चार महीनों में वर्षा कैसी रहेगी? खाद्यान्न की स्थिति क्या रहेगी? इन सवालों के जवाब खोजने के लिए आषाढ़ वायु धारिणी पूर्णिमा के अवसर पर राजधानी में पारंपरिक और वैज्ञानिक तरीकों से वायु परीक्षण किया गया। सूर्यास्त के समय जंतर-मंतर स्थित सम्राट यंत्र से लेकर विज्ञान केंद्र तक अनुभवी ज्योतिषियों, पंचांग निर्माताओं और विद्वानों ने वायु की दिशा और गति का विश्लेषण किया। परिणाम उत्साहजनक रहे। पूर्व से पश्चिम की ओर बह रही हवा ने संकेत दिया कि इस बार श्रावण मास और संपूर्ण चातुर्मास में अच्छी वर्षा होने की संभावना है। साथ ही, कृषि उत्पादन और जल स्रोतों की स्थिति भी बेहतर रहने के संकेत हैं।
जंतर-मंतर पर ध्वज परीक्षण हुआ
राजधानी के ऐतिहासिक जंतर-मंतर पर स्थित 110 फीट ऊँचे विशाल सम्राट यंत्र पर सूर्यास्त के समय ध्वज की दिशा देखकर वरिष्ठ ज्योतिषियों और पंचांग निर्माताओं ने वायु प्रवाह का अध्ययन किया। ज्योतिषियों के अनुसार, संवत्सर का नाम 'सिद्धार्थ' होने का अर्थ है कि बादल जल से परिपूर्ण होंगे और अच्छी वर्षा होगी। इससे अन्न की प्रचुरता, राजनीतिक स्थिरता और जनकल्याणकारी कार्यों में वृद्धि की संभावना बनती है। इस अवसर पर प्रो. डॉ. विनोद शास्त्री, डॉ. विनोद कुमार शर्मा, डॉ. लता श्रीमाली सहित अनेक ज्योतिषी एवं विद्वान उपस्थित थे।
विज्ञान केंद्र में 298वाँ वायु परीक्षण
अखिल भारतीय प्राच्य ज्योतिष अनुसंधान संस्थान द्वारा शास्त्री नगर स्थित क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र एवं विज्ञान उद्यान में 298वाँ वायु परीक्षण किया गया। समन्वयक डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि यहाँ भी वायु प्रवाह पश्चिम दिशा में पाया गया, जो प्रचुर वर्षा और बेहतर कृषि उत्पादन का संकेत देता है, हालाँकि जल प्रकोप की भी संभावना व्यक्त की गई। पंडित चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि 'काल का वाहन अश्व' होने के कारण तूफान, ओलावृष्टि और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की संभावना है। वहीं 'काल धोबी के घर में निवास करता है' जल स्रोतों के परिपूर्ण होने और अच्छी वर्षा का संकेत देता है।
चार स्तंभों के तुलनात्मक निष्कर्ष
जल स्तंभ: 85.35% - वर्षा अच्छी है
घास स्तंभ: 100% - चारे की उपलब्धता अच्छी है
वायु स्तंभ: 10.72% - वायु की कमी
खाद्य स्तंभ: 21.67% - खाद्य उत्पादन में संभावित रोग प्रकोप
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