नई दिल्ली, 28 मई . भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने बुधवार को कहा कि भारत और मॉस्को के बीच ‘एस-400’ वायु रक्षा प्रणाली की अन्य यूनिट्स की खरीद पर चर्चा जारी है. दोनों देश रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की प्रक्रिया को जारी रखे हुए हैं.
के साथ विशेष बातचीत में अलीपोव ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की विभिन्न रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए ‘एस-400’ प्रणाली और संयुक्त रूप से निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलों के प्रदर्शन को ‘अनुकरणीय’ बताया.
अलीपोव ने कहा, “जहां तक हमें पता है, भारत ने स्पष्ट रूप से लक्ष्य बताए हैं. वहीं, लक्ष्यों और आतंकवादियों की पहचान करने के बाद कार्रवाई की है. ऑपरेशन के दौरान ‘एस-400’ प्रणाली का इस्तेमाल किया गया और ब्रह्मोस मिसाइलों का उपयोग किया गया. उपलब्ध रिपोर्ट्स के अनुसार, इन हथियारों का प्रदर्शन अनुकरणीय था.”
रक्षा के क्षेत्र में भारत का रूस के साथ दीर्घकालिक और व्यापक सहयोग रहा है. यह सहयोग आईआरआईजीसी-एमएंडएमटीसी तंत्र द्वारा निर्देशित है. इसकी अध्यक्षता दोनों देशों के रक्षा मंत्री करते हैं. दोनों देश दीर्घकालिक साझेदार हैं और कई द्विपक्षीय परियोजनाओं में शामिल हैं. इनमें एस-400 की आपूर्ति, टी-90 टैंकों और एसयू-30 एमकेआई का लाइसेंस प्राप्त उत्पादन, मिग-29 और कामोव हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति, आईएनएस विक्रमादित्य (पूर्व में एडमिरल गोर्शकोव), भारत में एके-203 राइफलों का उत्पादन और ब्रह्मोस मिसाइलें शामिल हैं.
नई दिल्ली और मॉस्को ने स्वीकार किया है कि समय के साथ सैन्य तकनीकी सहयोग खरीद-बिक्री ढांचे से विकसित होकर उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी और प्रणालियों के संयुक्त अनुसंधान और विकास, सह-विकास और संयुक्त उत्पादन से जुड़ा है.
भारतीय सेना ने इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान की तरफ से हुए हमले की जवाबी कार्रवाई में ‘एस-400’ वायु रक्षा प्रणाली का इस्तेमाल किया था. ‘एस-400’ की मदद से पाकिस्तानी मिसाइलों को मार गिराया गया.
सूत्रों के मुताबिक, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता में ‘एस-400’ के योगदान के बाद रणनीतिक योजना और सैन्य तैयारियों को देखते हुए नई दिल्ली जल्द ही और अधिक एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीद सकती है.
अलीपोव ने बताया, “इस विशेष विषय पर, अन्य कई विषयों की तरह, हमारी चर्चा जारी है. यह निरंतर चल रही है, लेकिन मेरे लिए इस समय इसके परिणामों के बारे में बात करना गलत और समय से पहले होगा.”
अलीपोव ने कहा, “मॉस्को भी ‘मेड इन इंडिया’ ‘ब्रह्मोस’ मिसाइलों से बहुत संतुष्ट है. यह रूस-भारत संयुक्त सहयोग का उत्पाद है. हमारा एक संयुक्त उद्यम है, जो इन हथियारों की डिजाइन और उत्पादन करता है.”
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पीएके/एबीएम
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