New Delhi, 14 अक्टूबर . विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने India में बनी तीन मिलावटी दवाओं की पहचान की है, जिनमें सबसे ज्यादा चर्चा में रही कोल्ड्रिफ कफ सिरप शामिल है. यह सिरप India के तमिलनाडु राज्य में स्थित श्रीसन फार्मास्युटिकल्स नामक कंपनी द्वारा बनाई गई थी.
कुछ ही हफ्ते पहले Madhya Pradesh में कई बच्चों की मौत के बाद यह मामला सामने आया, जिससे पूरे देश में चिंता बढ़ गई.
डब्ल्यूएचओ की जांच में पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप में एक जहरीला रसायन डायथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) बहुत अधिक मात्रा में मिला है. बता दें कि डीईजी एक ऐसा केमिकल है जो शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक होता है. यह किडनी और लिवर को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है और बच्चों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है.
कोल्ड्रिफ सिरप में इस रसायन की मात्रा 48 प्रतिशत से भी ज्यादा पाई गई, जबकि सुरक्षित मात्रा केवल 0.1 प्रतिशत तक होनी चाहिए.
कोल्ड्रिफ के अलावा दो और सिरप भी डब्ल्यूएचओ की चेतावनी में शामिल हैं. पहली रेडनेक्स फार्मास्युटिकल्स की रेस्पिफ्रेश टीआर और दूसरी शेप फार्मा की रीलाइफ. डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों से अपील की है कि अगर ये सिरप किसी भी देश में मिलते हैं तो इसकी जानकारी तुरंत डब्ल्यूएचओ को दें, ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके.
कोल्ड्रिफ सिरप को लेकर जब जांच हुई, तो श्रीसन फार्मास्युटिकल्स की दवा बनाने की अनुमति Government ने तुरंत रद्द कर दी. साथ ही कंपनी के मालिक जी. रंगनाथन को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद तमिलनाडु राज्य में सभी दवा कंपनियों की फैक्ट्रियों की गहन जांच शुरू कर दी गई है, ताकि यह देखा जा सके कि कहीं और भी गुणवत्ता में कोई लापरवाही तो नहीं बरती जा रही.
Madhya Pradesh में बच्चों की मौतों के बाद हरकत में आई केंद्र Government ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एडवाइजरी जारी की. इस सलाह में कहा गया है कि दो साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल न दिया जाए. इसके अलावा, पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी ऐसे सिरप केवल जरूरत होने पर ही दिए जाएं. Government ने डॉक्टरों और फार्मेसियों को चेतावनी दी है कि बच्चों के लिए दवाइयों को बहुत सावधानी से लिखें और बेचें.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना देश की दवा कंपनियों की निगरानी प्रणाली में बड़ी खामी को उजागर करती है. उनका मानना है कि अब समय आ गया है कि India में दवा बनाने की प्रक्रिया पर सख्त नियंत्रण रखा जाए और हर बैच की कड़ी जांच की जाए.
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पीके/एएस
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