राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना को अब एक शताब्दी हो चुकी है। इस यात्रा में अनेक व्यक्तियों ने योगदान दिया है। यह सफर कठिनाइयों से भरा रहा, लेकिन आम जनता का समर्थन इसके सुखद पहलू रहा। जब हम इस शताब्दी वर्ष पर विचार करते हैं, तो कई ऐसे प्रसंग और व्यक्तियों की याद आती है, जिन्होंने संघ की सफलता के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया।
प्रारंभिक दिनों के युवा कार्यकर्ता देशभक्ति से प्रेरित होकर संघ के कार्य में जुट गए। अप्पाजी जोशी जैसे गृहस्थ कार्यकर्ताओं से लेकर दादाराव परमार्थ, बालासाहेब और भाऊराव देवरस जैसे प्रचारकों ने डॉक्टर हेडगेवार जी के मार्गदर्शन में संघ कार्य को राष्ट्र सेवा का एक जीवनव्रत मान लिया।
संघ का कार्य समाज के समर्थन से निरंतर आगे बढ़ता गया। संघ की गतिविधियाँ आम जन की भावनाओं के अनुरूप होने के कारण धीरे-धीरे इसकी स्वीकार्यता बढ़ी। स्वामी विवेकानंद ने एक बार कहा था कि भारतीय लोग अपने आध्यात्मिक ज्ञान के कारण किसी भी सकारात्मक कार्य को तुरंत समझ लेते हैं। संघ के कार्य को भी इसी प्रकार से समाज का समर्थन मिलता रहा है।
संघ के कार्य की शुरुआत से ही विभिन्न परिवारों ने संघ कार्यकर्ताओं को आशीर्वाद और आश्रय दिया। स्वयंसेवकों के परिवार संघ कार्य के संचालन के केंद्र बने। दत्तोपंत ठेंगड़ी, यशवंतराव केलकर, और दीनदयाल उपाध्याय जैसे व्यक्तियों ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में संगठनों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये संगठन आज समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सक्रिय हैं।
संघ ने समय-समय पर राष्ट्रीय हित के मुद्दों को उठाया, जिनका समर्थन समाज के विभिन्न वर्गों ने किया। संघ का प्रयास रहा है कि हिंदू हित के मुद्दों पर सभी का सहयोग प्राप्त हो। राष्ट्र की एकता, सुरक्षा, और सामाजिक सौहार्द के लिए अनेक स्वयंसेवकों ने कठिनाइयों का सामना किया और कई ने बलिदान भी दिया।
1981 में तमिलनाडु के मीनाक्षीपुरम में कुछ हिंदुओं का मतांतरण किया गया। इस विषय पर एक बड़े सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें कई प्रमुख नेता शामिल हुए। विश्व हिंदू परिषद की स्थापना में भी कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया।
स्वाधीनता के तुरंत बाद संघ कार्य पर प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने संघ का समर्थन किया। आपातकाल के दौरान भी संघ ने अपने कार्य को जारी रखा। इन सभी परिस्थितियों में माताओं और बहनों ने संघ कार्य को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भविष्य में संघ स्वयंसेवक समाज के सभी वर्गों के सहयोग से राष्ट्र की सेवा के लिए विशेष प्रयास करेंगे। उनका लक्ष्य देश के हर कोने में पहुंचना और सभी वर्गों के साथ मिलकर राष्ट्र के विकास की दिशा में काम करना है।
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