अभिनव सिंह, अयोध्या: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में नए वक्फ कानून को लेकर हिंसा भड़की थी, जिसमें बाप-बेटे की हत्या कर दी गई थी। वहीं, कई परिवार अपना घर छोड़कर दूसरे जिले में शरण लिए हुए हैं। ममता बनर्जी लगातार इसके लिए केंद्र सरकार को दोष दे रही हैं। वहीं, राम नगरी में ममता बनर्जी के खिलाफ अनोखा विरोध-प्रदर्शन किया गया। ममता बनर्जी की सांकेतिक चिता सजाई गई और इसके बाद संतों ने मुखाग्नि देखकर ममता बनर्जी का अंतिम संस्कार किया। पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर हो रही बर्बरता से अयोध्या के संत नाराज हैं। विश्व हिंदू परिषद के देशव्यापी आंदोलन के बाद अब संत भी मुखर होकर कर रहे हैं। ममता बनर्जी का विरोध देशभर में बढ़ता जा रहा है। कहीं पर हिंदुओं के लिए प्राण रक्षा यज्ञ, कहीं पर ममता बनर्जी की चिता सजाई गई है। संत समाज ने कहा कि 21वीं सदी का संत अब भागने में विश्वास नहीं करता, भगाने में विश्वास करता है। इस पूरे मामले पर अयोध्या के संत दिवाकराचार्य ने बताया कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी की निर्दयता और निर्ममता को अलोकतांत्रिक, अवैधानिक प्रक्रिया को अयोध्या श्मशान घाट पर मुखाग्नि दी गई। पूरे देश से हिंदुओं को संगठित कर पश्चिम बंगाल के हिंदुओं को संदेश देने का काम किया है कि 21वीं शताब्दी का हिंदू डरने का नहीं डराने का काम करता है। भागने का नहीं, भागने का काम करता है। पश्चिम बंगाल के हिन्दू संगठित होकर ममता बनर्जी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कार्य करें। अयोध्या के संतों ने कहा कि एक बात स्पष्ट है कि ममता बनर्जी चाहती हैं कि पश्चिम बंगाल हिन्दू विहीन हो जाए। पश्चिम बंगाल में मिनी पाकिस्तान बने, उससे पहले वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर ममता बनर्जी के ऊपर प्रशासनिक कार्रवाई राष्ट्रपति जी करें।
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