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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को दी भारी-भरकम टैरिफ की चेतावनी, हंगरी से की तुलना

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दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र - अमेरिका और भारत के बीच व्यापार को लेकर तनातनी बढ़ सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को एक सख्त चेतावनी दी कि अगर भारत ने रूसी कच्चे तेल के आयात को नहीं रोका, तो उसे भारी-भरकम टैरिफ चुकाने पड़ते रहेंगे। एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा- 'मैंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की थी। उन्होंने मुझसे कहा कि भारत रूसी क्रूड ऑयल के सौदे नहीं करेगा।'



हालांकि, जब भारत की तरफ से यह कहा गया कि मोदी और ट्रंप के बीच ऐसी कोई बातचीत हुई ही नहीं, तो ट्रंप ने पलटकर कहा- 'अगर वो ऐसा कहना चाहते हैं, तो फिर उन्हें भारी टैरिफ भरने के लिए तैयार रहना होगा और मुझे नहीं लगता कि वो ऐसा चाहेंगे।'



एक हफ्ते में दूसरी बार ट्रंप का बयान

अमेरिका रूस की तेल कमाई को रोकना चाहता है, क्योंकि उसका मानना है कि रूस इसी पैसे से यूक्रेन में जंग लड़ रहा है। इसी मकसद से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को धमकी दी है कि अगर उसने रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया, तो भारत को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। इसका असर भारत के निर्यात (एक्सपोर्ट) पर पड़ेगा, क्योंकि अमेरिका ने कई भारतीय सामानों पर टैरिफ बढ़ाकर 50% तक कर दिया है। ट्रंप ने यह दावा एक हफ्ते में दूसरी बार दोहराया है कि भारत अब रूस से तेल खरीदना बंद कर रहा है। इससे पहले जब भारत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है, तो ट्रंप ने फिर से शुक्रवार को कहा कि भारत ने 'लगभग पूरी तरह' से रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है।



व्हाइट हाउस में ट्रंप का बयान

यह बात ट्रंप ने उस वक्त कही जब वे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेन्स्की के साथ व्हाइट हाउस में एक लंच मीटिंग कर रहे थे। ट्रंप ने कहा, 'भारत अब रूस से क्रूड ऑयल नहीं खरीदेगा।' उन्होंने यह भी बताया कि पहले भारत अपनी करीब 38% तेल जरूरतें रूस से पूरी करता था, लेकिन अब वह इससे पीछे हट रहा है।



भारत और हंगरी की तुलना

ट्रंप ने भारत की नीति की तुलना हंगरी से की और कहा कि हंगरी 'फंसा हुआ' है क्योंकि वह एक ही पाइपलाइन पर निर्भर है। यानी वहां के पास ऑयल के लिए विकल्प नहीं हैं। ट्रंप के ये नए बयान दिखाते हैं कि अमेरिका अब भी रूस को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है, खासकर उसके क्रूड ऑयल बिजनेस को लेकर।



भारत की साफ बात: राष्ट्रीय हित सबसे पहले

भारत ने अमेरिका के दबाव के बीच साफ कहा है कि उसकी एनर्जी पॉलिसी पूरी तरह देश के हितों पर आधारित है। सरकार का कहना है कि वह अपने नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय क्रूड मार्केट की बढ़ती-घटती कीमतों से बचाना चाहती है, और उसी के अनुसार फैसला लेती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा था कि भारत दुनिया में तेल और गैस का एक बड़ा आयातक है। इसलिए यह जरूरी है कि भारत अलग-अलग देशों से तेल खरीदकर अपने एनर्जी सोर्स में विविधता बनाए रखे। इससे आपूर्ति में कोई रुकावट नहीं आती और कीमतें भी संतुलित रहती हैं।



जायसवाल ने कहा कि भारत किस देश से तेल खरीदेगा, यह बाजार की स्थिति और आम लोगों को फायदा पहुंचाने के हिसाब से तय किया जाता है। हमारी कोशिश यह रहती है कि देश में तेल की कीमतें स्थिर रहें और सप्लाई भी सुरक्षित बनी रहे।

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