गोरखपुर के पक्की बाग में स्थापित हुआ था देश का पहला सरस्वती शिशु मंदिर Image Credit source: Social Media
RSS की शताब्दी वर्ष: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपने 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस बार विजयादशमी 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी, जो कि 1925 में नागपुर में RSS की स्थापना का दिन है। इस दौरान RSS ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन शताब्दी वर्ष से पहले इसका प्रभाव अपने चरम पर है। इसका एक कारण बीजेपी की राजनीतिक सफलता भी है।
सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना
बीजेपी की इस सफलता में सरस्वती शिशु मंदिर की भूमिका को समझने के लिए हमें इसकी स्थापना की ओर देखना होगा। पहला सरस्वती शिशु मंदिर 1952 में गोरखपुर में स्थापित किया गया था। इसे भाऊराव देवरस, कृष्णचन्द्र गांधी और नानाजी देशमुख ने सर संघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर के मार्गदर्शन में स्थापित किया। विद्या भारती के अखिल भारतीय प्रचार संयोजक रामकुमार भावसार बताते हैं कि उस समय नानाजी देशमुख गोरखपुर में पूर्णकालिक कार्य कर रहे थे।
शिक्षा का विकास और विद्या भारती
1977 तक, देशभर में 1400 से अधिक सरस्वती शिशु मंदिर स्थापित हो चुके थे। इसके बाद विद्या भारती का विचार सामने आया। 1990 से 2000 के बीच, विद्या भारती के अधीन 10,000 से अधिक स्कूल संचालित होने लगे। वर्तमान में, 24,000 से अधिक विद्यालय देशभर में विद्या भारती के तहत चल रहे हैं।
विद्या भारती और RSS का संबंध
सरस्वती शिशु मंदिर से शुरू हुई यात्रा अब विद्या भारती के नेतृत्व में आगे बढ़ रही है। विद्या भारती के राष्ट्रीय महामंत्री देशराज शर्मा का कहना है कि RSS व्यक्ति निर्माण के लिए काम करता है। स्कूलों में नैतिकता और भारतीय संस्कृति के बारे में पढ़ाया जाता है।
राजनीति में RSS का प्रभाव
RSS के सरस्वती शिशु मंदिर की बीजेपी की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका है। विद्या भारती के स्कूलों से निकले बच्चे बीजेपी के राजनीतिक विचारों से जुड़ते हैं। हालांकि, स्कूलों में बीजेपी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती, लेकिन विचारधारा का मेल बीजेपी को लाभ पहुंचाता है।
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