ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर मालिकों की ओर से लंबे समय से मरम्मत में देरी और सर्विस सपोर्ट की कमी की बढ़ती शिकायतों के बीच गोवा राज्य के परिवहन विभाग ने कंपनी का ट्रेड सर्टिफिकेट (Trade Certificate) निलंबित कर दिया है। इसका मतलब है कि गोवा में ओला कंपनी के सभी नए वीकल्स की बिक्री प्रभावी रूप से रोक दी गई है। डिपार्टमेंट ने वाहन पंजीकरण पोर्टल (Vahan Registration Portal) पर ओला इलेक्ट्रिक सभी रजिस्ट्रेशंस को भी ब्लॉक कर दिया है। यह किसी भी राज्य द्वारा ओला कंपनी के खिलाफ अब तक की सबसे कड़ी कार्रवाई है।
क्यों लिया गया यह सख्त फैसला?अधिकारियों ने बताया कि यह फैसला सर्विस फेलियर और कंपनी द्वारा मौजूदा ग्राहकों की चिंताओं को दूर करने में असमर्थता की बार-बार की रिपोर्टों के बाद लिया गया है। यह कदम तब उठाया गया जब कुछ दिन पहले हजारों ओला स्कूटरों के मालिकों ने RTO (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) अधिकारियों से मुलाकात की और सर्विस से जुड़ी समस्याओं के बारे में बताया। इनमें नॉन-फंक्शनल सर्विस नेटवर्क, स्पेयर पार्ट्स की कमी, अस्पष्ट वारंटी प्रोटोकॉल और महीनों तक बिना मरम्मत के पड़े स्कूटरों जैसी समस्याएं शामिल थी।
ग्राहकों को कंज्यूमर कोर्ट जाने की सलाहपरिवहन विभाग के अधिकारियों ने पुष्टि की कि उन्होंने प्रभावित उपभोक्ताओं को कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ता अदालत में औपचारिक रूप से शिकायत दर्ज करने के लिए सूचित किया है। एक अधिकारी ने कहा कि "शिकायतों की मात्रा और कंपनी की तरफ से अपर्याप्त समाधान को देखते हुए उपभोक्ताओं को समाधान के लिए उपभोक्ता अदालत जाने की सलाह दी गई है।" विभाग ने स्वीकार किया कि सर्विस सपोर्ट में आई यह खराबी गंभीर है और वे कंपनी से नियमों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए राज्य सरकार के साथ कोऑर्डिनेट कर रहे हैं।
भविष्य के खरीदारों को सुरक्षाअधिकारियों ने पुष्टि की कि यह अब तक के सबसे सख्त सरकारी हस्तक्षेपों में से एक है। ओला स्कूटरों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी गई है और यह तब तक जारी रहेगी जब तक कंपनी पर्याप्त आफ्टर-सेल्स सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित नहीं कर देती। अधिकारियों ने संकेत दिया कि यह कदम भविष्य के खरीदारों को सर्विस की मौजूदा समस्या से बचाने के लिए जरूरी था, क्योंकि इसकी वजह से कई मौजूदा ग्राहक महीनों तक अपने स्कूटर का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।
आरटीओ ने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद ओला ने अस्थायी सर्विस टीमें भेजी थीं, लेकिन यह राहत बहुत कम समय तक रही और शिकायतों का बैकलॉग फिर से बढ़ गया। सोशल मीडिया पर भी आए दिन लोग ओला कंपनी की खराब सर्विस के वीडियो शेयर करते रहते हैं और कंपनी को खरी-खोटी भी सुनाते रहते हैं।
क्यों लिया गया यह सख्त फैसला?अधिकारियों ने बताया कि यह फैसला सर्विस फेलियर और कंपनी द्वारा मौजूदा ग्राहकों की चिंताओं को दूर करने में असमर्थता की बार-बार की रिपोर्टों के बाद लिया गया है। यह कदम तब उठाया गया जब कुछ दिन पहले हजारों ओला स्कूटरों के मालिकों ने RTO (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) अधिकारियों से मुलाकात की और सर्विस से जुड़ी समस्याओं के बारे में बताया। इनमें नॉन-फंक्शनल सर्विस नेटवर्क, स्पेयर पार्ट्स की कमी, अस्पष्ट वारंटी प्रोटोकॉल और महीनों तक बिना मरम्मत के पड़े स्कूटरों जैसी समस्याएं शामिल थी।
ग्राहकों को कंज्यूमर कोर्ट जाने की सलाहपरिवहन विभाग के अधिकारियों ने पुष्टि की कि उन्होंने प्रभावित उपभोक्ताओं को कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ता अदालत में औपचारिक रूप से शिकायत दर्ज करने के लिए सूचित किया है। एक अधिकारी ने कहा कि "शिकायतों की मात्रा और कंपनी की तरफ से अपर्याप्त समाधान को देखते हुए उपभोक्ताओं को समाधान के लिए उपभोक्ता अदालत जाने की सलाह दी गई है।" विभाग ने स्वीकार किया कि सर्विस सपोर्ट में आई यह खराबी गंभीर है और वे कंपनी से नियमों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए राज्य सरकार के साथ कोऑर्डिनेट कर रहे हैं।
भविष्य के खरीदारों को सुरक्षाअधिकारियों ने पुष्टि की कि यह अब तक के सबसे सख्त सरकारी हस्तक्षेपों में से एक है। ओला स्कूटरों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी गई है और यह तब तक जारी रहेगी जब तक कंपनी पर्याप्त आफ्टर-सेल्स सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित नहीं कर देती। अधिकारियों ने संकेत दिया कि यह कदम भविष्य के खरीदारों को सर्विस की मौजूदा समस्या से बचाने के लिए जरूरी था, क्योंकि इसकी वजह से कई मौजूदा ग्राहक महीनों तक अपने स्कूटर का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।
आरटीओ ने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद ओला ने अस्थायी सर्विस टीमें भेजी थीं, लेकिन यह राहत बहुत कम समय तक रही और शिकायतों का बैकलॉग फिर से बढ़ गया। सोशल मीडिया पर भी आए दिन लोग ओला कंपनी की खराब सर्विस के वीडियो शेयर करते रहते हैं और कंपनी को खरी-खोटी भी सुनाते रहते हैं।
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