जिले की खैरथल कृषि उपज मंडी में 22 साल बाद भी किसानों के लिए ज़रूरी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। मंडी के व्यापारियों ने लोकल 18 को बताया कि खैरथल मंडी राजस्थान की प्रमुख कृषि उपज मंडियों में से एक है और इसे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। किसानों की फसलों से मंडी का सालाना कारोबार लगभग 600 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है और हर साल 10 करोड़ रुपये से ज़्यादा मंडी शुल्क के रूप में वसूला जाता है। फिर भी, सुविधाओं के नाम पर किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
खैरथल कृषि उपज मंडी व्यापार समिति के अध्यक्ष सर्वेश गुप्ता ने बताया कि मंडी में व्यापारियों और किसानों के लिए सुविधाओं की अच्छी व्यवस्था नहीं है। उनके अनुसार, दुकानों के आगे चबूतरे और टीन शेड नहीं हैं, जिससे बारिश के मौसम में किसानों की फसलें भीगकर खराब हो जाती हैं। वहीं, मंडी की सड़कों पर लगी सोलर लाइटें भी खराब हालत में हैं। आज तक मंडी में बैंक शाखाओं, एटीएम और सुरक्षा व्यवस्था के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। इस समस्या को लेकर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को कई बार 4.30 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन अभी तक बजट स्वीकृत नहीं हुआ है।
350 दुकानों के लिए मात्र 8 गार्ड तैनात
मंडी में 350 से ज़्यादा दुकानें संचालित हैं, जहाँ प्रतिदिन औसतन 400 से 500 किसान अपनी फसल लेकर आते हैं, जबकि सीज़न के दौरान यह संख्या हज़ारों में पहुँच जाती है। यहाँ सरसों, कपास, बाजरा, चना, गेहूँ और अन्य जिंसों का व्यापार होता है। मंडी अध्यक्ष ने बताया कि किसान भवन की हालत बेहद जर्जर हो चुकी है और किसानों के ठहरने की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। शौचालयों की हालत भी खराब है, जिससे किसानों को भवन की सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है और उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
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