अजमेर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक व्यापारी और उसकी पत्नी को करीब चार दिन तक डिजिटल हिरासत में रखा गया और उनसे 40 लाख रुपये ठग लिए गए। जालसाजों ने खुद को मुंबई पुलिस अधिकारी बताकर फोन किया और फर्जी दस्तावेजों के साथ-साथ उनके बैंक खाते में काला धन होने का झांसा देकर उन्हें धमकाया। यह पूरा मामला अब साइबर थाना पुलिस के संज्ञान में आया है और जांच जारी है।
धोलाभाटा के सरस्वती नगर निवासी पीड़ित एल्विस माइकल सिंह ने साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है कि 15 जुलाई को उनके और उनकी पत्नी के व्हाट्सएप नंबर पर एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को कोलाबा मुंबई पुलिस स्टेशन का अधिकारी संदीप राय बताया और कहा कि उनके खाते में काला धन जमा हो गया है। कॉल करने वाले ने व्हाट्सएप पर फर्जी दस्तावेज भेजकर उन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया और वीडियो कॉल के जरिए पति-पत्नी को एक कमरे में रहने के लिए मजबूर किया। इतना ही नहीं, कॉल करने वाले ने दोनों को डरा-धमकाकर जमीन खरीद सत्यापन के नाम पर बैंक में 14 लाख रुपये जमा करवा लिए।
पुलिस ने क्या कहा?
इसके बाद 18 जुलाई को एक और कॉल आया और 26 लाख रुपये जमा कराए गए। इस बार कहा गया कि एफआईआर क्लियर करने और आरटीजीएस करने के लिए पैसे चाहिए। कुल मिलाकर पीड़ित से 40 लाख रुपये ऐंठ लिए गए। जब तक उन्हें सच्चाई का पता चला, तब तक जालसाज़ पैसे लेकर फरार हो चुके थे। एएसआई छोटू सिंह ने बताया कि यह पूरा मामला डिजिटल गिरफ्तारी का है, जहाँ व्यक्ति को मानसिक कैद में रखा जाता है और डर व तकनीकी दबाव के ज़रिए ब्लैकमेल किया जाता है।
डिजिटल गिरफ्तारी क्या है और इससे कैसे बचें?
डिजिटल गिरफ्तारी साइबर धोखाधड़ी का एक नया और खतरनाक रूप है, जिसमें अपराधी खुद को सरकारी या पुलिस अधिकारी बताकर वीडियो कॉल, फर्जी दस्तावेज़ों और धमकियों के ज़रिए व्यक्ति को मानसिक कैद में रखते हैं। पीड़ित को यह विश्वास दिलाया जाता है कि उसने कोई गंभीर अपराध किया है और अब उसे पुलिस या कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा। डर और शर्मिंदगी के कारण कई लोग परिवार या दोस्तों से बात नहीं कर पाते और खुद को असहाय समझकर जालसाज़ों के जाल में फंस जाते हैं।
डिजिटल गिरफ्तारी से कैसे बचें
इससे बचने के लिए सबसे ज़रूरी है कि किसी अनजान नंबर से आने वाली किसी भी कॉल या व्हाट्सएप मैसेज पर जल्दबाज़ी में विश्वास न करें। कोई भी अधिकारी वीडियो कॉल या ऑनलाइन चैट के ज़रिए गिरफ्तारी नहीं करता। किसी भी सरकारी एजेंसी के नाम पर मांगी गई रकम की पुष्टि पहले स्थानीय पुलिस स्टेशन या साइबर सेल से करें। अनजान दस्तावेज़ों, लिंक या क्यूआर कोड पर क्लिक न करें। अगर कोई आपको पुलिस या एजेंसी का अधिकारी बताकर धमकाता है, तो तुरंत नज़दीकी साइबर पुलिस स्टेशन या हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें।
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