हैदराबाद, 1 नवंबर . केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की स्पेशल कोर्ट ने हैदराबाद में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चंदूलाल बारादरी ब्रांच में कंप्यूटर ऑपरेटर रहे वी. चलपति राव को बैंक धोखाधड़ी के पुराने मामले में दोषी ठहराया है. कोर्ट ने उसे दो साल के कठोर कारावास और 36,000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है.
यह मामला 1996 से 2000 के बीच का है. सीबीआई ने 1 मई 2002 को वी. चलपति राव और तीन अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था. आरोप था कि चलपति राव ने तत्कालीन ब्रांच मैनेजर पी.पी. कृष्णा राव, अपनी पत्नी विराजा और कलीम पाशा के साथ मिलकर साजिश रची. फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर ‘बिग बाय लोन’ के नाम पर 50 लाख रुपए की गलत मंजूरी दिलाई और बैंक को नुकसान पहुंचाया.
जांच के बाद 31 दिसंबर 2004 को तीन चार्जशीट दाखिल की गईं, लेकिन चलपति राव 2005 से फरार हो गया था. इसलिए उसके खिलाफ केस को अलग कर सीसी में बांट दिया गया. बाकी आरोपियों के केस पहले ही निपटा लिए गए थे.
सीबीआई की टीम ने कड़ी मेहनत की और फरार आरोपी को तिरुनेलवेली, तमिलनाडु से पकड़ा. वह 4 अगस्त 2024 को गिरफ्तार हुआ, जब वह फर्जी नाम से देश छोड़कर भागने की कोशिश कर रहा था.
कोर्ट ने 31 अक्टूबर 2025 को फैसला सुनाया. जज ने सबूतों के आधार पर चलपति राव को दोषी माना. यह सजा बैंक कर्मचारियों के लिए सबक है कि फ्रॉड करने पर सख्त कार्रवाई होगी.
सीबीआई का कहना है कि यह केस दिखाता है कि कितने भी साल बीत जाएं, अपराधी को सजा जरूर मिलेगी. हम फरार आरोपियों को पकड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ते. बैंक फ्रॉड के बढ़ते मामलों में यह फैसला महत्वपूर्ण है.
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एसएचके/वीसी
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