बांग्लादेश की राजधानी ढाका में पाकिस्तान और बांग्लादेश के विदेश सचिवों की बैठक के बाद एक पत्रकार ने सवाल किया कि क्या बांग्लादेश, भारत के बजाय पाकिस्तान की ओर झुक रहा है.
इसके जवाब में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विदेश सचिव जसीम उद्दीन ने कहा, "यदि बांग्लादेश के साथ पाकिस्तान के संबंधों को ठोस आधार पर रखना है, तो अनसुलझे मुद्दों को हल करना ज़रूरी है."
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के साथ सीधे हवाई संपर्क स्थापित किए जा रहे हैं, क्योंकि जब आवागमन सुलभ होता है तो लोगों का एक देश से दूसरे देश जाना बड़ी बात नहीं लगती."
"हम पाकिस्तान के साथ जिस तरह से जुड़ रहे हैं उसका आधार आपसी सम्मान और आपसी लाभ है. हम दोनों ही अपने-अपने फ़ायदे देख रहे हैं."

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जसीम उद्दीन ने ये भी कहा कि बांग्लादेश ने इस बैठक में साल 1971 के युद्ध अपराधों के लिए पाकिस्तान से माफ़ी की मांग के संबंध में अपना पक्ष रखा.
उन्होंने ये भी कहा कि बांग्लादेश ने पाकिस्तान के साथ स्वतंत्रता-पूर्व मुआवज़े के तौर पर 4.32 अरब डॉलर की अपनी मांग पर भी चर्चा की.
बांग्लादेश के विदेश सचिव ने ये बयान पाकिस्तानी विदेश सचिव आमना बलोच के साथ बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में दिया.
अब पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक डार 27 और 28 अप्रैल को बांग्लादेश का दौरा करने वाले हैं.
क्यों अहम थी ये मुलाक़ात?पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच विदेश सचिव स्तर की ये बैठक क़रीब 15 साल के बाद हुई है.
पिछले साल अगस्त में शेख़ हसीना की सरकार के पतन के बाद पाकिस्तान के साथ बिगड़े संबंधों को सुलझाने के मक़सद से दोनों विदेश सचिवों के बीच ये बैठक ढाका में हुई है.
विश्लेषकों का कहना है कि दोनों देशों के बीच अब द्विपक्षीय व्यापार और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसकी शुरुआत इस बैठक से हो रही है.
पाकिस्तानी विदेश मंत्री इसहाक डार जब अप्रैल के आख़िर में बांग्लादेश पहुंचेंगे तो ये साल 2012 के बाद किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की पहली बांग्लादेश यात्रा होगी.
बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच विदेश सचिव स्तर की आख़िरी बैठक साल 2010 में शेख़ हसीना सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान हुई थी. इसके बाद, दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध और संचार धीरे-धीरे कम होते गए.
इस दौरान दोनों देशों के संबंध साल 1971 के युद्ध अपराध मुकदमों के मुद्दे पर बिगड़ते चले गए.
साल 2013 में बांग्लादेश में अब्दुल क़ादिर मुल्ला को फांसी दिए जाने के बाद पाकिस्तान ने चिंता व्यक्त करते हुए अपनी संसद में एक प्रस्ताव पारित किया था.
बांग्लादेश ने इसके जवाब में अपना रोष व्यक्त करने के लिए ढाका स्थित पाकिस्तानी उच्चायुक्त को तलब किया था.
अब्दुल क़ादिर मुल्ला बांग्लादेश के एक इस्लामिक लीडर और राजनेता थे. बांग्लादेश में उन्हें युद्ध अपराध का दोषी पाया गया था और सज़ा-ए-मौत दी गई थी.
हालांकि साल 2020 में, तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने तब बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को फ़ोन किया था, जिससे राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मच गई.
इससे कयास लगाए जाने लगे कि दोनों देशों के संबंध सामान्य बनाने की दिशा में सरकारें काम कर रही हैं. लेकिन उसके बाद इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई.
किन मुद्दों पर रहा है तनाव?
इससे पहले, बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद से, दोनों देशों के बीच प्रमुख मुद्दे 1971 के युद्ध से जुड़े रहे हैं.
बांग्लादेश, पाकिस्तान से युद्ध के दौरान हुए नरसंहार के लिए औपचारिक माफ़ी की मांग करता रहा है. साथ ही बांग्लादेशी संपत्तियों की वापसी भी उसकी मांग में शामिल रही है.
हालाँकि, अब दोनों देश इन पुराने मुद्दों की बजाय व्यापार और संपर्क बढ़ाने जैसे मुद्दों पर चर्चा करने में ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं.
पाकिस्तान में बांग्लादेश के उच्चायुक्त मोहम्मद इक़बाल हुसैन ख़ान ने बांग्लादेश की सरकारी एजेंसी बीएसएस से कहा, "पूरी दुनिया में द्विपक्षीय संबंधों में इस तरह के तनाव होते हैं, लेकिन इनसे मौजूदा संबंधों या आर्थिक सहयोग में बाधा नहीं आनी चाहिए."
वहीं बांग्लादेश के पूर्व राजनयिक हुमायूं कबीर का मानना है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच इस तरह की बैठक 15 साल बाद हो रही है, जिससे इसमें एक नया आयाम जुड़ रहा है.
उन्होंने बैठक से पहले बीबीसी बांग्ला से हुई बातचीत में बताया, "इस बैठक का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने के लिए ज़रूरी चर्चा करके एक साझा आधार तैयार करना होगा."
कई विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव के बाद विभिन्न स्तरों पर सक्रिय भारत विरोधी भावना का फायदा उठाने के लिए क्षेत्रीय राजनीति में बांग्लादेश को साथ लेने की कोशिश कर रहा है.
पाकिस्तान के नीति निर्माता बांग्लादेश सरकार के चीन के साथ संबंधों को मज़बूत करने के प्रयासों पर उत्साहित हैं क्योंकि पाकिस्तान और चीन के संबंध बेहद घनिष्ठ हैं.
जबकि चीन और भारत के संबंध हाल के समय में सीमा विवाद के कारण तनावपूर्ण रहे हैं.
बांग्लादेश के जहांगीरनगर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर और अंतरराष्ट्रीय संबंध मामलों के जानकार साहब इनाम ख़ान का कहना है, "पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश के सतत और प्रभावी राजनयिक संबंध उसकी स्थिरता, सुरक्षा और क्षेत्रीय हितों के लिए अहम हैं."
उन्होंने बीबीसी बांग्ला से कहा, "मुझे लगता है कि दोनों देशों के बीच संबंध अब एक नए स्तर पर पहुंचेंगे. ये ज़रूरी है कि व्यापार, संपर्क और सार्क जैसे मुद्दों पर पाकिस्तान की भी अहम भूमिका हो. बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ-साथ ईरान, मध्य पूर्व और मध्य एशियाई देशों के साथ संपर्क में गहरी दिलचस्पी रखता है."
दूसरी ओर, पाकिस्तान पिछले साल अगस्त से ही बांग्लादेश को कपास सहित कुछ उत्पादों के निर्यात बढ़ाने की संभावना पर उससे बात कर रहा है.
दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष माल परिवहन भी पहले ही शुरू हो चुका है.
अफ़गानिस्तान और ईरान से माल की आवाजाही के लिए पाकिस्तान एक तरह से बांग्लादेश के लिए प्रवेश द्वार है, इसलिए बांग्लादेश के लिए पाकिस्तान के ज़रिए इन देशों से माल आयात करने का मौक़ा है.
साहब इनाम ख़ान कहते हैं, "सरकार उन देशों को प्राथमिकता दे रही है जो उसकी अर्थव्यवस्था में बेहतर योगदान दे सकते हैं. लिहाजा, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंधों से दोनों ही देशों को फ़ायदा होगा."
वहीं हुमायूं कबीर का कहना है, "बांग्लादेश और पाकिस्तान एक ही क्षेत्र और सार्क के सदस्य हैं. दोनों देशों को संचार के मामले में आपसी कनेक्टिविटी बढ़ने से लाभ होगा. व्यापार और वाणिज्य के लिए अवसर और संभावनाएं हैं जो दोनों देशों के लिए फ़ायदेमंद होंगी."
"पर्यटन भी दोनों देशों के लिए एक नया क्षेत्र हो सकता है. दोनों देशों के लोगों के बीच संचार बढ़ाने के तरीके बातचीत की मेज़ पर खोजे जाने चाहिए."
इससे पहले, बांग्लादेश और भारत के विदेश सचिवों की पिछले दिसंबर में ढाका में मुलाकात हुई थी.
ये बैठक शेख़ हसीना की सरकार के पतन के बाद बिगड़ते राजनयिक संबंधों और राजनीतिक तनाव के बीच आयोजित की गई थी.
दूसरी ओर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने प्रोफ़ेसर मोहम्मद यूनुस को शेख़ हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में पदभार संभालने पर फ़ौरन बधाई दी थी.
एक महीने बाद, सितंबर में, दोनों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेने के दौरान मुलाक़ात की थी जिससे दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर होने का संकेत मिला.
इसके बाद, नवंबर में, कराची से एक कंटेनर जहाज सीधे बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा. इस ख़बर की सोशल मीडिया पर ख़ासी चर्चा हुई.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान ने साल 2023 में बांग्लादेश को लगभग 65 करोड़ डॉलर का सामान निर्यात किया.
इसके विपरीत, बांग्लादेश से पाकिस्तान को निर्यात किए गये माल का मूल्य 6 करोड़ डॉलर से थोड़ा ही ज़्यादा था.
बांग्लादेश मुख्य रूप से कच्चा जूट, दवाइयां, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, चाय और सिले-सिलाए कपड़ों का निर्यात करता है.
विश्लेषकों का मानना है कि अगर पाकिस्तान और बांग्लादेश के संबंध सामान्य गति से आगे बढ़ते हैं तो दोनों देशों के बीच व्यापार कई गुना बढ़ सकता है, जिससे दोनों देशों को फ़ायदा होगा.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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