Dharmasthala Mass Grave News: कर्नाटक के धर्मस्थला में नेत्रावती नदी के किनारे कथित सामूहिक कब्र की जांच कर रही विशेष जांच टीम (SIT) को सोमवार को एक और कंकाल मिला. यहां एक पूर्व सफाई कर्मचारी के दावों के आधार पर खुदाई चल रही है. इस कर्मचारी ने दावा किया है कि 1995 से 2014 के बीच उसे कई शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया था. उसने ऐसे 11 स्थान बताए थे जहां शव दफन किए गए थे.
नए कंकाल के साथ एक साड़ी के टुकड़े भी मिले. इस मामले ने न केवल स्थानीय लोगों बल्कि पूरे देश का ध्यान खींचा है. SIT ने 28 जुलाई को इस पूर्व कर्मचारी के साथ मिलकर कई संभावित दफन स्थानों की पहचान की थी. कर्मचारी ने दावा किया था कि उसने नेत्रावती नदी के किनारे कई शव दफनाए, जिनमें महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के शव शामिल थे. इन शवों पर यौन शोषण के निशान थे. सोमवार को 11वें स्थान पर खुदाई के दौरान कंकाल और साड़ी के टुकड़े मिले.
छठे स्थान पर भी मिले थे अवशेष
SIT के एक अधिकारी ने बताया कि ये अवशेष बिना खुदाई के एक टीले पर मिले. पास के पेड़ पर बंधी साड़ी को देखकर आत्महत्या का संदेह भी जताया जा रहा है. अधिकारी ने कहा कि हम इस दिशा में भी जांच कर रहे हैं. इससे पहले 31 जुलाई को छठे स्थान पर खुदाई के दौरान कुछ हड्डियां मिली थीं, जो प्रारंभिक जांच में पुरुष की बताई गईं. इन हड्डियों को भी फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया. अब तक SIT ने 10 स्थानों पर खुदाई की है, लेकिन केवल दो स्थानों (छठा और 11वां) पर ही मानव अवशेष मिले हैं. पहले पांच स्थानों पर कोई सबूत नहीं मिला था.
जांच के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों, राजस्व विभाग और पुलिस की टीमें मौके पर मौजूद हैं. खुदाई की प्रक्रिया को वीडियो में रिकॉर्ड किया जा रहा है ताकि पारदर्शिता बनी रहे. यह मामला तब सामने आया जब तीन जुलाई को पूर्व सफाई कर्मचारी ने शिकायत दर्ज करवाई. अगले दिन चार जुलाई को एफआईआर दर्ज हुई और 11 जुलाई से SIT ने जांच शुरू की. कर्मचारी ने दावा किया कि उसे 20 सालों तक ताकतवर लोगों के कहने पर शव दफनाने पड़े. उसने यह भी कहा कि कई शवों पर हिंसा और यौन शोषण के निशान थे. उसने अपनी सुरक्षा के लिए गवाह संरक्षण की मांग की है और उसकी पहचान को गोपनीय रखा गया है.
13 संभावित दफन स्थलों की जानकारी
उसने 13 संभावित दफन स्थानों की जानकारी दी, जिनमें से ज्यादातर नेत्रावती नदी के किनारे हैं. इस मामले ने धर्मस्थला में हड़कंप मचा दिया है. यह शहर कर्नाटक का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है. यहां प्रसिद्ध श्री मंजुनाथेश्वर मंदिर है. यहां हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं. लेकिन इस खुलासे ने मंदिर प्रशासन और स्थानीय समुदाय को सवालों के घेरे में ला दिया है. जैन समुदाय ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. हुब्बल्ली में नवग्रह तीर्थ के श्री गुनाधर नंदी महाराज ने कहा कि कुछ लोग इस मामले का इस्तेमाल जैन शासकों को बदनाम करने के लिए कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक दस्तावेजों में जैन शासकों द्वारा अत्याचार का कोई रिकॉर्ड नहीं है. यह बदनामी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
फॉरेंसिक विश्लेषण से यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि बरामद कंकाल कितने पुराने हैं, उनकी मृत्यु का कारण क्या था और क्या इनका कोई आपराधिक कनेक्शन है. स्थानीय पंचायत ने दावा किया है कि 1995 से अब तक 200 से ज्यादा अज्ञात शवों को नदी किनारे या जंगल में कानूनी प्रक्रिया के तहत दफनाया गया है.
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