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वीडियो में देखे कुम्भलगढ़ किले के वो डरावने हिस्से, जहाँ अकेले होने पर भी महसूस होती है किसी अनदेखी ताकत की मौजूदगी

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राजस्थान का कुम्भलगढ़ किला अपनी ऐतिहासिक भव्यता और स्थापत्य के लिए तो प्रसिद्ध है ही, लेकिन इस किले के कुछ हिस्से ऐसे भी हैं जो रहस्य और डर की एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं। अरावली की पहाड़ियों पर बसे इस विशाल किले के बारे में कहा जाता है कि इसके कुछ भाग इतने सन्नाटे और अजीब ऊर्जा से भरे हुए हैं कि यहां अकेले घूमने पर भी इंसान को लगता है जैसे कोई उसके साथ-साथ चल रहा हो।

इतिहास से जुड़ा गौरव और छुपा डर

15वीं शताब्दी में राणा कुम्भा द्वारा बनवाया गया यह किला भारत की सबसे लंबी दीवारों (36 किलोमीटर) के लिए प्रसिद्ध है। यह किला न केवल मेवाड़ की रक्षा में एक अहम भूमिका निभाता रहा है, बल्कि यह भी कहा जाता है कि यहां कई राजाओं, सैनिकों और संतों की आत्माएं आज भी भटकती हैं। दिन के समय यह जगह एक पर्यटक स्थल की तरह दिखती है, लेकिन जैसे ही सूरज ढलता है, यहां की हवा भारी लगने लगती है।

सबसे डरावना हिस्सा: "भीम बुर्ज" और उसकी परछाइयाँ

किले का सबसे अधिक डरावना स्थान माने जाने वाले हिस्सों में से एक है "भीम बुर्ज"। यह वह स्थान है जहां कभी सैनिकों की कड़ी निगरानी रखी जाती थी। स्थानीय गाइड्स और सुरक्षा कर्मियों का कहना है कि यहां रात के समय अक्सर लोगों को किसी के चलने की आहट, हल्की फुसफुसाहटें और परछाइयाँ दिखती हैं, जबकि वहां कोई नहीं होता।

रानियों की हवेली: रहस्यमय सन्नाटा और भारी वातावरण

किले के एक अन्य भाग — रानियों की हवेली — में भी कुछ असामान्य घटनाएं सामने आई हैं। पर्यटकों का कहना है कि वहां दाखिल होते ही एक अजीब सी घुटन और बेचैनी महसूस होती है। कई बार लोगों ने बताया कि उन्हें लगा जैसे किसी ने उनके कंधे पर हाथ रखा हो या उनके पीछे कोई चल रहा हो, लेकिन जब वे पीछे मुड़कर देखते हैं तो वहां कोई नहीं होता।

तंत्र-मंत्र और बलिदान की कहानियाँ

स्थानीय लोगों के अनुसार, किले के निर्माण के दौरान कई बलिदानों की कथाएं भी जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि किले की नींव को मजबूत करने के लिए एक साधु ने अपना सिर कटवाया था और वह स्थान आज भी पूजा जाता है। यह बलिदान स्थायी शक्ति देने के लिए था, लेकिन इसके साथ ही कुछ रहस्यमयी ऊर्जा भी स्थायी रूप से वहां बस गई। कुछ लोग मानते हैं कि उस स्थान के आसपास आज भी रात को रुकने पर डरावने सपने आते हैं या अजीब अनुभव होते हैं।

रात में बंद होने का कारण क्या है?

कुम्भलगढ़ किला पर्यटकों के लिए सूरज ढलने के बाद बंद कर दिया जाता है। इसका एक कारण सुरक्षा हो सकता है, लेकिन स्थानीय निवासियों और गाइड्स का कहना है कि जैसे-जैसे अंधेरा घिरता है, यहां की गतिविधियाँ बदलने लगती हैं। यहां काम करने वाले कुछ लोगों ने बताया है कि कई बार उन्होंने खाली गलियारों में किसी के चलने की आवाजें सुनी हैं या अचानक से बहुत ठंडी हवा का झोंका महसूस किया है, जबकि मौसम सामान्य रहता है।

वैज्ञानिक नजरिया बनाम स्थानीय विश्वास

वैज्ञानिकों का मानना है कि पुरानी इमारतों में ऐसी घटनाएं पर्यावरणीय कारकों के कारण भी हो सकती हैं, जैसे कि तापमान का गिरना, गूंज की वजह से भ्रम, या थकान के कारण मस्तिष्क की प्रतिक्रिया। लेकिन जो लोग इन घटनाओं को खुद महसूस कर चुके हैं, उनके लिए यह सिर्फ एक "साइकोलॉजिकल इफेक्ट" नहीं, बल्कि एक वास्तविक अनुभव है।

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