ओडिशा के पुरी में गुंडिचा मंदिर के पास रविवार तड़के हुई भगदड़ में तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए. घटना के लिए प्रशासनिक लापरवाही और नाकामी को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है.
तीनों मृतकों की पहचान हो गई है. वे हैं बोलगढ़ की प्रभाती दास (52), वालीपाटणा की बासंती साहू (42) और भुवनेश्वर के प्रेमकांत महांति (78).
रथों की खिंचाई के दौरान भगदड़ में लोगों की मृत्यु की कई घटनाएं पहले भी हुई हैं.
उस समय ग्रैंड रोड पर लाखों की भीड़ जुटती है, लेकिन यह पहली बार है जब तीनों रथों के गुंडिचा मंदिर पहुंचने के बाद भगदड़ की घटना हुई है.
हरकत में आई राज्य सरकारदुर्घटना के कुछ घंटों के भीतर पुरी के ज़िलाधीश (कलेक्टर) और एसपी का तबादला कर दिया गया और दो अधिकारियों को निलंबित किया गया. इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था में कमियों को स्वीकार किया है.
रविवार दोपहर राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए एक नोटिफ़िकेशन में बताया गया कि कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वाईं को हटाकर उनकी जगह खुर्दा के ज़िलाधीश चंचल राणा को पुरी का नया कलेक्टर नियुक्त किया गया है.
एसपी विनीत अग्रवाल को हटाकर उनकी जगह पिनाक मिश्र को नया एसपी नियुक्त किया गया है. ग़ौरतलब है कि पिनाक मिश्र पहले भी पुरी के एसपी रह चुके हैं. साथ ही काम में लापरवाही के लिए डीसीपी विष्णुपति और कमांडेंट अजय पाढ़ी को निलंबित कर दिया गया है.
इसके अलावा पुरी के पूर्व कलेक्टर और फ़िलहाल राज्य उच्च शिक्षा विभाग के सचिव अरविंद अग्रवाल को रथ यात्रा संपन्न होने तक सारे इंतज़ामों का इंचार्ज बनाया गया है.
इसी तरह सुरक्षा व्यवस्था की देखरेख की ज़िम्मेदारी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सोमेंद्र प्रियदर्शी को दी गई है. राज्य के विकास कमिश्नर अनु गर्ग को दुर्घटना की प्रशासनिक जांच की ज़िम्मेदारी दी गई है.
साथ ही तीनों मृतकों के परिजनों के लिए सरकार की ओर से 25-25 लाख रुपये सहायता राशि देने की भी घोषणा की गई है.
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मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इस दुर्घटना में हुई मौत के लिए गहरा दुख प्रकट करते हुए इसके लिए लोगों से माफ़ी मांगी है.
उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा, "यह लापरवाही अक्षम्य है सुरक्षा में कमी की तत्काल जांच होगी और जिम्मेदारों के खिलाफ उदाहरणीय कार्रवाई की जाएगी."
इससे पहले बीजेडी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मोहन सरकार की कड़ी आलोचना की थी.
उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कहा, "रथ यात्रा के दिन नंदीघोष (प्रभु जगन्नाथ का रथ) को खींचने में बेहिसाब देरी को 'महाप्रभु की इच्छा' क़रार देना एक शर्मनाक बहाना है जो प्रशासन की ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश है."
कैसे घटी दुर्घटना?
चश्मदीदों के मुताबिक़, भगदड़ की घटना सुबह क़रीब 4:20 बजे उस समय हुई जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के मंदिर प्रवेश के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ एक साथ दर्शन के लिए उमड़ पड़ी.
इसी दौरान बिना किसी पूर्व सूचना के 'चारमाल' (तीनों देवताओं को अर्पित की जाने वाली मालाएं) से लदे दो ट्रक वहां पहुंच गए. इससे भगदड़ मच गई. कई लोग गिरकर एक-दूसरे के ऊपर चढ़ते चले गए.
मृतकों के परिजनों का बयान
दुर्घटना में जान गंवाने वालीं प्रभाती दास के पति विश्वजीत दास ने बताया, "वहां लगभग 30–40 हज़ार लोग थे, लेकिन पुलिस की उपस्थिति नगण्य थी. ट्रक पहुंचते ही अफरा-तफरी मच गई. कुछ पुलिसकर्मी जो मौजूद थे, वे भी भाग गए."
उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी गंभीर रूप से घायल पत्नी को आधा किलोमीटर दूर खड़ी एम्बुलेंस तक पहुंचाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
दूसरी मृतक बासंती साहू का 10 वर्षीय बेटा अस्पताल परिसर में 'मम्मी, मम्मी' चिल्लाते हुए देखा गया. उसने बताया कि भीड़ में धक्का-मुक्की के दौरान उसकी मां गिर गई और उस पर लगभग 500 लोग चढ़ गए.
प्रशासन पर गंभीर आरोप
एक घायल युवती ने ओड़िया न्यूज़ चैनल कनक टीवी को बताया, "मैं ज़मीन पर गिर गई थी और कई लोग मेरे ऊपर गिर पड़े. किसी ने मदद नहीं की. पुलिस और डॉक्टर मौजूद थे, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. हमें अपनी ही कार से अस्पताल जाना पड़ा."
कई चश्मदीदों ने यह भी बताया कि मंदिर के सामने पॉलीथिन बिछाई गई थी, जो बारिश के कारण फिसलन भरी हो गई थी. इससे कई लोग फिसल कर गिर पड़े, जिससे भगदड़ और बढ़ गई.
पुरी के तत्कालीन कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वाईं ने इन आरोपों का खंडन किया था. उन्होंने कहा था, "वहां पुलिस तैनात थी. बावजूद इसके भगदड़ कैसे हुई, इसकी जांच की जाएगी. अभी हमारी प्राथमिकता दर्शन को व्यवस्थित करना है."
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पुरी में रथ यात्रा के दौरान भगदड़ की घटना को लेकर जहां प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं आयोजन की तैयारी और प्रबंधन को लेकर भी पहले से शिकायतें सामने आ रही थीं.
शुक्रवार को यात्रा के दौरान भी कई स्तरों पर अव्यवस्था देखी गई. पुरी के सांस्कृतिक संगठन 'जगन्नाथ सेना' के प्रमुख प्रियदर्शन पटनायक ने दावा किया कि भगदड़ में नौ लोगों की मौत हुई है, लेकिन प्रशासन शवों को ग़ायब कर हादसे की गंभीरता को छिपाने की कोशिश कर रहा है.
हालांकि ज़िला प्रशासन और राज्य सरकार ने इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज किया है.
राज्य के क़ानून मामलों के मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बयान जारी कर कहा, "मैं निवेदन करता हूं कि प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा को लेकर राजनीति न की जाए."
राज्य सरकार ने यह स्वीकार किया है कि शुक्रवार को भीड़ के कारण सैकड़ों लोगों को सांस लेने में तकलीफ़ हुई, जिनका प्राथमिक उपचार कर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी.
रथ यात्रा के दौरान भारी भीड़ और सुरक्षा घेराबंदी के चलते तीनों रथ तय समय पर अपने गंतव्य स्थल गुंडिचा मंदिर नहीं पहुंच सके. रथों को शनिवार सुबह फिर से खींचा गया और दोपहर क़रीब एक बजे मंदिर परिसर में लाया जा सका.
इसमें देरी को लेकर यह आरोप भी लगे हैं कि सरकार ने हज़ारों लोगों को विशेष पास बांटे, जिससे मार्ग साफ़ करने में वक़्त लगा. साथ ही यह भी कहा गया कि मंत्रियों, बीजेपी नेताओं और अन्य वीआईपी व्यक्तियों के लिए विशेष दर्शन व्यवस्था की गई, जिससे आम श्रद्धालुओं को परेशानी हुई.
बीजेडी की राज्यसभा सांसद सुलता देव ने भी राज्य सरकार के दो मंत्रियों पर निशाना साधते हुए कहा, "क़ानून मामलों के मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन और उच्च शिक्षा मंत्री सूरज सूर्यवंशी ने हज़ारों कॉर्डन पास बांट दिए. यही कारण है कि कॉर्डन साफ़ करने में तीन घंटे लग गए और रथ सही समय पर गुंडिचा मंदिर नहीं पहुंच सके."
'वीआईपी कल्चर' की आलोचनापुरी रथ यात्रा में अव्यवस्था और भगदड़ की घटना के बीच शनिवार सुबह अदानी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अदानी के लिए विशेष इंतज़ाम किए जाने के आरोप सामने आए हैं.
चश्मदीदों और स्थानीय लोगों ने दावा किया कि गौतम अदानी को बिना किसी अड़चन के रथ खींचने का अवसर देने के लिए रथ के मार्ग को विशेष रूप से ख़ाली कराया गया.
कुछ लोगों ने यहां तक आरोप लगाया कि शुक्रवार की शाम जानबूझकर तीनों रथों को बीच रास्ते पर रोक दिया गया था ताकि शनिवार सुबह अदानी को रथ खींचने का मौका दिया जा सके.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री प्रसाद हरिचंदन ने कहा, "पूरा प्रशासन और पुलिस मौजूद था, लेकिन किसी ने रथ आगे बढ़ाने की कोशिश नहीं की. यह संदेह स्वाभाविक है कि रथों को केवल अदानी के लिए रोका गया."
इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के कानून मामलों के मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा, "विपक्ष एक धार्मिक आयोजन का राजनीतिकरण कर रहा है. उन्हें भगवान माफ़ नहीं करेंगे."
इस पूरे घटनाक्रम ने 'वीआईपी कल्चर' को लेकर तीखी बहस छेड़ दी है. श्रद्धालुओं और आम लोगों ने सोशल मीडिया और सार्वजनिक स्थानों पर नाराज़गी जताई है.
मध्य प्रदेश के सागर से आए श्रद्धालु अशोक गुप्ता ने आरोप लगाया, "मैं सैकड़ों किलोमीटर दूर से आया हूं, लेकिन मुझे दर्शन नहीं करने दिया गया. रथ के पास जाने की कोशिश की तो मुझे रोका गया और मुझसे पैसे मांगे गए."
हालांकि प्रशासन की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि रविवार सुबह जिस समय भगदड़ हुई, उस समय कोई भी वीआईपी मौजूद नहीं था और ना ही किसी विशेष व्यवस्था की आवश्यकता थी. इसलिए इस दुर्घटना के लिए 'वीआईपी व्यवस्थाएं' ज़िम्मेदार नहीं मानी जा सकतीं.
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रविवार को पुरी में रथ यात्रा के दौरान भगदड़ में तीन लोगों की मौत के बाद प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.
सबसे बड़ा सवाल यह है कि रविवार होने के चलते श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटने की आशंका के बावजूद पुलिस और प्रशासन ने पर्याप्त तैयारी क्यों नहीं की? घटना के समय मौके पर पर्याप्त पुलिसबल क्यों मौजूद नहीं था?
हालांकि, घटना के बाद पुरी के तत्कालीन कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वाईं ने पत्रकारों से बातचीत में दावा किया था कि घटनास्थल पर पुलिसकर्मी मौजूद थे. लेकिन उनके इस बयान के कुछ घंटों बाद ही उनका तबादला कर दिया गया.
नए कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि फ़िलहाल प्रशासन की प्राथमिकता रथ यात्रा की बाकी रीतियों को सुरक्षित ढंग से संपन्न कराना है.
एक अन्य बड़ा सवाल यह है कि जब हज़ारों लोग मंदिर परिसर में पहले से मौजूद थे, तो 'चारमाल' से लदे दो ट्रकों को उस भीड़ में घुसने की अनुमति किसने दी? और ट्रकों के आने से पहले लोगों को वहां से हटाने की व्यवस्था क्यों नहीं की गई?
कुंभ मेले, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और बेंगलुरु जैसी जगहों पर भगदड़ से हुई मौतों के बावजूद प्रशासन ने ऐसी स्थितियों से निपटने के पर्याप्त इंतज़ाम क्यों नहीं किए?
इन सवालों के जवाब अभी स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन सरकार की ओर से शुरू की गई जांच में उम्मीद की जा रही है कि इन मुद्दों की तह तक पहुंचा जाएगा.
चौंकाने वाली बात यह है कि हादसे के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था और उत्साह में कोई कमी नहीं आई है. सोमवार को भी राज्य के विभिन्न इलाकों और बाहर से हजारों की संख्या में लोग 'चारमाल' पहनकर गुंडिचा मंदिर पहुंचे और तीनों रथों पर विराजमान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के दर्शन किए.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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