राजस्थान में पशु परिचारक भर्ती-2023 को लेकर लंबे समय से चल रही कानूनी लड़ाई अब समाप्त हो गई है। राजस्थान उच्च न्यायालय ने भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक हटा ली है और अब 6433 पदों पर नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। इस भर्ती के लिए 17 लाख से ज़्यादा आवेदन प्राप्त हुए थे।
आपको बता दें कि उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति रेखा बोराणा की एकलपीठ ने स्पष्ट किया कि भर्ती प्रक्रिया में विशेषज्ञों द्वारा निर्धारित मानकों का पालन किया गया है, इसलिए न्यायालय को हस्तक्षेप का कोई आधार नज़र नहीं आता। न्यायालय ने यह भी कहा कि परीक्षा कई पालियों में आयोजित की गई थी और इसके लिए सामान्यीकरण यानी स्केलिंग प्रक्रिया अपनाना ज़रूरी था।
घोषित परिणाम में स्केलिंग फॉर्मूले का इस्तेमाल
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि 3 अप्रैल 2025 को घोषित परिणाम में स्केलिंग फॉर्मूले का इस्तेमाल किया गया था, जबकि 6 अक्टूबर 2023 के विज्ञापन में इसका कोई ज़िक्र नहीं था। याचिकाकर्ताओं ने इस आधार पर भर्ती को चुनौती दी थी कि विज्ञापन में केवल नेगेटिव मार्किंग की बात थी, स्केलिंग या सामान्यीकरण की नहीं।
कर्मचारी चयन बोर्ड का रुख
इस पर, कर्मचारी चयन बोर्ड (RSSB) की ओर से अधिवक्ता मनीष पटेल ने अदालत को बताया कि इतने बड़े पैमाने पर परीक्षा एक ही दिन या पाली में आयोजित करना संभव नहीं था। परीक्षा 6 पालियों में आयोजित की गई थी और इसी के आधार पर विशेषज्ञ समिति ने स्केलिंग का फॉर्मूला सुझाया था। 5 जून, 2024 को जारी एक परिपत्र में यह स्पष्ट किया गया था कि स्केलिंग लागू होगी और इस परिपत्र को मूल विज्ञापन का हिस्सा माना गया था।
याचिकाकर्ताओं ने 'रॉ मार्क्स' और कटऑफ सार्वजनिक न करने का मुद्दा भी उठाया। इस पर बोर्ड ने स्पष्ट किया कि पहली सुनवाई के दौरान यह सवाल उठने के बाद, असफल अभ्यर्थियों के रॉ मार्क्स घोषित कर दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए याचिका खारिज
हाईकोर्ट ने कहा, जब अभ्यर्थियों ने बिना किसी आपत्ति के चयन प्रक्रिया में भाग लिया था, तो वे असफल घोषित होने के बाद इसकी शर्तों को चुनौती नहीं दे सकते। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए इस याचिका को भी खारिज कर दिया।
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