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वित्त वर्ष 26 के पहले चार महीनों में चीन को भारत का निर्यात 20 प्रतिशत बढ़ा

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New Delhi, 23 अगस्त . आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 26 के पहले चार महीनों में चीन को भारत का माल निर्यात सालाना आधार पर 20 प्रतिशत बढ़कर 5.76 अरब डॉलर (करीब 50,112 करोड़ रुपए) तक पहुंच गया.

चारों महीनों में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अधिक निर्यात दर्ज किया गया, जो वैश्विक व्यापार बाधाओं के बावजूद लगातार वृद्धि की प्रवृत्ति को दर्शाता है.

मई 2025 में निर्यात 1.63 अरब डॉलर के पीक पर पहुंच गया, जो एक वर्ष पहले इसी महीने के 1.32 अरब डॉलर से बढ़कर इस अवधि का सबसे मजबूत मासिक प्रदर्शन रहा.

अप्रैल में, निर्यात एक वर्ष पहले के 1.25 अरब डॉलर से बढ़कर 1.39 अरब डॉलर हो गया, जबकि जून में निर्यात सालाना आधार पर 17 प्रतिशत बढ़कर 1.38 अरब डॉलर हो गया.

जुलाई में, भारत ने 1.35 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया, जो एक वर्ष पहले इसी महीने में 1.06 अरब डॉलर से अधिक था.

यह वृद्धि दर दोनों एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार के क्रमिक पुनर्संतुलन को दर्शाती है.

भारत का चीन के साथ ऐतिहासिक रूप से उच्च व्यापार घाटा रहा है, जो वित्त वर्ष 2025 में 99.2 अरब डॉलर था.

वित्त वर्ष 2026 की अप्रैल-जून तिमाही में ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि-आधारित उत्पादों की मजबूत मांग के कारण चीन को निर्यात में तेजी देखी गई.

पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात लगभग दोगुना होकर 88.3 करोड़ डॉलर हो गया, जबकि इलेक्ट्रॉनिक सामान तीन गुना बढ़कर 52.1 करोड़ डॉलर हो गया.

जैविक और अकार्बनिक रसायनों का निर्यात 16.3 प्रतिशत बढ़कर 33.51 करोड़ डॉलर हो गया और रत्न एवं आभूषणों के निर्यात में 72.7 प्रतिशत की तीव्र वृद्धि हुई.

दूसरी ओर, चीन से भारत के शीर्ष आयातों में दवाइयां, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, रसायन, प्लास्टिक और अन्य औद्योगिक सामान शामिल रहे.

पिछले वर्ष की तुलना में मासिक आधार पर निरंतर वृद्धि, चीन के साथ भारत के मजबूत होते व्यापारिक प्रदर्शन और बढ़ती निर्यात प्रतिस्पर्धा क्षमता को रेखांकित करती है, हालांकि ये उतार-चढ़ाव वैश्विक व्यापार गतिशीलता और मौसमी मांग में बदलाव को दर्शाते हैं.

चीनी विदेश मंत्री वांग यी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस महीने की शुरुआत में New Delhi में व्यापक द्विपक्षीय चर्चा की.

विदेश मंत्रालय ने इस वार्ता को सकारात्मक, रचनात्मक और दूरदर्शी बताया, जिसमें साझा चिंता के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई.

एसकेटी/

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