नई दिल्ली, 31 मई . आज की लाइफस्टाइल ऐसी हो चुकी है, जिससे मन तनाव में और तन बीमारियों में घिरे रहते हैं. सही खानपान और योगासन को दिनचर्या में शामिल करके कई समस्याओं को दूर किया जा सकता है. ऐसे ही एक योगासन का नाम है अनुलोम विलोम, जिससे न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक समस्याओं को भी बाय-बाय किया जा सकता है.
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अनुसार, अनुलोम विलोम बेहद फायदेमंद होता है. यह मन को शांत करता है, ध्यान को तेज करता है और चिंता को कम करता है. इसके लिए शांत होकर सांस लें और तनाव को बाहर निकालें.
अनुलोम विलोम एक प्राचीन योगिक श्वास क्रिया (प्राणायाम) है, जिसे नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहा जाता है, जिसमें दाएं और बाएं नथुने से बारी-बारी से सांस ली और छोड़ी जाती है. “अनुलोम” का अर्थ है “साथ में” और “विलोम” का अर्थ है “विपरीत दिशा में”, जो इस प्रक्रिया को दर्शाता है जिसमें सांस को एक नथुने से लिया जाता है और दूसरे से छोड़ा जाता है.
योग ट्रेनर बताते हैं कि अनुलोम विलोम कैसे करना चाहिए. इसके लिए आसन पर शांत और खुली जगह पर बैठ जाएं. आरामदायक ध्यान मुद्रा में बैठें और रीढ़ को सीधा रखें. इसके बाद आंखें बंद कर लें और बायीं नासिका से श्वास लें, दाहिनी नासिका से श्वास छोड़ें और इसे कई बार दोहराएं.
मस्तिष्क के दोनों गोलार्द्धों को संतुलित करता है, तंत्रिका तंत्र को शांत करता है, चिंता से राहत दिलाता है. रोजाना 5-10 मिनट अनुलोम-विलोम करने से दिमाग शांत होता है. मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है. इससे एकाग्रता और मेमोरी में सुधार होता है और एंग्जायटी, तनाव से भी राहत मिलती है.
हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि रोजाना 5-10 मिनट अनुलोम-विलोम करने से रक्तचाप कंट्रोल होता है. चेहरे पर निखार आता है. अगर आपको नींद अच्छे से नहीं आती है, हमेशा शरीर में थकान बनी रहती है और दिमाग भी शांत नहीं रहता है, तो यह बेहद फायदेमंद है. इसे करने से शरीर में एनर्जी आती है और फेफड़े भी स्वस्थ रहते हैं.
अनुलोम विलोम एक सरल और प्रभावी प्राणायाम है जो शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है. इसे नियमित रूप से करने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य सुधरता है, बल्कि मन की शांति और एकाग्रता भी बढ़ती है. हालांकि, इसे करने में कुछ लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए.
इसे शांत और स्वच्छ वातावरण में करें, गर्भवती महिलाएं, हृदय रोगी या उच्च रक्तचाप वाले लोग इसे योग प्रशिक्षक की सलाह के बाद ही इसे करें. एक्सपर्ट के अनुसार खाने के तुरंत बाद इसे नहीं करना चाहिए. 3-4 घंटे का अंतर रखना चाहिए. अनुलोम विलोम के दौरान सांस को जबरदस्ती नहीं रोकना चाहिए, इसे सहज रखना चाहिए.
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एमटी/एएस
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