केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अंग्रेजी भाषा को लेकर दिए गए बयान पर सियासी घमासान शुरू हो गया है। उन्होंने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा था कि "आज जो अंग्रेज़ी बोलते हैं, वो एक न एक दिन पछताएंगे।" इस टिप्पणी पर अब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
अशोक गहलोत ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
गहलोत ने शिक्षा और अवसरों से जोड़ा मुद्दा"कांग्रेस पार्टी, राहुल गांधी और हम सभी हिन्दी के पक्षधर हैं, लेकिन अंग्रेजी एक अंतरराष्ट्रीय भाषा है, जो सभी के लिए दुनिया के नए रास्ते खोलती है। अमित शाह और भाजपा-आरएसएस के तमाम लोग अंग्रेजी के खिलाफ रहते हैं।"
गहलोत ने आगे कहा कि हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान होना चाहिए, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि अंग्रेजी को नीचा दिखाया जाए या बोलने वालों को पछताने की बात की जाए।
उन्होंने तंज कसते हुए लिखा कि,
भाजपा की सफाई"आपके ही नेताओं के बच्चे विदेशों में पढ़ते हैं और अंग्रेजी में ही बात करते हैं।"
भाजपा की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी सूत्रों के मुताबिक अमित शाह का आशय यह था कि अंधी अंग्रेजीभक्ति से मातृभाषा और देशज भाषाओं को नुकसान हो रहा है, जिसे लेकर चिंता व्यक्त की गई थी।
राजनीतिक विश्लेषणराजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाषा की राजनीति एक बार फिर चुनावी मौसम में ध्रुवीकरण का जरिया बनती दिख रही है। जहां भाजपा और संघ मातृभाषाओं को प्राथमिकता देने की बात कर रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे अभिव्यक्ति और अवसरों की आज़ादी से जोड़ कर देख रहा है।
कांग्रेस का पलटवार जारीकांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी इस मसले पर भाजपा को आड़े हाथों लिया है। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि,
"आज के वैश्विक दौर में अंग्रेजी बोलने वालों को पछताने की बात करना हास्यास्पद है। यह सोच देश के युवाओं को सीमित करने वाली है।"
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