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मणिपुर में मानसून के साथ खेती शुरू, हिंसा और तनाव बना बाधा

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इंफाल, 7 जुलाई . मणिपुर में मानसून के आगमन के साथ किसानों ने अपने खेतों में धान और अन्य फसलों की बुवाई शुरू कर दी है. हालांकि, राज्य के कई संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में समुदायों के बीच चल रहे तनाव के कारण खेती की गतिविधियां बाधित हो रही हैं. विशेष रूप से घाटी और पहाड़ी क्षेत्रों की सीमाओं पर तनाव और हिंसक घटनाओं ने किसानों के लिए चुनौतियां बढ़ा दी हैं.

हाल ही में लीटनपोकपी में एक घटना में कुकी समुदाय के सदस्यों द्वारा कथित तौर पर किसानों को खेती करने से रोका गया. वहीं, बिष्णुपुर जिले के फुबाला में एक किसान पर धान के खेत में काम करते समय गोली चलाई गई, जिससे वह घायल हो गया. इन घटनाओं ने स्थानीय किसानों में डर और असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है.

इसके जवाब में ग्रामीणों ने खेती के मौसम के दौरान सुरक्षा और संरक्षण की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन किए. राज्य प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कदम उठाए हैं. अधिकारियों ने दोनों समुदायों को आश्वासन दिया है कि उन्हें पर्याप्त सुरक्षा-व्यवस्था के साथ खेती करने की अनुमति दी जाएगी.

इसके लिए संवेदनशील क्षेत्रों, विशेष रूप से घाटी-पहाड़ी सीमाओं जैसे इम्फाल पश्चिम के कांगचुप, कडांगबंद, कोत्रुक; इम्फाल पूर्व के लामलाई, सनसाबी, थमनापोकपी; और बिष्णुपुर जिले के फुबाला जैसे इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है. इन तैनातियों का मुख्य उद्देश्य आगे की झड़पों को रोकना और किसानों को शांतिपूर्वक खेती करने में सक्षम बनाना है.

कंगचुप-कडांगबंद क्षेत्र के एक किसान ने कहा, “हमें अभी भी डर बना हुआ है, लेकिन सुरक्षा बलों की मौजूदगी से कुछ राहत मिली है. हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार इस संघर्ष को जल्द सुलझाए ताकि हम पहले की तरह शांति से रह सकें.”

बिष्णुपुर के डिप्टी कमिश्नर ने हाल ही में फुबाला सहित प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया था. उन्होंने स्थानीय समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील की थी. इसके अलावा, इम्फाल पूर्व, इम्फाल पश्चिम और काकचिंग जिलों में भी शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य और केंद्रीय बलों को तैनात किया गया है.

वहीं, राज्य प्रशासन का कहना है कि वह किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.

एकेएस/एकेजे

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