सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं में अंतरिम राहत देने के मुद्दे पर 20 मई को सुनवाई करेगा।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ‘वक्फ बाई यूजर’ या ‘वक्फ बाई डीड’ द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के अधिकार समेत तीन मुद्दों पर अंतरिम निर्देश पारित करने के मामले में दलीलें सुनेगी।
दूसरा मुद्दा राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना से संबंधित याचिकाओं में उठाया गया जहां उनकी दलील है कि पदेन सदस्यों के अलावा केवल मुसलमानों को इसका परिचालन करना चाहिए।
तीसरा मुद्दा उस प्रावधान से संबंधित है, जिसके अनुसार, जब कलेक्टर यह पता लगाने के लिए जांच करेगा कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, तो वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा।
प्रधान न्यायाधीश ने याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित करते हुए कहा, ‘‘हम अंतरिम राहत के मुद्दे पर मंगलवार को ही विचार करेंगे।’’
पीठ ने कानून की वैधता को चुनौती देने वालों की ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अन्य तथा केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सोमवार 19 मई तक अपने लिखित नोट्स जमा करने को कहा।
दोनों पक्षों के वकीलों ने पीठ को सूचित किया कि न्यायाधीशों को दलीलों का अध्ययन करने में और समय लग सकता है।
इस बीच मेहता ने कहा कि किसी भी मामले में केंद्र सरकार का यह आश्वासन है कि किसी भी वक्फ संपत्ति को, जिसमें ‘वक्फ बाई यूजर’ द्वारा स्थापित संपत्तियां भी शामिल हैं, गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा।
इससे पहले विधि अधिकारी ने यह आश्वासन भी दिया था कि नए कानून के तहत केंद्रीय वक्फ परिषद या राज्य वक्फ बोर्डों में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
पीठ ने कहा कि वह 20 मई को 1995 के पिछले वक्फ कानून के प्रावधानों पर रोक लगाने के अनुरोध वाली किसी याचिका पर विचार नहीं करेगी।
इससे पहले मामले में पूर्व प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई कर रही थी। वह 13 मई को सेवानिवृत्त हो गए और मामलों को न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली पीठ को भेज दिया गया।
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