नई दिल्ली, 16 मई . देश में अल्कोहलिक पेय पदार्थ (अल्कोबेव) निर्माताओं का राजस्व वित्त वर्ष 2025-26 में 8-10 प्रतिशत बढ़कर 5.3 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा, जो पिछले तीन वित्त वर्षों में 13 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) की गति को बनाए रखेगा. यह जानकारी शुक्रवार को जारी क्रिसिल की एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई.
रिपोर्ट के अनुसार, परिचालन लाभप्रदता में 60-80 आधार अंकों (बीपीएस) की वृद्धि होगी. इसी के साथ, ऋणमुक्त बैलेंस शीट और लार्ज डेट-फंडेड कैपिटल एक्सपेंडीचर (कैपेक्स) की अनुपस्थिति की वजह से क्रेडिट प्रोफाइल मजबूत बनी रहेगी.
क्रिसिल की रिपोर्ट 25 शराब कंपनियों के स्टडी पर आधारित है, जो संगठित एल्कोबेव उद्योग के राजस्व का लगभग 12 प्रतिशत हिस्सा है.
उद्योग में स्पिरिट्स (व्हिस्की, वोडका और रम) का बोलबाला है, जो कुल राजस्व में 65-70 प्रतिशत का योगदान देता है, जबकि शेष बीयर, वाइन और देशी शराब से आता है.
व्हिस्की, वोडका, रम एल्कोहलिक बेवरेज हैं, जिसे डिस्टिलेशन के जरिए बनाया जाता है. वहीं, बीयर और वाइन को फर्मेंटेशन के जरिए बनाया जाता है.
डिस्टिलेशन एक सेपरेशन टेक्नीक है, जिसे मिक्चर से लिक्विड को अलग करने में इस्तेमाल किया जाता है.
फर्मेंटेशन एक बायोलॉजिकल प्रॉसेस है, जिसमें माइक्रोऑर्गेनिज्म जैसे बैक्टीरिया और यीस्ट ऑर्गेनिक कंपाउंड्स को ब्रेक डाउन कर उसे एल्कोहल एसिड और गैस में बदल देते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, शहरीकरण, पीने वालों की आबादी में वृद्धि और बढ़ती डिस्पोजेबल आय के कारण इंडस्ट्री वॉल्यूम 5-6 प्रतिशत बढ़ेगा.
क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक जयश्री नंदकुमार ने कहा, “इस वित्त वर्ष में हेल्दी वॉल्यूम और प्रीमियमीकरण से प्रमुख मूल्य संशोधनों की अनुपस्थिति के बावजूद राजस्व वृद्धि का समर्थन होगा. प्रीमियम और लग्जरी सेगमेंट से राजस्व लगभग 15 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जिसकी कीमत 1,000 रुपए प्रति 750 मिलीलीटर से अधिक है. इस वित्त वर्ष में स्पिरिट राजस्व में इन सेगमेंट से योगदान 38-40 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा, जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह 31-33 प्रतिशत था.”
स्पिरिट्स और बीयर सेगमेंट के लिए मुख्य कच्चा माल क्रमशः एक्स्ट्रा न्यूट्रल एल्कोहल (ईएनए) और जौ है, जो कुल सामग्री लागत का 60-65 प्रतिशत है, जबकि बाकी पैकेजिंग, मुख्य रूप से कांच की बोतलों पर खर्च होता है.
इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम से उच्च मांग के कारण इस वित्त वर्ष में ईएनए की कीमतों में 2-3 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, हालांकि सप्लाई में वृद्धि की उम्मीद है. मांग-आपूर्ति की तंग स्थिति के कारण इस वित्त वर्ष में जौ की कीमतों में 3-4 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है. बढ़ती मांग और स्थिर आपूर्ति को देखते हुए कांच की बोतलों की कीमतें स्थिर रहेंगी.
रिपोर्ट के अनुसार, प्रीमियमाइजेशन के कारण प्राप्ति में 3-4 प्रतिशत की वृद्धि, साथ ही निरंतर मात्रा वृद्धि, कॉस्ट अब्सोर्ब्शन में मदद करेगी और परिचालन मार्जिन में सुधार करेगी.
मात्रा में स्थिर वृद्धि ने निर्माताओं को पिछले दो वित्त वर्षों में 15-20 प्रतिशत तक क्षमता का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया है.
उद्योग वर्तमान में 70-75 प्रतिशत उपयोग पर काम कर रहा है, जिससे मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त गुंजाइश है. इसलिए, इस वित्त वर्ष में कोई बड़ा ऋण-पोषित पूंजीगत व्यय अपेक्षित नहीं है.
लार्ज कैपेक्स प्लान की अनुपस्थिति और स्थिर वर्किंग कैपिटल साइकल से संकेत मिलता है कि क्रिसिल रेटिंग्स पोर्टफोलियो में एल्कोबेव निर्माताओं के क्रेडिट मेट्रिक्स सॉलिड बने रहेंगे, इस वित्त वर्ष में ब्याज कवरेज रेश्यो 21 गुना बेहतर रहेगा.
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी नीति, शुल्क संरचना में बदलाव और इनपुट लागत में अस्थिरता पर नजर रखी जाएगी.
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एसकेटी/जीकेटी
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