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डायबिटीज और अन्य रोगों के लिए जौ का उपयोग: आचार्य बालकृष्ण के सुझाव

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जौ का महत्व डायबिटीज में

आचार्य बालकृष्ण ने डायबिटीज के मरीजों के लिए एक विशेष मिश्रण की सिफारिश की है:


सामग्री:
  • 10 ग्राम जौ
  • 5 ग्राम तिल
  • 3 ग्राम मेथी

विधि:
  • इन सामग्रियों को दरदरा पीसकर 500 ग्राम पानी में रातभर भिगो दें।
  • सुबह इसे मसलकर छान लें।
  • खाली पेट इस पानी का सेवन करें।

लाभ:
  • यह मिश्रण शुगर लेवल को नियंत्रित करता है।
  • डायबिटीज से जुड़ी समस्याओं जैसे थकान और कमजोरी में राहत प्रदान करता है।

मूत्र रोग में जौ का उपयोग

जिन लोगों को पेशाब से संबंधित समस्याएं हैं, जैसे बार-बार पेशाब आना या जलन, उनके लिए जौ का सेवन फायदेमंद है.


सामग्री:
  • 10 ग्राम जौ
  • 5 ग्राम तिल
  • 3 ग्राम मेथी

विधि:
  • इसे मिट्टी के बर्तन में भिगोकर सुबह सेवन करें।

लाभ:
  • शरीर की गर्मी को कम करता है।
  • पेशाब से संबंधित समस्याएं दूर करता है।
  • मूत्र मार्ग में जलन को ठीक करता है।

खांसी और कफ के लिए जौ का उपयोग

जौ खांसी और बलगम की समस्या के लिए एक प्रभावी उपाय है.


विधि:
  • जौ के पंचांग को जलाकर राख बना लें।
  • 1-1 ग्राम राख को सुबह-शाम शहद के साथ लें।
  • यदि पंचांग न मिले तो केवल जौ की राख का भी उपयोग कर सकते हैं।

लाभ:
  • कफ, खांसी और बलगम में राहत देता है।
  • किडनी की समस्याओं में मददगार है।
  • पेशाब खुलकर होता है।

आयुर्वेद में जौ के अन्य लाभ पाचन तंत्र के लिए:
  • जौ का सेवन पाचन तंत्र को मजबूत करता है।

डिटॉक्सिफिकेशन:
  • जौ का पानी शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।

शरीर की गर्मी कम करना:
  • जौ का नियमित सेवन जलन और दाह जैसी समस्याओं को ठीक करता है।

सावधानियां
  • जौ का सेवन संतुलित मात्रा में करें।
  • गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।
  • उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग करें।

निष्कर्ष

जौ एक प्राकृतिक औषधि है जो न केवल डायबिटीज बल्कि कई अन्य समस्याओं के समाधान में भी सहायक है। इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें और स्वस्थ जीवन का आनंद लें।


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