भोपाल । उच्च शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार की उपस्थिति में मंत्रालय में मंगलवार को उच्च शिक्षा विभाग एवं राज्य आनंद संस्थान (आनंद विभाग) के मध्य समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए गये। उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि श्रेष्ठ नागरिक निर्माण करना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का ध्येय है। इस एमओयू का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में, उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों में मानवीय जीवन मूल्यों बोध की शिक्षा दिया जाना है। इस एमओयू में दोनों उपक्रम, सहयोगी के रूप में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अंतर्गत "उच्च शिक्षा संस्थानों में मानवीय मूल्य एवं नैतिकता पर आधारित शिक्षा" विषय पर विभिन्न कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करेंगे।
मंत्री परमार ने कहा कि इस एमओयू का उद्देश्य है कि जब युवा अध्ययन के उपरांत समाज में जाएं तो वे जिस भी क्षेत्र में कार्य करें, वे अपना श्रेष्ठतम योगदान देते हुए एवं मानवीय मूल्यों को आत्मसात करते हुए मानवता की सेवा कर सकें। परमार ने कहा कि हर व्यक्ति का जीवन में लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए और उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कार्य करने का भाव, बोझ न होकर स्वाभाविक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपना कार्य समय पर पूर्ण करने में भी आनंद की ही अनुभूति होती है।
उच्च शिक्षा आयुक्त निशांत वरवड़े, राज्य आनंद संस्थान से मुख्य कार्यपालन अधिकारी आशीष कुमार उपस्थित थे।
समझौता ज्ञापन (MOU) के उद्देश्य एवं क्रियान्वयन की कार्ययोजना
एमओयू के माध्यम से उच्च शिक्षा विभाग अंतर्गत समस्त शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत शिक्षक एवं विद्यार्थियों के जीवन में आंतरिक आनंद के महत्व एवं विद्यार्थियों में मानवीय जीवन मूल्य संवर्धन के लिए अभ्यास कार्यक्रम आयोजित होंगे। आनंद के विषय में ज्ञान और संसाधन के रूप में उचित प्लेटफॉर्म तैयार कर दीर्घकालिक प्रयास किए जाएंगे। दोनों उपक्रमों के मध्य आनंद विषयक शोध कार्यों को बढ़ाने के लिए एक-दूसरे का सहयोग मिलेगा। यह कार्य चरणबद्ध रूप से किया जाएगा। इसमें सर्वप्रथम 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के समस्त प्राचार्यों एवं समस्त क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालकों के लिए तीन दिवसीय मानवीय जीवन मूल्य संबंधी कार्यशाला का आयोजन होगा। प्रत्येक प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में चरणबद्ध रूप से 5-5 शिक्षकों के लिए 6 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन होगा। प्रशिक्षित शिक्षकों के माध्यम से, विद्यार्थियों के साथ कक्षाओं में निर्धारित सत्रों में मानवीय जीवन मूल्यों पर संवाद का आयोजन होगा। शैक्षणिक सत्र के मध्य अथवा अंत तक आयोजित समस्त कार्यशालाओं के आकलन तथा निष्कर्ष के आधार पर आवश्यक संशोधन/परिवर्तन के साथ, आगामी सत्र की कार्यशालाओं के प्रभावी आयोजन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
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