राजस्थान पुलिस को साइबर अपराध के खिलाफ चल रही कार्रवाई के तहत बड़ी सफलता मिली है। भरतपुर रेंज कार्यालय की टीम ने लोगों को ऑनलाइन गेमिंग और निवेश के जाल में फंसाकर देशभर में 400 करोड़ रुपए से अधिक की साइबर ठगी करने वाले गिरोह के दो सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है। ये दोनों आरोपी साइबर ठगी नेटवर्क के कुख्यात सरगना शशिकांत और रोहित दुबे के करीबी और पुराने साथी हैं।
ऑनलाइन गेमिंग और निवेश ठगी
भरतपुर आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि टीम ने नई दिल्ली निवासी आरोपी रोहित शर्मा (28) और बैंगलोर निवासी अनूप श्रीवास्तव (40) को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपी गिरोह के मुख्य सरगना के बचपन के दोस्त हैं और शुरू से ही इस ठगी नेटवर्क में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। रोहित शर्मा तकनीकी काम संभालता था, जबकि अनूप श्रीवास्तव फर्जी कंपनियों को ऑनबोर्ड करने का काम देखता था। यह कार्रवाई साइबर अपराध के खिलाफ बड़ी सफलता है। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ जारी है और आने वाले दिनों में इस गिरोह से जुड़े कई और चौंकाने वाले खुलासे होने की संभावना है। अगर किसी भी व्यक्ति को ऑनलाइन गेम, निवेश या लॉटरी के नाम पर कोई संदिग्ध लिंक या कॉल आती है तो तुरंत 1930 साइबर हेल्पलाइन पर संपर्क करें और धोखाधड़ी से बचें।
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
हुआ यूं कि 6 मार्च 2025 को हरिसिंह नाम के व्यक्ति ने धौलपुर साइबर थाने में 1930 हेल्पलाइन पर फिनो पेमेंट बैंक के खाते से धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। जब इस शिकायत की रेंज साइबर वॉर रूम द्वारा जांच की गई तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि इसी बैंक खाते के खिलाफ पहले से 3000 से अधिक शिकायतें दर्ज थीं, जो अब बढ़कर 4000 से अधिक हो गई हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत साइबर थाना धौलपुर में एफआईआर दर्ज कराई गई। इसके बाद मामला रेंज कार्यालय को सौंप दिया गया और इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया।
ऐसे करते थे ठगी
आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि इस ठगी गिरोह ने एबंडेंस पेमेंट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (ट्राईपे) नाम से फर्जी कंपनी बनाई थी, जिसका मुख्यालय बेंगलुरु में था। आरोपी अनूप श्रीवास्तव फर्जी कंपनियों को जोड़ने का काम देखता था। जबकि रोहित शर्मा सर्वर, पेमेंट लिंक और ट्रांसफर जैसे तकनीकी काम संभालता था। ये लोग सीधे कंपनियों से संपर्क नहीं करते थे, बल्कि बिचौलियों (रीसेलर) के जरिए काम करते थे। कंपनी में करीब 25 फर्जी कंपनियां (व्यापारी) थीं, जिनके खातों पर शशिकांत और रोहित दुबे का नियंत्रण था। इन खातों से भुगतान करने की जिम्मेदारी इन्हीं पर थी।