दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय: आपने अक्सर सुना होगा कि बहुएं अपने सास-ससुर को घर से बाहर निकाल देती हैं। कभी-कभी ऐसी खबरें भी आती हैं कि बहू अपने सास-ससुर के साथ रोजाना झगड़ती हैं। इस संदर्भ में, दिल्ली हाईकोर्ट ने बुजुर्ग माता-पिता को एक महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है। अब सास-ससुर को ऐसा अधिकार प्राप्त हुआ है कि बहू उन्हें घर से बाहर नहीं निकाल सकती, लेकिन यदि सास-ससुर चाहें, तो वे बहू को परेशानी होने पर निकाल सकते हैं।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत किसी बहू को संयुक्त परिवार में रहने का अधिकार नहीं है। ससुराल के बुजुर्ग लोग उसे बेदखल कर सकते हैं, जो शांति से जीवन जीने के हकदार हैं। आइए, इस फैसले के बारे में विस्तार से जानते हैं।
हाईकोर्ट का नया निर्णय हाईकोर्ट का नया फैसला क्या है?
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस योगेश खन्ना ने एक बहू द्वारा निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर अपील की सुनवाई की। इस मामले में उसे ससुराल में रहने का अधिकार नहीं दिया गया था। जस्टिस ने कहा कि संयुक्त परिवार में संपत्ति के मालिक अपनी बहू को संपत्ति से हटा सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि उचित होगा कि याचिकाकर्ता को उसकी शादी के दौरान कोई वैकल्पिक आवास प्रदान किया जाए। जस्टिस ने बताया कि सास-ससुर की उम्र क्रमशः 74 और 69 वर्ष है। उन्हें शांति से जीवन जीने का अधिकार है और उन्हें बेटे-बहू के बीच वैवाहिक विवादों से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
इस आदेश में कहा गया है, 'मेरे अनुसार दोनों पक्षों के बीच तनावपूर्ण संबंध हैं, ऐसे में बुजुर्ग सास-ससुर के लिए याचिकाकर्ता के साथ रहना उचित नहीं होगा।' जस्टिस ने कहा, 'बुजुर्ग दंपत्ति अपने घर में रहेंगे, लेकिन यदि बेटे और बहू को यह पसंद नहीं है, तो वे कहीं और जा सकते हैं।' अब सास-ससुर को बहू द्वारा घर से बाहर नहीं निकाला जा सकता है।
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