पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने अपना बड़ा दांव चल दिया है। ऊपर दिख रही ये तस्वीर उसी की बानगी है। इस तस्वीर में पावर स्टार पवन सिंह छोटे भाई जबकि उपेंद्र कुशवाहा बड़े भाई की भूमिका में दिख रहे हैं। ये मुलाकात बेहद खास बन गई है। इस मुलाकात की चर्चा से सियासी गलियारे में भी खूब गहमा-गहमी है। बताया जा रहा है कि 5 अक्टूबर को पवन सिंह औपचारिक रूप से फिर से बीजेपी में शामिल हो जाएंगे।
पवन सिंह की बीजेपी में रीएंट्री के मायने समझिए
पवन सिंह ने लोकसभा चुनाव 2024 में आसनसोल से टिकट वापस लिए जाने के बाद बीजेपी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने काराकाट लोकसभा से निर्दलीय ताल ठोक दी। खुद तो जीत नहीं पाए लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के अलावा, आरा से आरके सिंह और औरंगाबाद से सुशील सिंह को हरवा दिया। चुनावी विश्लेषक तो यही कहते हैं। यही वजह है कि बीजेपी एक बार फिर से पवन सिंह को अपने पाले में ला रही है। लेकिन इसके पीछे एक बड़ी वजह और भी है।
क्या है बीजेपी का प्लान?
सवाल ये है कि आखिर बीजेपी का प्लान क्या है? क्यों चुनाव से पहले बीजेपी ने पवन सिंह को अपने पाले में किया? क्यों उनकी मुलाकात उपेंद्र कुशवाहा से ही कराई गई? क्या पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के जरिए बीजेपी ने कोई बड़ा प्लान तैयार कर लिया है? इन सब बातों को आपको दो पॉइंट में समझना पड़ेगा।
पहला पॉइंट- आरके सिंह की काट
आरा से लोकसभा चुनाव हारने के बाद से ही पूर्व नौकरशाह और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह यानी राजकुमार सिंह बीजेपी पर बुरी तरह से बिफरे हुए हैं। हाल ही में उन्होंने अपने यानी राजपूत समाज को यहां तक कह दिया था कि अपना वोट सोच समझ कर दें। कुल मिलाकर उन्होंने अपनी ही पार्टी बीजेपी पर हमला बोल दिया था। इन तेवरों के बाद बीजेपी को शायद ये डर सताने लगा कि सवर्णों में खासकर राजपूत वोटों में बिखराव हुआ तो लोकसभा वाला हाल कहीं बिहार विधानसभा चुनाव में न हो जाए। इसीलिए आरके सिंह के तेवर को देखते हुए बीजेपी ने उन्हीं की जाति राजपूत एक्टर पवन सिंह को भोजपुर (शाहाबाद रेंज) में चेहरा बनाने का फैसला किया है।
दूसरा पॉइंट- कुशवाहा को भी साध लेंगे
उपेंद्र कुशवाहा की हार के बाद भड़के कुशवाहा वोटरों की बड़ी जमात ने आरा और औरंगाबाद में बीजेपी का साथ नहीं दिया था। ऐसे में उनकी सुलह उपेंद्र कुशवाहा से करा कर बीजेपी ने कुशवाहा वोटरों को भी मैसेज दे दिया है। बीजेपी को ये उम्मीद है कि सुलह के बाद कुशवाहा वोटरों की वही जमात फिर से NDA के साथ आ जाएगी।
पवन सिंह की बीजेपी में रीएंट्री के मायने समझिए
पवन सिंह ने लोकसभा चुनाव 2024 में आसनसोल से टिकट वापस लिए जाने के बाद बीजेपी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने काराकाट लोकसभा से निर्दलीय ताल ठोक दी। खुद तो जीत नहीं पाए लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के अलावा, आरा से आरके सिंह और औरंगाबाद से सुशील सिंह को हरवा दिया। चुनावी विश्लेषक तो यही कहते हैं। यही वजह है कि बीजेपी एक बार फिर से पवन सिंह को अपने पाले में ला रही है। लेकिन इसके पीछे एक बड़ी वजह और भी है।
क्या है बीजेपी का प्लान?
सवाल ये है कि आखिर बीजेपी का प्लान क्या है? क्यों चुनाव से पहले बीजेपी ने पवन सिंह को अपने पाले में किया? क्यों उनकी मुलाकात उपेंद्र कुशवाहा से ही कराई गई? क्या पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के जरिए बीजेपी ने कोई बड़ा प्लान तैयार कर लिया है? इन सब बातों को आपको दो पॉइंट में समझना पड़ेगा।
पहला पॉइंट- आरके सिंह की काट
आरा से लोकसभा चुनाव हारने के बाद से ही पूर्व नौकरशाह और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह यानी राजकुमार सिंह बीजेपी पर बुरी तरह से बिफरे हुए हैं। हाल ही में उन्होंने अपने यानी राजपूत समाज को यहां तक कह दिया था कि अपना वोट सोच समझ कर दें। कुल मिलाकर उन्होंने अपनी ही पार्टी बीजेपी पर हमला बोल दिया था। इन तेवरों के बाद बीजेपी को शायद ये डर सताने लगा कि सवर्णों में खासकर राजपूत वोटों में बिखराव हुआ तो लोकसभा वाला हाल कहीं बिहार विधानसभा चुनाव में न हो जाए। इसीलिए आरके सिंह के तेवर को देखते हुए बीजेपी ने उन्हीं की जाति राजपूत एक्टर पवन सिंह को भोजपुर (शाहाबाद रेंज) में चेहरा बनाने का फैसला किया है।
दूसरा पॉइंट- कुशवाहा को भी साध लेंगे
उपेंद्र कुशवाहा की हार के बाद भड़के कुशवाहा वोटरों की बड़ी जमात ने आरा और औरंगाबाद में बीजेपी का साथ नहीं दिया था। ऐसे में उनकी सुलह उपेंद्र कुशवाहा से करा कर बीजेपी ने कुशवाहा वोटरों को भी मैसेज दे दिया है। बीजेपी को ये उम्मीद है कि सुलह के बाद कुशवाहा वोटरों की वही जमात फिर से NDA के साथ आ जाएगी।
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