खगड़िया: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सभी राजनीतिक दल पूरी तरह से कमर कस चुके हैं। एक ओर, सत्ता में शामिल एनडीए गठबंधन को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 'सुशासन सरकार' पर पूरा भरोसा है, जिसके दम पर बीजेपी-जेडीयू एक बार फिर से मिलकर सत्ता में लौटने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, विपक्षी दल भीजनता के बीच जनाधार बनाने की कोशिश में हैं। लेकिन चुनावी मैदान में प्रशांत किशोर की 'जन सुराज' के आने से मुकाबला रौचक हो गया है। अब नजरें इस बात पर हैं कि बेलदौर विधानसभा सीट पर जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है। आइए जानते हैं बेलदौर सीट के बारे में...
बेलदौर का बदलता समीकरण
कोसी नदी इस क्षेत्र की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था को काफी प्रभावित करती है। खगड़िया जिले की बेलदौर सीट, सामान्य निर्वाचन क्षेत्र है और गैर-आरक्षित है। यहां भी मुख्य लड़ाई बीजेपी और जेडीयू के एनडीए गठबंधन तथा आरजेडी और कांग्रेस के 'इंडिया' गठबंधन (महागठबंधन) के बीच मानी जा रही है। इस बार एनडीए में चिराग पासवान भी शामिल हैं, जिससे गठबंधन को मजबूती मिलने की उम्मीद है। 2020 में चिराग के एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने से जेडीयू को वोट प्रतिशत का नुकसान हुआ था, जिसका सीधा फायदा आरजेडी को मिला था। हालांकि जीत एनडीए के जेडीयू प्रत्याशी को मिले। लेकिन, इस बार प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी भी अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार है, जिससे बिहार के चुनावी समीकरण और भी रोचक हो चले हैं।
बेलदौर विधानसभा सीट: JDU का अभेद्य किला
चुनावी समीकरणों के बीच, बेलदौर विधानसभा सीट पर जेडीयू का दबदबा कायम है। यह सीट 2008 में अस्तित्व में आई और तब से लेकर अब तक हुए तीनों विधानसभा चुनावों में यहां के मतदाताओं ने हर बार जेडीयू उम्मीदवार को ही जीत दिलाई है। खास बात यह है कि बेलदौर सीट पर तीनों बार जेडीयू से पन्ना लाल सिंह पटेल ही विधायक बने हैं। 2020 के चुनाव में, बेलदौर में कुल 31.95% वोटिंग हुई थी, जिसमें पन्ना लाल सिंह पटेल ने कांग्रेस के चंदन यादव को 5108 वोटों के अंतर से हराया था। पटेल की कोशिश अब जीत का 'चौका' लगाने की होगी और उनके रिकॉर्ड को देखते हुए इसमें उन्हें कामयाबी मिल सकती है। पटेल का राजनीतिक करियर 2000 में चौथम विधानसभा से विधायक बनने के साथ शुरू हुआ था, और वे 2005 में भी वहां से जीते थे। 2008 में चौथम सीट खत्म होने और बेलदौर बनने के बाद से वह लगातार इस सीट पर काबिज हैं।
इस बार बेलदौर में किसके बीच मुकाबला?
इस बार इंडिया गठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी मिथिलेश कुमार निषाद मैदान में है। वहीं एनडीए से जेडीयू प्रत्याशी पन्ना लाल पटेल एक बार फिर मैदान में है। जबकि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से गजेन्द्र कुमार सिंह (निषाद) चुनावी मैदान में है।
बेलदौर में कितने वोटर्स?
चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, बेलदौर विधानसभा की कुल आबादी 5,46,574 है, जिसमें 2,82,397 पुरुष और 2,64,177 महिलाएं हैं। वहीं, कुल मतदाता 3,20,807 हैं, जिनमें 1,68,438 पुरुष, 1,52,358 महिलाएं, और 11 थर्ड जेंडर शामिल हैं। यहां पर 2010 में 56.61 प्रतिशत, 2015 में 59.29 प्रतिशत, और 2020 में 57.76 प्रतिशत मतदान हुआ। 2025 के चुनाव में एनडीए की एकजुटता साफ दिख रही है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन को बेलदौर में जीत के लिए बड़ा उलटफेर करना होगा। स्थानीय मुद्दों, जैसे बाढ़ और कृषि, के साथ-साथ विपक्ष की रणनीति इस चुनाव को रोचक बना सकती है।
बेलदौर का बदलता समीकरण
कोसी नदी इस क्षेत्र की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था को काफी प्रभावित करती है। खगड़िया जिले की बेलदौर सीट, सामान्य निर्वाचन क्षेत्र है और गैर-आरक्षित है। यहां भी मुख्य लड़ाई बीजेपी और जेडीयू के एनडीए गठबंधन तथा आरजेडी और कांग्रेस के 'इंडिया' गठबंधन (महागठबंधन) के बीच मानी जा रही है। इस बार एनडीए में चिराग पासवान भी शामिल हैं, जिससे गठबंधन को मजबूती मिलने की उम्मीद है। 2020 में चिराग के एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने से जेडीयू को वोट प्रतिशत का नुकसान हुआ था, जिसका सीधा फायदा आरजेडी को मिला था। हालांकि जीत एनडीए के जेडीयू प्रत्याशी को मिले। लेकिन, इस बार प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी भी अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार है, जिससे बिहार के चुनावी समीकरण और भी रोचक हो चले हैं।
बेलदौर विधानसभा सीट: JDU का अभेद्य किला
चुनावी समीकरणों के बीच, बेलदौर विधानसभा सीट पर जेडीयू का दबदबा कायम है। यह सीट 2008 में अस्तित्व में आई और तब से लेकर अब तक हुए तीनों विधानसभा चुनावों में यहां के मतदाताओं ने हर बार जेडीयू उम्मीदवार को ही जीत दिलाई है। खास बात यह है कि बेलदौर सीट पर तीनों बार जेडीयू से पन्ना लाल सिंह पटेल ही विधायक बने हैं। 2020 के चुनाव में, बेलदौर में कुल 31.95% वोटिंग हुई थी, जिसमें पन्ना लाल सिंह पटेल ने कांग्रेस के चंदन यादव को 5108 वोटों के अंतर से हराया था। पटेल की कोशिश अब जीत का 'चौका' लगाने की होगी और उनके रिकॉर्ड को देखते हुए इसमें उन्हें कामयाबी मिल सकती है। पटेल का राजनीतिक करियर 2000 में चौथम विधानसभा से विधायक बनने के साथ शुरू हुआ था, और वे 2005 में भी वहां से जीते थे। 2008 में चौथम सीट खत्म होने और बेलदौर बनने के बाद से वह लगातार इस सीट पर काबिज हैं।
इस बार बेलदौर में किसके बीच मुकाबला?
इस बार इंडिया गठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी मिथिलेश कुमार निषाद मैदान में है। वहीं एनडीए से जेडीयू प्रत्याशी पन्ना लाल पटेल एक बार फिर मैदान में है। जबकि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से गजेन्द्र कुमार सिंह (निषाद) चुनावी मैदान में है।
बेलदौर में कितने वोटर्स?
चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, बेलदौर विधानसभा की कुल आबादी 5,46,574 है, जिसमें 2,82,397 पुरुष और 2,64,177 महिलाएं हैं। वहीं, कुल मतदाता 3,20,807 हैं, जिनमें 1,68,438 पुरुष, 1,52,358 महिलाएं, और 11 थर्ड जेंडर शामिल हैं। यहां पर 2010 में 56.61 प्रतिशत, 2015 में 59.29 प्रतिशत, और 2020 में 57.76 प्रतिशत मतदान हुआ। 2025 के चुनाव में एनडीए की एकजुटता साफ दिख रही है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन को बेलदौर में जीत के लिए बड़ा उलटफेर करना होगा। स्थानीय मुद्दों, जैसे बाढ़ और कृषि, के साथ-साथ विपक्ष की रणनीति इस चुनाव को रोचक बना सकती है।
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