
पटना। नेपाल के तराई क्षेत्रों और पड़ोसी राज्यों में हाे रही भारी बारिश से बिहार में गंगा, कोसी और बूढ़ी गंडक नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। इन नदियाें का जलस्तर बढ़ने से 9 जिलों बक्सर, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, मुंगेर, बेगूसराय, कटिहार, भागलपुर और खगड़िया में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई में गंगा नदी में पिछले 15 वर्षों में इतना जलस्तर कभी नहीं देखा गया। बक्सर में गंगा का जलस्तर पिछले साल की तुलना में 6 मीटर और पटना में 2 मीटर अधिक है।
उधर, फरक्का बराज के सभी 108 गेट खोल दिए गए हैं, जिसके बाद गंगा का पानी तेजी से निकल रहा है। मंगलवार शाम पटना में गंगा खतरे के निशान से 43 सेमी और फरक्का में 20 सेमी ऊपर बह रही थी। बक्सर से कहलगांव तक गंगा के उफान के कारण तटबंधों पर दबाव बढ़ गया है। जल संसाधन विभाग ने तटबंधों की सुरक्षा के लिए 600 सुरक्षाकर्मी और 45 से अधिक कनीय अभियंताओं को तैनात किया है, साथ ही रात्रि पेट्रोलिंग शुरू की गई है।
बराजों से पानी छोड़े जाने से कोसी और बूढ़ी गंडक के साथ-साथ पुनपुन और दरधा नदियों का जलस्तर भी बढ़ रहा है। जल संसाधन विभाग के अनुसार गंगा में इस साल जुलाई के पहले सप्ताह में पिछले साल की तुलना में 5 मीटर अधिक पानी था। फरक्का बराज के गेट खोलने से नदी का पानी तेजी से निकल रहा है, लेकिन इससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
पूर्वी बिहार में गंगा, कोसी, बरंडी और कारी कोसी नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है। भागलपुर के सबौर, कहलगांव और पीरपैंती में गंगा की तेज धारा से कटाव के कारण कृषि योग्य भूमि नष्ट हो रही है। कहलगांव में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 26 सेमी ऊपर है। खगड़िया में गंगा और बूढ़ी गंडक में पिछले 24 घंटों में 40 सेमी और 25 सेमी की वृद्धि दर्ज की।
सुपौल में कोसी का जलस्तर अब घटने लगा है, जबकि महानंदा नदी का जलस्तर डाउनस्ट्रीम में चेतावनी स्तर से 21 सेमी ऊपर है।
बक्सर, पटना, मुंगेर और भागलपुर के दियारा इलाकों में गांवों में पानी घुस गया है, जिससे हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात हैं और प्रभावित लोगों को राहत शिविरों में स्थानांतरित किया जा रहा है।
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