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जयशंकर ने ट्रंप के दावों को किया ख़ारिज, कहा- जेडी वांस और पीएम मोदी की बातचीत के दौरान मैं उसी कमरे में था

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Getty Images एस. जयशंकर का कहना है कि भारत को अपने लोगों की सुरक्षा के लिए 'आतंकवाद' के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि 9 मई की रात अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वांस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ़ोन किया था, तो वह भी उसी कमरे में मौजूद थे.

जयशंकर ने कहा कि तब प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा था कि भारत पाकिस्तान की धमकियों से डरेगा नहीं, बल्कि इसका जवाब देगा.

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार दावा करते रहे हैं कि उन्होंने मई महीने की शुरुआत में भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू हुए सैन्य संघर्ष को बंद करवाया था.

ट्रंप ने यहाँ तक कहा था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को व्यापार बंद करने की धमकी दी थी, उसके बाद दोनों देश युद्धविराम के लिए तैयार हुए थे.

लेकिन ट्रंप के इन दावों को भारत हमेशा से ख़ारिज करता रहा है. पिछले महीने पीएम मोदी कनाडा जी-7 सम्मेलन में शामिल होने गए थे और वहीं से उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप से फ़ोन पर बात की थी.

इस बातचीत का ब्यौरा देते हुए भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा था कि पीएम मोदी ने ट्रंप से स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान के साथ युद्धविराम द्विपक्षीय था और किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप से नहीं हुआ है.

विक्रम मिसरी ने यह भी कहा था कि पीएम मोदी ने ट्रंप से कहा था कि युद्धविराम के लिए अमेरिका से ट्रेड को लेकर कोई बात नहीं हुई थी.

अभी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिका में क्वॉड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने गए हैं.

इसी दौरे में एस जयशंकर ने एक बार फिर अमेरिकी पत्रिका न्यूज़वीक को दिए इंटरव्यू में कहा कि युद्धविराम पूरी तरह से द्विपक्षीय था.

दरअसल, मई महीने की शुरुआत में भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव के दौरान अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वांस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की थी.

अमेरिका ने इसी बातचीत को युद्धविराम कराने के तौर पर पेश किया था. बल्कि ट्रंप ने ही युद्धविराम की घोषणा सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्रुथ पर की थी.

भारत-पाकिस्तान के बीच 10 मई को युद्धविराम की घोषणा हुई थी.

image BBC 'पाकिस्तान से हमारे सभी मामले द्विपक्षीय हैं'

मंगलवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी पत्रिका 'न्यूज़वीक' कोइंटरव्यू में उन्होंने पहलगाम हमले से लेकर 'ऑपरेशन सिंदूर' और युद्धविराम पर पूछे गए कई सवालों के जवाब दिए.

इंटरव्यू के दौरान सामने बैठे लोगों में से एक व्यक्ति ने जयशंकर से सवाल पूछा, "राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी की बातचीत के बाद भारत की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भारत-पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं है."

"लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने कई बार कहा है कि संघर्ष को रोकने के लिए व्यापार को एक साधन के रूप में इस्तेमाल किया गया. क्या इससे व्यापार समझौते की बातचीत पर कोई असर पड़ा है?"

जवाब में एस जयशंकर ने कहा, "आपको बता सकता हूँ कि मैं उस कमरे में मौजूद था, जब उपराष्ट्रपति जेडी वांस ने 9 मई की रात प्रधानमंत्री मोदी से बात की थी. उन्होंने कहा था कि अगर हमने कुछ चीज़ें नहीं मानीं, तो पाकिस्तान भारत पर एक बड़ा हमला कर सकता है. लेकिन प्रधानमंत्री पर पाकिस्तान की धमकियों का कोई असर नहीं हुआ. इसके उलट, उन्होंने साफ़ संकेत दिया कि भारत की तरफ़ से जवाब ज़रूर मिलेगा."

एस जयशंकर ने कहा कि कई सालों से एक राष्ट्रीय सहमति रही है कि पाकिस्तान के साथ हमारे सभी मामले आपसी यानी द्विपक्षीय हैं.

एस जयशंकर ने कहा, "ये बात उस रात की है और जैसा कि आप जानते हैं, उसी रात पाकिस्तान ने हम पर ज़ोरदार हमला किया था. हमने तुरंत जवाब दिया. अगली सुबह मार्को रुबियो ने मुझे कॉल करके बताया कि पाकिस्तान बातचीत के लिए तैयार है. मैं आपको सिर्फ़ वही बता सकता हूँ, जो मैंने ख़ुद अनुभव किया. बाक़ी आप समझ सकते हैं."

अप्रैल, 2025 में ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ़ पर 90 दिन के लिए रोक लगा दी थी और 8 जुलाई इस रोक का आख़िरी दिन है.

मंगलवार को ट्रंप ने भारत से ट्रेड डील को लेकर कहा, "मुझे लगता है कि हमारा भारत के साथ एक समझौता होने वाला है और यह थोड़ा अलग तरह का समझौता होगा. इसमें हमें भारत में जाकर प्रतिस्पर्धा करने का मौक़ा मिलेगा. अभी भारत किसी को अपने बाज़ार में आसानी से आने नहीं देता. लेकिन मुझे लगता है कि भारत अब ऐसा करेगा और अगर ऐसा हुआ तो हमारे बीच कम टैरिफ़ वाला समझौता हो सकता है."

वहीं एस जयशंकर ने ट्रेड डील पर अपनी बात रखते हुए कहा, "हम एक जटिल बातचीत के बीच में हैं. उम्मीद है कि यह जल्द पूरी होगी और इसमें दोनों पक्ष शामिल हैं."

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जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से 'बड़े पैमाने पर हमले' के बारे में अमेरिका की चेतावनियों के बावजूद, भारत दृढ़ रहा और परमाणु धमकियों या कूटनीतिक दबाव से प्रभावित हुए बिना सैन्य रूप से जवाब दिया.

जयशंकर का कहना था, "हम पिछले चार दशकों से आतंकवाद का सामना कर रहे हैं- मुंबई हमला, संसद हमला और हालिया पहलगाम हमला. इन हमलों ने भारत की सहनशीलता की सीमा को लांघ दिया."

"हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवादियों और उनके संरक्षकों को बख़्शा नहीं जाएगा. चाहे वो सीमा पार हों या खुलेआम अपने हेडक्वार्टर चला रहे हों. हमें पता है कि वे कहां हैं और हमने उन्हें जवाब दिया है."

image BBC

भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं. लेकिन परमाणु हथियारों को लेकर दोनों देशों की नीति अलग-अलग है.

पाकिस्तान अक्सर कहता है कि उसकी सुरक्षा पर आँच आएगी, तो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है.

जब दोनों देशों के बीच तनाव चल रहा था, तो पाकिस्तानी विश्लेषक बता रहे थे कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किन परिस्थितियों में हो सकता है.

पाकिस्तान के चर्चित पत्रकार और विश्लेषक नजम सेठी ने पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल समा टीवी से कहा था, ''पाकिस्तान दो स्थिति में मानेगा कि भारत ने जंग की शुरुआत कर दी है. एक तो पानी रोककर और दूसरा कराची पोर्ट को ब्लॉक करना. पाकिस्तान इन दोनों स्थिति को एक्ट ऑफ वॉर के रूप में लेगा और ऐसे में हमारे पास अधिकार हैं कि परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकें. पाकिस्तान की सोच इस मामले में बिल्कुल स्पष्ट है. ये दो क्षेत्र हैं, जो पाकिस्तान के लिए रेड लाइट हैं.''

हालांकि भारत इस नीति को मानता है कि वह पहले परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं करेगा.

लेकिन अगस्त 2019 में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, ''अभी तक हमारी नीति है कि हम पहले परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं करेंगे, लेकिन भविष्य में यह नीति हालात पर निर्भर करेगी.''

भारत के मौजूदा नेतृत्व का कहना है कि वह पाकिस्तान के परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की धमकी से डरेगा नहीं.

मंगलवार को जयशंकर ने कहा, "हम अब 'न्यूक्लियर ब्लैकमेल' की बातों में नहीं आएंगे. अगर कोई हमें चोट पहुंचाएगा, तो हम जवाब देंगे."

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पाकिस्तान से बातचीत को ख़ारिज किया

एस जयशंकर का कहना है कि 'आतंकवाद' को ख़त्म करने के अलावा पाकिस्तान के साथ किसी भी मुद्दे पर बातचीत नहीं होगी. उनका कहना है कि ज़रूरत पड़ी, तो भारत फिर हमला करेगा.

जयशंकर के मुताबिक़, "अब हम ऐसी नीति की ओर बढ़ रहे हैं, जिसमें आतंकवादियों को बख़्शा नहीं जाएगा. हम यह नहीं मानते कि अगर आतंकवादी प्रॉक्सी हैं तो देश ज़िम्मेदार नहीं है. हमें तो यह बिल्कुल साफ़ दिखता है कि पाकिस्तान सरकार पूरी तरह इसमें लिप्त है."

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने शांति वार्ता की इच्छा जताई है, लेकिन भारत ने साफ़ कहा कि अगर पाकिस्तान 'आतंकवाद' जारी रखते हुए बाक़ी मुद्दों पर बात करना चाहता है, तो यह व्यावहारिक नहीं है.

एस जयशंकर ने कहा, "हम आतंकवाद पर बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन यह उम्मीद है कि हम दूसरे मुद्दों पर चर्चा करेंगे जबकि वे आतंकवाद जारी रखेंगे, तो यह व्यावहारिक नहीं है."

"आतंकवाद किसी पड़ोसी पर दबाव बनाने का कूटनीतिक तरीक़ा नहीं हो सकता और यह कहना कि अब आकर बात करो. आप एक साथ अच्छे पड़ोसी और आतंकवादी नहीं हो सकते. इसलिए उन्हें आतंकवाद बंद करना होगा."

image Getty Images जयशंकर का मानना है कि अब देशों का रुझान गठबंधनों से हटकर अपने-अपने हितों को अकेले आगे बढ़ाने की ओर बढ़ रहा है ईरान और चीन पर क्या बोले?

इसराइल‑ईरान युद्ध पर जयशंकर का कहना था कि भारत ने इस संकट को सुलझाने की पेशकश की है.

उन्होंने कहा, "हमारे वास्तव में दोनों देशों-इसराइल और ईरान से बहुत अच्छे संबंध हैं. हम उन कुछ देशों में से होंगे, जो दोनों से बहुत खुलकर और ईमानदारी से बात करने की क्षमता रखते हैं. हम कई सालों से ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं."

जयशंकर ने कहा कि अमेरिका वैश्विक स्तर पर एक बड़ा बदलाव ला रहा है, जहाँ अब देशों का रुझान गठबंधनों से हटकर अपने-अपने हितों को अकेले आगे बढ़ाने की ओर बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा, "अमेरिका के रुख़ में जो बदलाव आया है, वह वैश्विक व्यवस्था के लिए बहुत बुनियादी है. मैं कहूंगा कि अब आप 'पोस्ट-अलायंस' सोच को उभरते हुए देख रहे हैं. ऐसा नहीं है कि गठबंधन कल से ख़त्म हो जाएंगे, लेकिन अब ये दुनिया की राजनीति का केंद्र बिंदु नहीं रहेंगे."

जयशंकर कहते हैं, "चीन का उदय हो रहा है, भारत का उदय हो रहा है, रूस भी एक ताक़त है. मुझे लगता है कि हम एक ऐसे दौर की ओर बढ़ रहे हैं, जहां देश पहले से ज़्यादा अपने हितों को अकेले और ज़्यादा मज़बूती से आगे बढ़ाएंगे, ज़रूरी नहीं कि पहले की तरह सामूहिक रूप से."

बातचीत के दौरान जयशंकर से अमेरिका-चीन तनाव पर भारत की भूमिका के बारे में सवाल पूछा गया.

जयशंकर ने बताया, "अमेरिका और चीन के रिश्ते अब पहले जैसे नहीं हैं. दोनों एक-दूसरे को रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी मानते हैं. भारत दोनों के साथ अपने-अपने हितों के आधार पर संबंध रखता है."

"हम चीन के पड़ोसी हैं. हमारे व्यापारिक रिश्ते हैं, जो असंतुलित ज़रूर हैं लेकिन बड़े हैं. हम चीन के साथ स्थिरता चाहते हैं और साथ ही अमेरिका से रणनीतिक साझेदारी को भी मज़बूत कर रहे हैं."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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