अमरावती, 16 सितंबर . वर्ष 2023 को ‘मोटे अनाज वर्ष’ (अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स दिवस) के रूप में घोषित किए जाने के बाद, देशभर में मिलेट्स यानी मोटे अनाज को लेकर जागरूकता और खेती का चलन तेजी से बढ़ा. इस पहल से न केवल किसानों को नई उम्मीद मिली है, बल्कि लोगों को भी स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का विकल्प मिला है.
इसी दिशा में अमरावती जिले के निवासी किसान रवींद्र ढोकणे ने भी एक सराहनीय कदम उठाया है. उन्होंने अकोला स्थित डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ से मिलेट्स की खेती को लेकर प्रशिक्षण प्राप्त किया और अब तक 360 किसानों को इस योजना से जोड़ा है. इसके अलावा मेलघाट (चिखलदरा) क्षेत्र के भी 100 किसान इस योजना पर कार्य कर रहे हैं.
रवींद्र ढोकणे ने से बातचीत में कहा, “मैं अमरावती जिले के गणेशपुर गांव का निवासी हूं और पीएम मोदी को उनके जन्मदिन पर ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं. जब 2023 को मोटे अनाज का वर्ष घोषित किया गया, तो मुझे प्रेरणा मिली और मैंने इस दिशा में काम शुरू किया. मैंने एक ‘फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी’ की स्थापना की है, जिसके जरिए हम मिलेट्स पर काम कर रहे हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने किसानों को बीज उपलब्ध करवाकर उन्हें मोटे अनाज की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है. आज हमारे साथ 360 किसान जुड़ चुके हैं और मेलघाट के 100 किसान भी इस कार्य में भागीदारी कर रहे हैं.”
रवींद्र ढोकणे का कहना है कि वह ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान के तहत मिलेट्स से बने अलग-अलग उत्पाद भी तैयार कर रहे हैं, ताकि बाजार में स्थानीय स्तर पर मिलेट्स की मांग बढ़े और किसानों को लाभ मिले.
उन्होंने मोटे अनाज की उपयोगिता को समझाते हुए कहा, “मिलेट्स ग्लूटेन-फ्री होते हैं और इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी काफी कम होता है. ये शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति देते हैं और एक स्वस्थ जीवन जीने में मदद करते हैं. आज हर घर में कोई न कोई बीमारी से जूझ रहा है, ऐसे में मिलेट्स एक वरदान बनकर उभर सकते हैं.”
रवींद्र ढोकणे ने Prime Minister Narendra Modi और मिलेट्स को लोकप्रिय बनाने वाले वैज्ञानिक डॉ. खादर वली का भी आभार जताया और कहा कि ये दोनों देश को निरोग India बनाने की दिशा में बड़ा योगदान दे रहे हैं.
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वीकेयू/डीएससी
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