे देते। जब पूजा गाड़ी पर सवार होती तो वह चालक को ऐसा रास्ता बताती जो सुनसान इलाके से गुजरता हो। ऐसी ही किसी जगह पर गाड़ी रोकने के लिए कहती। वहां पहले से उसके साथी मौजूद रहते। सभी मिल कर वाहन चाक को नशे का इंजेक्शन देकर बेहोश कर देते और गाड़ी लूट चंपत हो जाते। गाड़ी बेचकर पूजा पैसा कमाने लगी। इस काम उसने कुछ सहयोगी भी बना लिये। इस तरह से पूजा अपराध की दुनिया में दाखिल हो गयी। पूजा एक बार अपराध के दलदल में उतरी तो उसमें धंसती चली गयी। कहा जाता है कि पढ़ाई के दौरान ही उसकी मुलाकात कैलाश नाम के एक लड़के से हुआ थी। पूजा ,कैलाश और उसके साथी ने मिल कर अपहरण को धंधा बना लिया।


फिल्मी स्टाइल में अपहरण

ये बात जुलाई 2013 की है। मुजफ्फरपुर जिले के अमवा गांव के रहने वाले नीरज कुमार मैग्मा फाइनेंस कंपनी में काम करते थे। कंपनी के रुपयों की लेन-देन का हिसाब नीरज ही रखते थे। एक दिन नीरज ऑफिस से घर लौट रहे थे। वे बाइक पर सवार थे। तभी रास्ते में अचानक एक कार उनका पीछा करने लगी। कुछ दूर जाने के बाद पीछा कर गाड़ी ने नीरज को ओवरटेक कर रोक लिया। कार में बैठे लोगों ने हथियार के बल पर नीरज को अगवा कर लिया। नीरज को एक गुप्त स्थान रखा गया। इसके बाद अपहरणकर्ताओं ने नीरज के परिजनों से फिरौती की मांग की।

ऐसे वसूली फिरौती की रकम
नीरज का बहनोई पैसा लेकर अपहरणकर्ताओं की बतायी हुई जगह पर पहुंचा। अपहरणकर्ताओं ने उसे अकेले आने को कहा था लेकिन उसने ये बात नहीं मानी। वह साथ में चौकीदार को लेकर पहुंचा था। नीरज के बहनोई के साथ एक अन्य आदमी को देख अपहरणकर्ताओं ने गोलीबारी शुरू कर दी। वे गोली चलाते हुए वहां से भाग गये। फिर अगवा करने वालों ने गुस्से में नीरज के परिजनों से 50 हजार की फिरौती मांगी। इस बार उसके चाचा पैसा लेकर बतायी हुई जगह पर गये। फिरौती की रकम मिलने के बाद नीरज को छोड़ दिया गया। इस अपहरण कांड में पहली बार पूजा का नाम सामने आया था। हालांकि पुलिस ने अझात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

लेडी डॉन पूजा की गिरफ्तारी
नीरज अपहरण कांड के बाद पूजा किडनैपिंग गैंग का बड़ा नाम बन गयी। लोग उसके नाम से डरने लगे। अपराध की दुनिया में उसे लेडी डॉन कहा जाने लगा। 2013 में ही एक नयी स्कार्पियो की लूट हुई थी। शिवहर जिले के तरियानी थाना की पुलिस ने तहकीकात के बाद वृंदावन गांव में छापा मारा था। इस छापेमारी का दौरान पूजा और उसके सहयोगी राजेश को गिरफ्तार किया गया था। स्कॉर्पियो भी वहीं मिली थी। जब पूजा को गिरफ्तार किया गया था तब उसके पास से कई बैंक खाते, एटीएम, नशे का इंजेक्शन और पिस्तौल भी बरामद किया गया था। गिरफ्तारी के बाद पूजा को शिवहर जेल में रखा गया था।

मुकेश पाठक का अपराध की दुनिया में प्रवेश
जिस समय पूजा शिवहर जेल में आयी उस समय वहां मुकेश पाठक भी कैद था। मुकेश पाठक पूर्वी चम्पारण के सुलसाबाद गांव का रहने वाला है। उसका अपने चचेरे भाई प्रेमनाथ से जमीन को लेकर झगड़ा शुरू हो गया। एक दिन रात को मुकेश के घर पर भयंकर गोलीबारी हुई। इस घटना में मुकेश और उसकी तीन साल की बेटी की जान तो बच गयी लेकिन उसकी पत्नी सलोनी की मौत हो गयी। साजिश के तहत मुकेश को उसकी पत्नी की हत्या के मामले में फंसा दिया गया। मुकदमा चला। एक दिन कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुकेश की बेटी ने कहा कि उसकी मां को पिता नहीं बल्कि अंकल (प्रेमनाथ और सुशील) ने मारा है तो मामला पूरी तरह पलट गया। मुकेश को निर्दोष करार देते हुए रिहा कर दिया गया। बदले की आग में जल रहे मुकेश ने 2003 में प्रेमनाथ की हत्या कर दी। इसके बाद वह अपराध की दुनिया में दाखिल हो गया। कुछ समय बाद वह कुख्यात संतोष झा गैंग में शामिल हो गया।

शिवहर जेल में पूजा और मुकेश की मुलाकात
2012 में एसटीएफ ने मुकेश को रांची से गिरफ्तार किया था। पहले उसे मोतिहारी जेल में रखा गया था। इसके बाद उसे शिवहर जेल लाया गया था। शिवहर जेल में आने के बाद मुकेश पाठक की मुलाकात पूजा से हुई। जल्द ही मुकेश और पूजा एक दूसरे को पसंद करने लगे। फिर जेल कर्मियों की मिलीभगत से पूजा और मुकेश मिलने भी लगे। फिर उन्होंने विवाह करने का फैसला किया। जेल प्रशासन ने दोनों की शादी की मंजूरी दे दी। 14 अक्टूबर 2013 को जेल में ही जेलर रामचंद्र साफी, शिवहर के तत्कालीन एसपी हिमांशु त्रिवेदी औप अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में मुकेश और पूजा की शादी हो गयी।

पूजा के गर्भवती होने के बाद हड़कंप, जेलर निलंबित
शादी के बाद मुकेश जेल जेल कर्मियों को अपने तरीके से ‘खुश’ रखने लगा। इसके एवज में वह पूजा से मिलता था। इस बीच जुलाई 2015 में मुकेश पेशी के दौरान पुलिसवालों को नशा खिला कर फरार हो गया। कुछ दिन बाद जेल में पूजा की तबीयत खराब हो गयी तो उसे अस्पताल लाया गया। जांच के दौरान पता चला कि पूजा मां बनने वाली है। इसके बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। जेल मैनुअल के हिसाब किसी महिला कैदी का पुरुष कैदी से मिलना प्रतिबंधित था। कर्तव्यहीनता के आरोप में शिवहर के जेलर को निलंबित कर दिया गया। बाद में मार्च 2016 में पूजा ने एक पुत्री को जन्म दिया।

वेतन पर शूटर बहाल करता था मुकेश
इसके बाद मुकेश दरभंगा में दो इंजीनियरों की हत्या के बाद सुर्खियों में आया। रंगदारी वसूलने के लिए उसने एक बड़ा गैंग बना लिया था। कहा जाता है कि मुकेश अपने गैंग में वेतन के आधार पर शूटरों की बहाली करता था। शूटरों के साहस और सटीक निशाने के आधार पर वह वेतन देता था। न्यूनतम वेतन 10 हजार और अधिकतम वेतन 35 हजार रुपये थे। शूटरों को कपड़ा, खाने-पीने और रहने के लिए अगल से भत्ता मिलता था। आने जाने के लिए बाइक मिलती थी। इसलिए उसका गिरोह बहुत संगठित और खूंखार हो गया था।

शादी के बाद भी पूजा और मुकेश पर कानून का शिकंजा
शादी और बच्चे के जन्म के बाद भी 2017 में पूजा पर धमकी, रंगदारी और गिरोह का प्रचार करने के लिए दबाव डालने का आरोप लगा था। शिवहर के एक दवा दुकानदार ने इस मामले में पुलिस के पास शिकायत की थी। तब पुलिस ने पूजा को गिरफ्तार कर लिया था। इस घटना कुछ दिन पहले ही वह जमानत पर छूट कर बाहर आयी थी। मार्च 2025 में मुकेश 14 साल जेल में रहने बाद रिहा हुआ था। लेकिन चार महीने बाद जुलाई 2025 में वह रंगदारी और जमीन कब्जा के आरोप में फिर गिरफ्तार हो गया था।
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