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'नशा निषेध दिवस' लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करने का दिन

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नई दिल्ली, 25 जून . यदि आप नशीली दवाओं का इस्तेमाल करते हैं तो यह आपके लिए घातक साबित हो सकता है. नशीली दवाओं के इंजेक्शन से एचआईवी के संक्रमण का शिकार होने के साथ लोग एड्स, हेपेटाइटिस और अन्य संक्रामक रोगों से भी इसकी वजह से पीड़ित हो रहे हैं. हर साल नशीली दवाओं के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए ‘नशा निषेध दिवस’ मनाया जाता है.

इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को नशे की लत से होने वाले खतरों के बारे में बताना है. साथ ही अवैध दवा व्यापार के जोखिमों के बारे में भी जागरूक करना है.

संयुक्त राष्ट्र की ओर से शुरू किया गया यह दिन नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और इसके अवैध व्यापार को रोकने के लिए वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहित करता है. इसका उद्देश्य एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना है जो नशे की लत से मुक्त हो, जिसमें समुदायों को शिक्षा, रोकथाम और पुनर्वास के माध्यम से सशक्त किया जाए.

‘नशा निषेध दिवस’ को मनाने के पीछे उद्देश्य लोगों को इसके प्रति जागरूक करना है. नशीली दवाओं का सेवन करने से शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आर्थिक नुकसान होता है. इस दिन आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में खासतौर पर युवाओं के लिए नशे के रोकथाम, उपचार और पुनर्वास कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाता है.

यदि आप भी नशीली दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो यह सिर्फ आपके लिए ही घातक नहीं है. बल्कि, आपके पूरे परिवार और समाज के लिए भी घातक है. नशीली दवाओं का सेवन करने से शरीर में कई तरह की बीमारियां घर कर जाती हैं. इसका सामाजिक प्रभाव भी पड़ता है. नशे की लत से परिवार, समुदाय और समाज में अपराध, हिंसा और गरीबी बढ़ती है. अगर आप नशीली दवाओं का सेवन करना बंद करना चाहते हैं तो यह आपके पूरे परिवार के साथ समाज के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. साथ ही इस दिन को मनाने के पीछे का मकसद भी सार्थक हो सकता है.

‘नशा निषेध दिवस’ को लेकर 26 जून को स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में सेमिनार, कार्यशालाएं और रैलियां आयोजित की जाती हैं. सोशल मीडिया पर नशे के खिलाफ संदेशों को प्रसारित किया जाता है. सोशल मीडिया पर ‘नशा निषेध दिवस’ को लेकर कुछ हैशटैग भी इस्तेमाल किए जाते हैं. जिसमें लोगों से अपील की जाती है कि वह ड्रग्स से दूरी बनाएं.

डीकेएम/जीकेटी

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