अगली ख़बर
Newszop

Explained: पेट्रोल से ज्यादा प्रदूषण क्यों फैलाते हैं डीजल इंजन, ये हैं 5 बड़े कारण

Send Push

प्रदूषण की वजह से राजधानी दिल्ली समेत देश के कई बड़े शहरों का बुरा हाल है. शहरों पर बढ़ता वाहनों का दबाव प्रदूषण बढ़ने का एक बड़ा कारण है. एक अनुमान के मुताबिक, शहरों के कुल प्रदूषण में 20-22 प्रतिशत हिस्सा वाहनों से आता है. ऐसे में डीजल वाहनों पर सवाल उठने लगते हैं, क्योंकि ये अन्य वाहनों के मुकाबले ज्यादा प्रदूषण करते हैं.

इतना ही नहीं, डीजल इंजन से निकलने वाला धुआं और गैसें पेट्रोल इंजन के मुकाबले ज्यादा हानिकारक होती हैं. इसका कारण है कि डीजल इंजन से नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) जैसे खतरनाक प्रदूषक ज्यादा मात्रा में निकलते हैं, जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक हैं.

इन 5 कारणों से ज्यादा होता है प्रदूषण 1. ज्यादा NOx उत्सर्जन

डीजल इंजन में हाई कम्प्रेशन रेशियो और ज्यादा तापमान पर तेल जलता है. इस तापमान पर हवा में मौजूद नाइट्रोजन और ऑक्सीजन आपस में मिलकर नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) बनाते हैं. यह गैस स्मॉग और एसिड रेन का मुख्य कारण है, जो सांस की बीमारियां और लंबे समय की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती हैं.

2. ज्यादा पार्टिकुलेट मैटर (PM)

डीजल, पेट्रोल की तुलना में भारी और कम वाष्पशील ईंधन होता है. इसके जलने के दौरान पूरी तरह दहन नहीं होता, जिससे काला धुआं या सूक्ष्म कण (PM) बनते हैं. ये सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक जाते हैं और कैंसर, अस्थमा और हृदय रोग जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं.

3. असमान दहन प्रक्रिया

पेट्रोल इंजन में स्पार्क प्लग से ईंधन जलता है, जिससे समान और पूरा दहन होता है. जबकि डीजल इंजन में ईंधन बहुत गर्म हवा में इंजेक्ट किया जाता है, जिससे असमान दहन होता है. इसी वजह से डीजल इंजन से अधजला ईंधन और PM ज्यादा निकलते हैं.

4. ज्यादा सल्फर की वजह से ज्यादा प्रदूषण

डीजल में पेट्रोल के मुकाबले सल्फर की मात्रा ज्यादा होती है. इससे डीजल इंजन से सल्फर डाइऑक्साइड (SOx) ज्यादा निकलता है. हालांकि अब अल्ट्रा-लो सल्फर डीजल इस्तेमाल किया जा रहा है, फिर भी डीजल की भारी बनावट के कारण सभी प्रदूषकों को एक साथ नियंत्रित करना मुश्किल होता है.

5. लैब और असली सड़क पर फर्क

आधुनिक डीजल इंजन में डीजल पार्टिकुलेट फिल्टर (DPF) और कैटेलिटिक रिडक्शन सिस्टम (SCR) जैसे उपकरण लगे होते हैं, जो लैब टेस्ट में साफ परिणाम देते हैं, लेकिन वास्तविक ट्रैफिक या शहरों की ड्राइविंग में ये सिस्टम सही तापमान तक नहीं पहुंच पाते, जिससे ज्यादा प्रदूषण निकलता है, खासकर फिल्टर साफ करने के समय.

न्यूजपॉईंट पसंद? अब ऐप डाउनलोड करें