हम रोजाना यौन हिंसा की घटनाओं के बारे में सुनते हैं। चाहे घर हो या सड़क, लड़के और लड़कियां कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। इन अपराधियों को यह भी नहीं पता होता कि उनके कार्य समाज को कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं।
कैदियों का इंटरव्यू लेने वाली लड़की
एक 22 वर्षीय लड़की ने यह जानने की कोशिश की कि लोग ऐसा क्यों करते हैं। मधुमिता पांडे नाम की इस लड़की ने दिल्ली के तिहाड़ जेल में बलात्कार के आरोप में बंद कैदियों का इंटरव्यू लिया। अब उनकी उम्र 26 वर्ष है और उन्होंने पिछले तीन वर्षों में 100 से अधिक कैदियों से बातचीत की है। यह इंटरव्यू उन्होंने अपनी पीएचडी थीसिस के लिए किया।
कैदियों के मन में क्या चलता है?
मधुमिता ने कैदियों से यह जानने की कोशिश की कि जब वे किसी महिला को अपना शिकार बनाते हैं, तो उनके मन में क्या विचार होते हैं। एक 23 वर्षीय कैदी, जिसने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की थी, ने बताया कि उसने 2010 में एक पांच साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया। उसने कहा कि बच्ची ने उसे उकसाया, और उसने सोचा कि वह उसे सबक सिखाएगा। यह बात दर्शाती है कि यौन अपराधियों में पीड़ित पर दोष डालने की प्रवृत्ति कितनी सामान्य है।
मधुमिता की राय
मधुमिता का कहना है कि जेल में बंद कैदियों को यह एहसास नहीं होता कि उन्होंने कितनी गंभीर अपराध किए हैं।
समाज में यौन शिक्षा की कमी
मधुमिता ने इस विषय पर गहराई से विचार करते हुए कहा कि भारत एक पारंपरिक देश है, जहां बच्चों को यौन शिक्षा से वंचित रखा जाता है। माता-पिता भी इस विषय पर खुलकर बात नहीं करते, जबकि महिलाओं के प्रति कुंठित मानसिकता को खत्म करने के लिए यौन शिक्षा अत्यंत आवश्यक है।
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