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मंगल इलेक्ट्रिकल IPO का GMP पहुंचा उच्चतम स्तर पर, 533-561 रुपये के प्राइस बैंड वाला यह इश्यू 22 अगस्त को होगा बंद

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मंगल इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड का 400 करोड़ रुपये का आईपीओ 20 अगस्त से सब्सक्रिप्शन के लिए खुला है और पहले ही दिन इस इश्यू को कुल 57 प्रतिशत सब्सक्रिप्शन मिला। रिटेल इन्वेस्टर्स की तरफ से 74 प्रतिशत, नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) की ओर से 76 प्रतिशत और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) की ओर से 13 प्रतिशत बोली लगी।



प्राइस बैंड और निवेश विवरणयह इश्यू पूरी तरह से फ्रेश है, जिसके तहत कंपनी 71 लाख नए शेयर जारी कर रही है। मंगल इलेक्ट्रिकल आईपीओ का प्राइस बैंड 533 रुपये से 561 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है। एक आवेदन की लॉट साइज 26 शेयरों की है और रिटेल निवेशकों के लिए न्यूनतम निवेश राशि 13,858 रुपये होगी।



ग्रे मार्केट में हलचल

बाजार सूत्रों के अनुसार अनलिस्टेड मार्केट में मंगल इलेक्ट्रिकल आईपीओ का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) 33 रुपये चल रहा है, जो कैप प्राइस की तुलना में 5.8 प्रतिशत अधिक है। यह अब तक का उच्चतम जीएमपी है।



कंपनी का बिजनेस मॉडलमंगल इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज बिजली वितरण और ट्रांसमिशन के लिए उपयोग होने वाले ट्रांसफार्मर के निर्माण के क्षेत्र में कार्यरत है। कंपनी ट्रांसफार्मर के विभिन्न कंपोनेंट्स जैसे लैमिनेशन, सीआरजीओ स्लिट कॉइल्स, अमोर्फोस कोर, कॉइल और कोर असेंबली, वाउंड कोर, टोरॉइड कोर और ऑयल-इमर्स्ड सर्किट ब्रेकर का उत्पादन करती है।



इसके अलावा, कंपनी 5 KVA से 10 MVA क्षमता वाले ट्रांसफार्मर का निर्माण करती है और पावर इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में विद्युत सब स्टेशन स्थापित करने के लिए ईपीसी सेवाएं भी प्रदान करती है।



कंपनी के पास राजस्थान में पांच उत्पादन इकाइयां हैं। इनकी वार्षिक उत्पादन क्षमता सीआरजीओ के लिए 16,200 एमटी, ट्रांसफार्मर के लिए 10,22,500 केवीए, आईसीबी के लिए 75,000 यूनिट और अमोर्फोस यूनिट्स के लिए 2,400 एमटी है।



वित्तीय प्रदर्शन31 मार्च 2025 को समाप्त वित्त वर्ष में कंपनी का रेवेन्यू 551.39 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक है। इसी अवधि में कंपनी का EBITDA 81.84 करोड़ रुपये और प्रॉफिट आफ्टर टैक्स 126 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 47.31 करोड़ रुपये दर्ज किया गया।



आईपीओ से जुटाई गई राशि का उपयोगकंपनी आईपीओ से जुटाई गई राशि का इस्तेमाल कई उद्देश्यों के लिए करेगी। इसमें लगभग 101.27 करोड़ रुपये बकाया ऋणों के पुनर्भुगतान या अग्रिम भुगतान में लगाए जाएंगे। इसके अलावा, राजस्थान के सीकर जिले स्थित रींगस यूनिट-IV के विस्तार पर लगभग 87.86 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। कंपनी अपनी कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 122 करोड़ रुपये का प्रावधान करेगी और शेष राशि का इस्तेमाल सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।



(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)

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