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कुट्टू या सिंघाड़े का आटा: व्रत के दौरान क्या है बेहतर विकल्प?

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Getty Images व्रत के दौरान कुट्टू या सिंघाड़े के आटे का इस्तेमाल बढ़ जाता है

गेहूं के आटे के विपरीत कुट्टू या सिंघाड़े का आटा किसी अनाज से बना नहीं होता. इसलिए धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़ व्रत में इन आटों का सेवन किया जा सकता है.

इस बात को लेकर अक्सर चर्चा होती है कि कुट्टू या सिंघाड़े में से कौन सा आटा ज़्यादा अच्छा है. यह चर्चा ज़्यादातर व्रत के दौरान होती है, जब कई लोग अनाज नहीं खाते.

नवरात्रि का त्योहार शुरू होते ही लोगों के मन में यह सवाल उठ सकता है कि व्रत में इन दोनों में से किस आटे का इस्तेमाल करें.

इस लेख में हम कुछ एक्सपर्ट्स से बातचीत के आधार पर जानने की कोशिश करेंगे कि दोनों में से किस आटे का सेवन ज़्यादा फ़ायदेमंद है.

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कुट्टू का आटा बकव्हीट के बीज को सुखाकर पीसने से तैयार होता है. बकव्हीट दरअसल अनाज नहीं बल्कि एक पौधे का बीज है.

यह तक़रीबन चने की दाल के आकार का होता है. इसके बीजों को सुखाकर पीसा जाता है, जिससे कुट्टू का आटा बनता है.

वहीं सिंघाड़ा पानी के अंदर पैदा होने वाला फल है. इसमें काफ़ी मात्रा में पानी होता है. इसका फल अंदर से सफेद रंग का होता है और इसे सुखाकर पीसा जाता है, जिससे सिंघाड़े का आटा तैयार होता है.

कुट्टू और सिंघाड़े के आटे में यही एक बुनियादी अंतर है.

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इन आटों में कौन से पोषक तत्व होते हैं image Getty Images कुट्टू और सिंघाड़े के आटे में ग्लूटेन नहीं पाया जाता है (सांकेतिक तस्वीर)

व्रत में इन दोनों आटों का इस्तेमाल ज़्यादातर होता है, जब आम दिनों की तरह भोजन नहीं किया जाता.

ऐसे समय में शरीर को ज़्यादा-से-ज़्यादा पोषक तत्व देने वाले भोजन की ज़रूरत होती है.

'दिल्ली डायट्स' की संस्थापक और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट अमृता मिश्रा के मुताबिक़, "कुट्टू के आटे में ग्लूटेन नहीं होता. इसमें मैग्नीशियम, प्रोटीन, आयरन, विटामिन बी और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं."

कुट्टू के आटे की आमतौर पर पूरियां बनाई जाती हैं.

सिंघाड़े का आटा भी ग्लूटेन फ्री होता है. इसमें प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और फ़ाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसकी तासीर ठंडी होती है. व्रत के दौरान इससे पूरी, रोटी, पकौड़े और हलवा वगैरह बनाकर खाया जाता है.

इसके विपरीत, कुट्टू के आटे की तासीर गर्म होती है और आमतौर पर इसकी पूरियां बनाकर खाई जाती हैं.

कौन-सा आटा ज़्यादा फ़ायदेमंद image BBC

दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की डायटिशियन डॉक्टर रेखा रमोत ने बीबीसी को बताया, "कुट्टू और सिंघाड़े का आटा दोनों ही ठीक हैं. ऐसा नहीं है कि कोई ख़राब है. लेकिन परेशानी यह है कि कुट्टू के आटे को लोग फ्राई कर लेते हैं, उसकी पूरियां बना लेते हैं, जिसमें तेल की मात्रा ज़्यादा होती है."

रेखा रमोत सलाह देती हैं, "अगर कुट्टू के आटे को तेल की सीमित मात्रा डालकर पराठा बनाकर खाएं तो ज़्यादा अच्छा होगा. कुट्टू के आटे में सिंघाड़े के मुक़ाबले कार्बोहाइड्रेट भी थोड़ा ज़्यादा होता है."

हालांकि कुट्टू के आटे को नमी से बचाकर रखना ज़रूरी है, क्योंकि इसकी सेल्फ़ लाइफ़ कम होती है.

कई बार ऐसी ख़बरें आती हैं कि कुट्टू का आटा खाने से लोग बीमार पड़ गए. इसकी बड़ी वजह यही होती है कि उसे सही तरीके से नहीं रखा गया और आटा ख़राब हो गया.

दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉक्टर मंजरी चंद्रा कहती हैं, "अगर आप पोषक तत्वों की बात करें तो दोनों में ही शरीर के लिए ज़रूरी विटामिन और मिनरल्स कुछ मात्रा में पाए जाते हैं."

"लेकिन सिंघाड़े के आटे को पचाना ज़्यादा आसान है. यह बहुत हल्का होता है. अगर हम इसे फ्राई न करें और पैन पर पकाकर कढ़ी, दही या किसी सब्ज़ी के साथ खाएं तो इसे पचाना आसान होता है."

जबकि कुट्टू के आटे को पचाना इसके मुक़ाबले थोड़ा मुश्किल होता है. सिंघाड़े को आटे के अलावा कच्चे रूप में भी खाया जा सकता है. इसे उबालकर भी खाया जाता है, जबकि कुट्टू को उबालकर नहीं खा सकते.

फ़ास्टिंग के लिहाज़ से देखें तो इस दौरान कम खाया जाता है ताकि शरीर को आराम मिले और टॉक्सिक चीज़ें बाहर निकल जाएं, यानी शरीर में हार्मोन का संतुलन बना रहे. इस लिहाज़ से एक्सपर्ट सिंघाड़े के आटे को बेहतर मानते हैं.

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एक्सपर्ट की सलाह image BBC

कुट्टू और सिंघाड़े दोनों में कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं. इसका मतलब है कि इनमें फ़ाइबर होता है, जो धीरे-धीरे शरीर में शुगर बनाता है. इससे ब्लड शुगर अचानक नहीं बढ़ता.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक़, कुट्टू के आटे में प्रोटीन की मात्रा ज़्यादा होती है क्योंकि यह बीज से बना है, जबकि सिंघाड़े के आटे में फ़ाइबर की मात्रा थोड़ी ज़्यादा होती है. इसलिए इसे खाने से पेट ज़्यादा देर तक भरा महसूस होता है.

कुट्टू या सिंघाड़े के आटे को ज़्यादा तेल या घी में तलकर पूरियां या अन्य चीज़ें बनाकर खाना सही नहीं है. व्रत में सामान्य आटे की पूरियां नहीं खाई जातीं, इसलिए लोग इन्हें फ्राई कर लेते हैं, जो ठीक नहीं है.

न्यूट्रिशन एक्सपर्ट अमृता मिश्रा बताती हैं, "कुट्टू का आटा कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है. लेकिन दोनों के इस्तेमाल से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आटे में मिलावट न हो. साथ ही एक महीने से ज़्यादा पुराना आटा इस्तेमाल न करें."

आमतौर पर कुट्टू या सिंघाड़े के आटे को फ़्रिज़ में रखने की सलाह दी जाती है, ताकि इन्हें सुरक्षित रखा जा सके.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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