नार्सिस्ट सोच वाले माता पिता खुद की पर्सनालिटी को लेकर इतने मोहित होते हैं कि उन्हें बाकी दुनिया के साथ अपने बच्चों से भी ईर्ष्या होने लगती है। उन्हें अपने से आगे बढ़ते लोग अच्छे ही नहीं लगते हैं। ऐसे पेरेंट्स के व्यवहार से ही उनके नार्सिस्ट होने का पता चल जाएगा। उनके ऐसा करने की वजह और दूसरे लक्षणों पर बात की है नारायणा हॉस्पिटल में कंसल्टेंट साइकिएट्री डॉ. गोपाल भाटिया ने।
दूरी बनाना आसान नहीं
जब पेरेंट्स बच्चों से ईर्ष्या महसूस करते हैं तो उनके साथ पूरा दिन गुजारना बिल्कुल आसान नहीं होता है। ठीक इसी तरह इन पेरेंट्स से दूरी बनाना भी कठिन हो सकता है। दरअसल पेरेंट्स के साथ बच्चों का भावनात्मक जुड़ाव काफी गहरा होता है। इसलिए उनसे दूरी बनाना ठीक वैसा ही महसूस कराता है जैसे खुद को खुद से ही अलग कर दिया हो। इस सोच को जिंदगी में उतरना आसान हो ही नहीं सकता है।
(सांकेतिक तस्वीर)
नार्सिस्ट पेरेंट्स हैं तो

अब आपने पहचान लिया है कि आपके पेरेंट्स नार्सिस्ट वाले खांचे में फिट बैठते हैं तो आपको कुछ खास कदम उठाने होंगे-
सीमा तय करें- आपको तय करना होगा कि आप किस व्यवहार को सहन करेंगे और किसको नहीं।
प्रोफेशनल मदद लें- प्रोफेशनल थैरेपी के साथ भावनात्मक दिक्कतों को हैंडल करना आसान हो सकता है।
व्यक्तिगत जानकारी- नार्सिस्ट पेरेंट्स से बातचीत करके अपनी मानसिक स्थिति बिगाड़ने से अच्छा है कि आप उनसे अपनी बातें कम ही बताएं। यह खुद का मानसिक संतुलन बनाने का अच्छा तरीका हो सकता है।
अपनी वैल्यू समझें- याद रखिए कि आपकी वैल्यू आपके पेरेंट्स की मंजूरी पर निर्भर नहीं करती है। इस बात को दिनभर में कई बार खुद को याद जरूर दिलाइए।
(फोटो साभार:freepik)
गिल्ट ट्रिप पर कौन

भले ही ऐसे पेरेंट्स बच्चों के साथ गलत करते हों लेकिन उन्हें इस बात का अफसोस बिल्कुल नहीं होता है। बल्कि वह बच्चों को ही गिल्ट ट्रिप में फंसा देते हैं। जैसे वह बच्चों से पूछेंगे कि अब हम लोग उतने करीब क्यों नहीं हैं। वो ऐसे दिखाएंगे जैसे आपने ही आपसी रिश्ते खराब कर दिए हैं। बच्चे इस गिल्ट के चलते अलग होने वाली बात तो सोच ही नहीं पाते हैं। उन्हें तो उनकी कमियां दिखाई जाती हैं इसलिए वह सिर्फ अपनी कमियों को दूर करने की कोशिशों में ही लगे रहते हैं।
(फोटो साभार: freepik)
नर्सिस्ट पेरेंट्स के सामान्य लक्षण
जब माता पिता बच्चों की सफलता का उत्साह मनाने की बजाए उनसे प्रतियोगिता करने लगें तो उनकी पर्सनालिटी में कुछ खास लक्षण नजर आने लगते हैं, यह हैं-
मूड में बदलाव- ऐसे पेरेंट्स का मूड अचानक से बदल जाता है। उनका मूड दूसरों से आपको मिलने वाले प्यार पर भी निर्भर करता है।
पसंद नापसंद- उनका व्यवहार अक्सर आपकी प्रशंसा करने और फिर नीचा दिखाने के बीच झूलता रहता है। यह अपनी सोच के हिसाब से वह तय करते हैं।
दूरी बनाएंगे-ऐसे पेरेंट्स आपके साथ ही उन लोगों के साथ भी दूरी बना लेते हैं, जो आपको सपोर्ट करते हैं।
परफेक्ट छवि- ऐसे लोग अपनी परफेक्ट छवि को लेकर बहुत मेहनत करते हैं। फिर जब आपकी व्यक्तिगत उन्नति उनकी इस छवि को कमतर करती हैं तो पेरेंट्स का व्यवहार बदल जाता है।
अपनी उपलब्धि-अपनी व्यक्ति उपलब्धि का गुणगान करना भी ऐसे पेरेंट्स की निशानी होती है।
आपकी जरूरतें- आपकी अपनी भावनात्मक जरूरतें, आजादी और परिपक्वता भी उन्हें पचती नहीं है।
आपकी भावनाएं- ऐसे पेरेंट्स बच्चों की भावनाओं और अनुभवों का मूल्य नहीं समझते हैं बल्कि उन्हें नजर अंदाज करते हैं।
(सांकेतिक तस्वीर)
पेरेंट्स को क्यों होती है जलन
अधिकांश मामलों में अनसुलझी मानसिक स्थितियों और अपनी कमजोर छवि की वजह से पेरेंट्स ऐसा करते हैं। उनके लिए अपने बच्चे की सफलता एक चुनौती जैसी होती है। वह इसे अपनी छवि और अहमियत के लिए खतरा मान लेते हैं। इसलिए वह यह नही समझ पाते हैं कि उनके बच्चों को उनका प्रोत्साहन चाहिए और फिर वह बच्चों के साथ ही प्रतियोगिता करने लगते हैं।
(सांकेतिक तस्वीर)
पेरेंट्स की जलन को समझें

नर्सिस्ट पेरेंट्स को समझना काफी भ्रामक और कठिन हो सकता है। दरअसल जितना यह मानना कठिन है कि पेरेंट्स अपने बच्चों से जलते हैं, उससे कहीं ज्यादा कठिन यह मानना है कि आपके अपने पेरेंट्स भी ऐसा कर सकते हैं। पेरेंट्स के खराब व्यवहार और कड़वी बातों के बीच उनकी जलन को भांपना खासतौर पर बच्चों के लिए आसान प्रक्रिया बिल्कुल नहीं होती है। ऐसे माता पिता सामने से जलन दिखाते भी नहीं हैं बल्कि छोटी-छोटी हरकतों में उनकी ईर्ष्या नजर आ सकती है।
(सांकेतिक तस्वीर)
ऐसा हुआ है आपके साथ?

आपके माता पिता के साथ आपके रिश्ते कभी भी हेल्दी नहीं रहे हैं। आपको लगता है कि वो आपके साथ भी खुद को बेहतर दिखाने की होड़ में लगे हुए हैं। उनको दुनिया में सबसे आगे रहना है और इसके चलते वो हर एक शख्स से जलन महसूस करते हैं। अब तो इन लोगों में उनके बच्चे भी शामिल हो चुके हैं तो हां, आपके पेरेंट्स नार्सिस्ट सोच रखते हैं। ऐसे बच्चों को अपने माता पिता का वैसा प्यार मिल ही नहीं पाता है जो अच्छी परवरिश के लिए जरूरी होता है। इसका असर बच्चों की पर्सनालिटी पर भी होता है। वह भावनात्मक तौर पर मजबूत नहीं बन पाते हैं। जरूरी है कि ऐसे पेरेंट्स खुद को ठीक करने के प्रयास करें ताकि बच्चों का जीवन बेहतर हो सके।
(सांकेतिक तस्वीर)
निष्कर्ष
पेरेंट्स की ईर्ष्या एक कठिन विषय है और इसको पहचानने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप उनसे कम प्यार करते हैं। बात सिर्फ इतनी सी है कि आपको अपनी बेहतरी और भावनात्मक हेल्थ को भी अहमियत देनी होगी। सुधार के साथ जागरूकता बढ़ेगी और फिर वहीं से आप अपने आत्म सम्मान और शान्ति की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। पेरेंट्स भी अपनी सोच के दूसरे पहलू को महसूस कर सकेंगे। तब उनके बच्चों एक साथ रिश्ते भी अच्छे होंगे।
(फोटो साभार: freepik)
You may also like
Corona Patients In India Update: कोरोना के मरीजों की संख्या में और बढ़ोतरी, बीते 24 घंटे में इतने लोगों ने कोविड-19 वायरस की वजह से गंवाई जान
Dhoom 4: 'धूम 4' को निर्देशित करेगा ये डायरेक्टर, रणबीर कपूर के साथ बॉलीवुड में पहले भी दीं हिट फिल्में
उर्दू शिक्षक की हत्या के लिए मौलाना ने दी थी सुपारी, दो किलर के साथ गिरफ्तार
यूपी में शिक्षामित्रों की बढ़ेगी सैलरी, इन 12 अहम प्रस्तावों पर लग सकती है मुहर
आईपीएल 2025 : इस बार फैंस को आरसीबी से खिताबी जीत की उम्मीद, मंदिर में चल रही विशेष पूजा