पत्थरों के बीच मिले शिशु के मामले में पुलिस ने आरोपी महिला और उसके पिता को हिरासत में ले लिया है। शुरुआती जाँच में पता चला है कि शिशु को बेचने की कोशिश की गई थी, लेकिन जब वह नाकाम रही, तो शिशु को फेंक दिया गया। उसकी चीखें दबाने के लिए उसके मुँह में पत्थर ठूँस दिया गया और फेविकोल लगाया गया।
पुलिस जल्द ही नवजात के साथ हुई इस क्रूरता का खुलासा करेगी। शिशु महात्मा गांधी अस्पताल के एनआईसीयू वार्ड में ज़िंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। बाल कल्याण समिति ने उसका नाम "तेजस्व" रखा है। पुलिस ने बूंदी के सरकारी अस्पताल से प्रसव के रिकॉर्ड हासिल कर लिए हैं।
बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. इंदिरा सिंह चौहान ने बताया कि 72 घंटे के इलाज के बाद ही बच्चे के बचने की पुष्टि हो पाएगी। उन्होंने आगे कहा कि गुरुवार की जाँच में शिशु की साँस लेने की तकलीफ़ में थोड़ा सुधार दिखा, जो राहत की बात है। सर्जरी करने वाले डॉक्टरों ने घावों पर ड्रेसिंग कर दी है, जिन्हें ठीक होने में कम से कम 15 दिन लगने की उम्मीद है।
वीडियो वायरल: सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश
इस हृदयविदारक, अमानवीय घटना की खबरें और वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहे हैं, जिससे व्यापक आक्रोश फैल रहा है। हर कोई इस जघन्य अपराध की कड़ी निंदा कर रहा है और पुलिस से इस क्रूर कृत्य को अंजाम देने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग कर रहा है।
ये है पूरी कहानी
दरअसल, मंगलवार को बिजोलिया इलाके में पत्थरों के बीच एक 15 दिन का नवजात शिशु फेंका हुआ मिला। उसके छोटे से मुँह में पत्थर ठूँसा हुआ था और रोने से रोकने के लिए उसके होठों को फेविकोल से सील कर दिया गया था। यह दुखद दृश्य तब सामने आया जब सीतामाता कुंड के पास बकरियाँ चरा रहे कुछ चरवाहों ने पत्थरों के बीच पड़े नवजात शिशु को देखा।
पत्थर हटाते ही शिशु चीखने लगा। जब चरवाहों ने पास जाकर उसकी जाँच की, तो पाया कि उसका मुँह पत्थरों से भरा हुआ था और उसके होंठ आपस में चिपके हुए थे। ग्रामीणों ने किसी तरह पत्थर हटाकर उसके होठों को अलग किया, और शिशु ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा। शिशु की किलकारियों ने वहाँ मौजूद हर किसी का दिल पिघला दिया। उसकी आँखों में जीने की चाहत साफ़ दिखाई दे रही थी।
बच्चे के पैर गर्म पत्थरों से झुलस गए थे
बच्चे के नन्हे पैरों की त्वचा गर्म पत्थरों पर लेटने से झुलस गई थी। गाँव वालों ने उसे तुरंत बिजौलिया अस्पताल पहुँचाया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे का वजन ढाई किलो था और उसका जन्म लगभग पंद्रह दिन पहले हुआ था। शुरुआती इलाज के बाद, जब उसकी हालत बिगड़ी, तो उसे भीलवाड़ा के मातृ एवं शिशु अस्पताल रेफर कर दिया गया।
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