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पारिजात के अद्भुत लाभ: स्वास्थ्य के लिए 15 चमत्कारी फायदे

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पारिजात का परिचय

हारसिंगार का पेड़ आकार में बहुत बड़ा नहीं होता। इसके गोल बीज होते हैं और इसके फूल बेहद सुगंधित और नाजुक होते हैं। जब हवा में इनकी खुशबू फैलती है, तो मन प्रसन्न हो जाता है।


पारिजात की विशेषताएँ

संस्कृत में इसे पारिजात और बंगाली में शिउली कहा जाता है। इस पेड़ पर छोटे सफेद फूल खिलते हैं, जिनकी डंडी नारंगी रंग की होती है। ये फूल रात में खिलते हैं और सुबह गिर जाते हैं। हारसिंगार ठंडा और सूखा होता है, लेकिन कुछ किस्में गर्म भी होती हैं।


रूड़की के कुंवर हरिसिंह के अनुसार, भारत में पारिजात की प्रजाति नहीं पाई जाती, लेकिन उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एकमात्र पारिजात वृक्ष मौजूद है। यह लगभग 50 फीट ऊँचा है और इसकी शाखाएँ भूमि की ओर झुकती हैं। यह वृक्ष साल में एक बार जून में फूलता है और इसकी आयु 1,000 से 5,000 वर्ष तक हो सकती है।


पारिजात के 15 अद्भुत लाभ

गठिया: पारिजात के पांच पत्तों को पीसकर चटनी बनाएं और गर्म पानी में मिलाकर पीने से पुराना गठिया ठीक हो जाता है।


घुटनों की चिकनाई: 10-12 पत्तों को उबालकर पीने से घुटनों की चिकनाई वापस आ जाती है।


साइटिका: पत्तों का काढ़ा बनाकर सेवन करने से साइटिका में लाभ होता है।


गंजापन: बीज को पीसकर गंजे स्थान पर लगाने से नए बाल उगने लगते हैं।


बुखार: पत्तों का रस पीने से चिकनगुनिया, डेंगू और अन्य बुखार ठीक होते हैं।


बवासीर: बीज का सेवन करने से बवासीर में राहत मिलती है।


यकृत: पत्तों का रस लिवर के लिए फायदेमंद है।


हृदय रोग: फूलों का सेवन हृदय के लिए लाभकारी होता है।


दाद: पत्तियों का लेप लगाने से दाद ठीक होता है।


सूखी खाँसी: पत्तियों को शहद में मिलाकर सेवन करने से सूखी खाँसी ठीक होती है।


त्वचा रोग: पत्तियों का लेप त्वचा रोगों में लाभकारी है।


दमा: छाल का चूर्ण सेवन करने से दमा में राहत मिलती है।


क्रोनिक बुखार: कोंपल का सेवन स्त्री रोगों में लाभकारी होता है।


खुजली: पत्तों का लेप खुजली में राहत देता है।


ध्यान देने योग्य बातें

हारसिंगार खांसी में हानिकारक हो सकता है। इसके दोषों को दूर करने के लिए कुटकी का उपयोग किया जाता है।


अतिरिक्त जानकारी
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