राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 25 जून की दोपहर जोधपुर में कहा था कि उनकी ही पार्टी के लोग सीएम भजनलाल शर्मा के खिलाफ साजिश कर रहे हैं। उन्हें दिल्ली से हटाकर राजस्थान ले जाने की योजना है। उन्हें बार-बार इस बारे में चेताया जा रहा है, लेकिन वे इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। भाजपा के शीर्ष नेताओं ने तुरंत गहलोत के दावे का खंडन किया और गहलोत को सलाह दी कि वे पहले अपना घर संभालें। उन्हें भाजपा पर उंगली उठाने का कोई अधिकार नहीं है।
'गहलोत ने डर में बिताए 5 साल'
गहलोत का यह बयान राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में तेजी से वायरल हुआ, जिसका मुकाबला करने के लिए उनके ओएसडी लोकेश शर्मा भी मैदान में कूद पड़े। उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, 'जिस दिन से अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, मैंने 5 साल इस डर में बिताए कि कहीं मुझे हटा न दिया जाए, कहीं मुझे बदल न दिया जाए। अपनी कुर्सी बचाने के लिए उन्होंने हर तरह की साजिश, चाल, अपने ही नेताओं की जासूसी, आलाकमान को धोखा देने और यहां तक कि उन्हें धोखा देने का काम किया। अब सरकार बदल गई है। लेकिन उनका भ्रम बरकरार है। वह सोचते रहते हैं कि मुख्यमंत्री को हटाया या बदला नहीं जाना चाहिए।'
'गहलोत के तनाव विकार से पीड़ित होने की संभावना'
खुद को अशोक गहलोत का शुभचिंतक बताते हुए लोकेश शर्मा ने आगे लिखा, 'मैंने कुछ शोध किया और पाया कि जिस व्यक्ति ने अपनी कुर्सी खोने के डर में 5 साल बिताए हैं, उसे पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) नामक बीमारी होने की बहुत अधिक संभावना हो सकती है। क्योंकि इसमें व्यक्ति सोचता है कि जो मेरे साथ हो सकता है, वह दूसरों के साथ भी हो सकता है। शायद इसीलिए वह इस तरह के बेबुनियाद बयान दे रहा है। जो लोग दिल्ली में हमारी पार्टी में क्या चल रहा है, इसकी जानकारी नहीं रखते, वे दिल्ली में अन्य पार्टियों में रची जा रही साजिशों को बता रहे हैं और मौजूदा मुख्यमंत्री को अपने ही नेताओं के खिलाफ भड़काने की कोशिश भी कर रहे हैं।'
'पहली बार विधायक बने व्यक्ति का सीएम बनना पच नहीं रहा'
लोकेश शर्मा ने आगे लिखा, 'वे भजनलाल शर्मा के सीएम बने रहने के लिए अत्यधिक चिंता दिखा रहे हैं। ऐसे में गहलोत को कुर्सी पर बने रहने और किसी को विकल्प न बनने देने तथा जिसे मिल जाए उसे खत्म करने के अपने हथकंडे खुलकर बताने चाहिए, ताकि सीएम बनने के बाद वे सीख सकें कि कैसे जमे रहते हैं। हालांकि, उनकी नजर में एक युवा और पहली बार विधायक बने व्यक्ति का सीएम बनना वाकई बड़ी बात है, क्योंकि वे इसे पचा नहीं पाते। उन्हें यह शोभा नहीं देता कि नया नेतृत्व तैयार हो या किसी को मौका मिले।'
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