देश में एक बार फिर कफ सिरप को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। कोल्ड्रिफ सिरप से हुई बच्चों की मौत के बाद केंद्र से लेकर कई राज्यों की सरकारें हरकत में आ गई हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में दर्जनों बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न दिया जाए।
एनएचआरसी ने मांगी रिपोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका
ANI की खबर के अनुसार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों को नोटिस भेजा है। आयोग ने इन राज्यों से पूछा है कि दूषित कफ सिरप से हुई मौतों की जांच अब तक किस स्तर पर पहुंची है। साथ ही नकली या खतरनाक दवाओं की बिक्री पर तुरंत प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए गए हैं। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें मांग की गई है कि दवाओं के निर्माण, परीक्षण और वितरण की जांच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की देखरेख में कराई जाए। याचिकाकर्ता ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की भी अपील की है।
महाराष्ट्र एफडीए की चेतावनी: खतरनाक रासायनिक तत्व मिले
महाराष्ट्र के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर बताया कि ‘रेस्पिफ्रेश टीआर’ और ‘रीलाइफ कफ सिरप’ में डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की मात्रा सुरक्षित सीमा से अधिक पाई गई है। यह रसायन बेहद विषैला होता है और शरीर के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। राज्य सरकार ने इन सिरप्स की बिक्री, वितरण और उपयोग पर रोक लगा दी है, साथ ही सभी लाइसेंसधारकों को आदेश दिया है कि किसी भी बचे हुए स्टॉक की तुरंत जानकारी दें।
तमिलनाडु में फैक्ट्री निरीक्षण में बड़े खुलासे
तमिलनाडु सरकार की 44 पन्नों की रिपोर्ट में कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसेन फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर (कांचीपुरम) पर गंभीर लापरवाहियों का पर्दाफाश हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार—
कंपनी गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP) के मानकों का पालन नहीं कर रही थी। सिरप में गैर-फार्मास्यूटिकल ग्रेड प्रोपलीन ग्लाइकोल का उपयोग किया गया। केमिकल बिना बिल के 50-50 किलो के पैक में खरीदे गए और भुगतान नकद या गूगल-पे से किया गया।
विषैले रसायनों से बना सिरप, फैक्ट्री का लाइसेंस निलंबित
निरीक्षण में पाया गया कि कंपनी द्वारा खरीदे गए प्रोपलीन ग्लाइकोल में 48.6% डायथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल मौजूद थे — ये दोनों ही रसायन शरीर के लिए अत्यधिक विषैले हैं। फैक्ट्री का वातावरण भी बेहद अस्वच्छ था — कीचड़, गंदगी और कीड़ों से भरे कमरे में दवाएं तैयार और स्टोर की जा रही थीं। इन गंभीर खामियों के बाद तमिलनाडु सरकार ने कंपनी का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
पंजाब ने भी लगाया प्रतिबंध
मध्य प्रदेश में हुई 21 बच्चों की मौत के बाद पंजाब सरकार ने भी कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया है। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने आदेश जारी कर सभी फार्मेसियों से इस सिरप को हटाने के निर्देश दिए। वहीं, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में इस मामले में आरोपी डॉ. प्रवीण सोनी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। मध्य प्रदेश में कुल 21 बच्चों की मौत हुई — जिनमें छिंदवाड़ा में 18, बैतूल में 2 और पांढुर्ना में 1 बच्चा शामिल है। राजस्थान में भी तीन बच्चों की मौत की पुष्टि हुई है।
केरल और उत्तर प्रदेश में भी बैन
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने घोषणा की कि राज्य में भी कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई है। उन्होंने एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है जो कफ सिरप की गुणवत्ता और वितरण की निगरानी करेगी। उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी निजी अस्पताल या फार्मेसी इस सिरप को बेच न सके। राज्य में पहले ही एंटीबायोटिक्स पर नियंत्रण के सख्त नियम लागू हैं।”
उत्तर प्रदेश सरकार ने भी कोल्ड्रिफ सिरप पर बैन लगाया है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा, “यह बेहद दुखद है कि इतने मासूम बच्चों ने इस सिरप के सेवन के बाद अपनी जान गंवा दी। हमारी सरकार ने कभी भी ऐसी दवा की खरीद नहीं की है।”
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